डीएपी की कीमतें जनवरी से बढ़ सकती हैं, किसानों पर पड़ेगा असर
30 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: डीएपी की कीमतें जनवरी से बढ़ सकती हैं, किसानों पर पड़ेगा असर – खेती में यूरिया के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली खाद डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की कीमतें अगले महीने बढ़ने की संभावना है। फिलहाल किसानों को 50 किलो का बैग 1350 रुपये में मिलता है, लेकिन यह दो सौ रुपये तक महंगा हो सकता है।
केंद्र सरकार किसानों को सस्ती दरों पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए 3500 रुपये प्रति टन की दर से विशेष सब्सिडी प्रदान करती है, लेकिन इसकी अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है। यदि सब्सिडी की अवधि नहीं बढ़ाई गई, तो जनवरी से डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
कीमतों में बढ़ोतरी की वजह
डीएपी के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले फास्फोरिक एसिड और अमोनिया के दामों में हाल ही में 70% तक बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, डालर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भी आयात लागत बढ़ गई है।
वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का मूल्य 630 डॉलर प्रति टन है। रुपये के अवमूल्यन के कारण आयात लागत में 1200 रुपये प्रति टन की वृद्धि हुई है। यदि विशेष सब्सिडी बंद हुई, तो प्रति टन लागत में करीब 4700 रुपये का इजाफा हो सकता है। यह प्रति बैग 200 रुपये तक महंगा पड़ सकता है।
डीएपी पर सब्सिडी और किसानों की राहत
फास्फेट और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए केंद्र सरकार ने 2010 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना चलाई हुई है। इसके तहत निर्माता कंपनियों को वार्षिक आधार पर सब्सिडी दी जाती है। डीएपी पर निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एनबीएस के अतिरिक्त विशेष सब्सिडी भी दी जाती है।
क्या होगा सब्सिडी समाप्त होने पर?
यदि सरकार विशेष सब्सिडी को जारी रखने पर विचार नहीं करती है, तो इसका बोझ सीधे किसानों पर पड़ेगा। किसानों को महंगी खाद खरीदनी पड़ेगी, जिससे खेती की लागत बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को किसानों की मदद के लिए सब्सिडी अवधि बढ़ानी चाहिए। यदि सब्सिडी समाप्त हुई तो यह रबी सीजन के दौरान किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
डीएपी की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी किसानों के लिए चिंता का विषय है। सरकार के अगले कदम पर किसानों की नजरें टिकी हैं।
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