National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों की पहुंच से किसानों को होगा फायदा

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16 फरवरी 2024, नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों की पहुंच से किसानों को होगा फायदा – भारत सरकार के प्रयास से वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया गया। मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने और इन्हें जन आंदोलन बनाने के लिए वर्ष के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए हैं ताकि भारतीय मोटे अनाज, व्यंजनों, मूल्य वर्धित उत्पादों को विश्व स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके। भारत ने जी-20 समूह की अध्यक्षता के दौरान समूह के देशों के प्रतिनिधियों की मोटे अनाजों के व्यंजनों से आवभगत कर इसे वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने की कोशिश की और इसकी सभी सदस्य देशों ने सराहना भी की। इसके अलावा मिलेट कलिनरी कार्निवाल, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कार्यक्रम, शेफ सम्मेलन, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की प्रदर्शनी, रोड शो, किसान मेले, अर्धसैनिक बलों के लिए शेफ का प्रशिक्षण, इंडोनेशिया और दिल्ली में आसियान भारत पोषक अनाज महोत्सव के दौरान मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया गया।

सरकार ने भारत को ‘श्रीअन्न’ के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (आईआईएमआर) को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया है। यह संस्थान किसानों, महिला किसानों, गृह निर्माताओं, विद्यार्थियों और युवा उद्यमियों को मूल्यवर्धित मोटे अनाज खाद्य उत्पादों, दैनिक व्यंजनों आदि के निर्माण पर प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है और उन्हें स्व-उद्यम स्थापित करने में भी सहायता दे रहा है। संस्थान ने मोटे अनाज खाद्य पदार्थों के लिए ‘रेडी टू ईट’ और ‘रेडी टू कुक’ सहित मूल्य वर्धित तकनीक भी विकसित की है। 

इस संबंध में उठाए गए अन्य कदमों में ‘ईट्राइट’ टैग के अंतर्गत मोटे अनाज खाद्य पदार्थों की ब्रांडिंग, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना और कृषि व्यवसाय इनक्यूबेटर और प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर आदि को बढ़ावा देना शामिल है। मोटे अनाजों को मुख्यधारा में लाने के प्रयासों को जारी रखते हुए इनके बारे में जागरूकता बढ़ाने और आम जनता के बीच इसे लोकप्रिय बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दिल्ली हाट, नई दिल्ली में एक ‘मिलेट्स एक्सपीरिएंस सेंटर’ खोला गया है। सरकारी कर्मचारियों के बीच श्रीअन्न की खपत को प्रोत्साहित करने के लिए सभी सरकारी कार्यालयों को विभागीय प्रशिक्षणों/बैठकों में श्रीअन्न के नाश्ता और विभागीय कैंटिनों में श्रीअन्न से बनने वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करने की सलाह दी गई है।

इसके अलावा वैश्विक बाजारों में भारतीय मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों, भारतीय मिशनों, प्रसंस्करण, खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ साझेदारी का लाभ उठाने के लिए काम कर रही है।

अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक निर्यात संवर्धन मंच (ईपीएफ) की स्थापना की गई है। एक अलग मोटा अनाज-विशिष्ट वेब पोर्टल विकसित किया गया है जिसमें मोटे अनाज के स्वास्थ्य लाभ, उत्पादन और निर्यात आंकड़े, मोटा अनाज निर्यातक निर्देशिका आदि के बारे में जानकारी शामिल है। एपीडा ने भारत की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए एक व्यापक वैश्विक विपणन अभियान भी आयोजित किया है और इसी के अनुसार 30 आयातक देशों तथा 21 मोटे अनाज उत्पादक राज्यों के ई-कैटलॉग को जारी किया गया है। मोटे अनाजों के लिए एक वर्चुअल व्यापार मेला (वीटीएफ) विकसित किया गया है और इसे विश्व भर के निर्यातकों और आयातकों के लिए उपलब्ध कराया गया है, जो व्यापार सौदों पर बातचीत के लिए एक ही मंच प्रदान करता है।

मोटे अनाजों को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिये सरकार स्तर पर किये जा रहे प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। मोटे अनाजों के निर्यात में साल-दर-साल वृद्धि हो रही है। अब आवश्यकता इस बात की है कि सदियों से भारत के लोगों का मुख्य आहार रहा मोटा अनाज वर्तमान में अधिकांश भारतीयों की थाली से दूर हो गया है। स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद लाभकारी मोटे अनाजों की अधिक कीमतें इसका एक मुख्य कारण हो सकता है। यही वजह है कि भारत के घरेलू बाजार में भी इनकी उपलब्धता अन्य खाद्यान्नों की तुलना में काफी कम है। मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ेगा तो निश्चित ही कीमतें भी कम होंगी लेकिन किसानों को अच्छी कीमत भी मिलनी चाहिये इसलिये सभी मोटे अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बाजार भाव के आसपास रखना होगा। यदि ऐसा कर सकेंगे तो निश्चित ही देश के भीतर मोटे अनाजों की खपत बढ़ेगी और निर्यात से किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। 

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