तिलहन से मक्का की ओर किसानों का रुख? सरकार ने किया इनकार, कहा – तेलहन उत्पादन में हुआ इज़ाफा
23 जुलाई 2025, नई दिल्ली: तिलहन से मक्का की ओर किसानों का रुख? सरकार ने किया इनकार, कहा – तेलहन उत्पादन में हुआ इज़ाफा – भारत में खाद्य तेलों की आत्मनिर्भरता को लेकर उठ रही चिंताओं के बीच केंद्र सरकार ने उन दावों को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि किसान कम कीमतों के कारण तेजी से तेलहन फसलों को छोड़कर मक्का की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश में तिलहन फसलों की बोआई और उत्पादन – दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
यह बयान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दिया गया। सांसद श्री सुखदेव भगत ने 22 जुलाई 2025 को यह सवाल उठाया था, जिसमें 30 जून 2025 को जारी मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया था कि किसानों के बीच तिलहन से मक्का की ओर बदलाव देखा जा रहा है, जो देश की खाद्य तेल आत्मनिर्भरता की योजना के लिए खतरा बन सकता है।
हालांकि, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने इस धारणा को खारिज करते हुए बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW) के तीसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, तिलहन फसलों का रकबा वर्ष 2023-24 के 301.92 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 302.65 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसके साथ ही, तिलहन उत्पादन भी 396.69 लाख टन से बढ़कर 426.09 लाख टन हो गया है।
तेल में आत्मनिर्भरता लाने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तेलहन (NMEO-OS) की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 को की गई थी। यह मिशन सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक अहम हिस्सा है।
सरकार द्वारा तिलहन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) हर वर्ष उत्पादन लागत से कम से कम 1.5 गुना तय किया जाता है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) के तहत तिलहन फसलों की खरीद भी की जाती है, ताकि किसानों को बेहतर दाम और आय का समर्थन मिल सके।
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा मूल्य समर्थन, अनुसंधान, तकनीकी विस्तार सेवाएं और आवश्यकतानुसार आयात शुल्क जैसे बहुस्तरीय उपायों के ज़रिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसान तिलहन फसलों की खेती में रुचि बनाए रखें और देश खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बन सके।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: