नकली बीज और खाद से किसान परेशान- सरकारी जांच में चौंकाने वाले खुलासे
13 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: नकली बीज और खाद से किसान परेशान– सरकारी जांच में चौंकाने वाले खुलासे – भारतीय किसानों के लिए नकली कृषि इनपुट्स (बीज, उर्वरक और कीटनाशक) एक गंभीर चुनौती बने हुए हैं। वर्ष 2023-24 में देशभर में हजारों नमूनों की जांच के बाद इनमें से कई को गैर-मानक और मिलावटी पाया गया। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
कृषि इनपुट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने बीज अधिनियम, 1966; बीज नियम, 1968; बीज (नियंत्रण) आदेश, 1983; आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955; कीटनाशक अधिनियम, 1964; कीटनाशक नियम, 1971 और उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 जैसे कई कानून लागू किए हैं। इन नियमों के तहत, राज्य कृषि विभाग निरीक्षकों की नियुक्ति करता है, जो बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की गुणवत्ता की जांच करते हैं। यदि कोई नमूना गैर-मानक पाया जाता है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है।
गुणवत्ता पर सवाल: हजारों नमूने फेल
कृषक जगत द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 में देशभर में 1,33,588 बीज नमूने जांचे गए, जिनमें से 3,630 नमूने (2.7%) मानकों पर खरे नहीं उतरे। इसी तरह, 1,81,153 उर्वरक नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 8,988 (4.9%) अस्वीकार्य पाए गए। कीटनाशकों की बात करें तो 80,789 नमूने लिए गए, जिनमें से 2,222 (2.75%) को नकली या अमानक दर्जा दिया गया।
इसके अलावा, देशभर में कई हिस्सों में छापेमारी और सरकारी कार्रवाई के दौरान नकली बीज, कीटनाशक और उर्वरकों के बड़े जखीरे पकड़े गए हैं। इन घटनाओं ने यह उजागर किया है कि जमीनी स्तर पर मिलावटखोरी किस हद तक पहुंच चुकी है और इसे रोकने के लिए सरकार को और कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
सख्त परीक्षण और पारदर्शी व्यवस्था की जरूरत
गुणवत्ता सुनिश्चित करना सिर्फ दोषियों को पकड़ने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। एक मजबूत और पारदर्शी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए, ताकि परीक्षण प्रक्रिया किसी भी व्यक्तिगत हित या बाहरी प्रभाव से मुक्त हो। अगर सिर्फ जांच की संख्या बढ़ाई जाती है, लेकिन बुनियादी ढांचा कमजोर रहता है, तो समस्या और गहरी होती जाएगी।
यह स्थिति किसी इमारत में दरारों की तरह है- जितनी अधिक बारीकी से जांच की जाएगी, उतनी ही अधिक खामियां सामने आएंगी। यदि सरकार और अधिक नमूने जांचने का निर्णय लेती है, तो संभव है कि गैर-मानक कृषि इनपुट की संख्या भी बढ़े। ऐसे में, सवाल यह उठता है कि क्या भारत के पास इनपुट की गुणवत्ता जांचने के लिए पर्याप्त आधुनिक प्रयोगशालाएं और सही कार्यप्रणाली मौजूद है?
भारतीय किसानों की पूरी आजीविका उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों पर निर्भर करती है। यदि ये कम गुणवत्ता के होंगे, तो न केवल उत्पादन प्रभावित होगा, बल्कि किसानों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा। सरकार ने जांच और दंड प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि एक ठोस और भरोसेमंद प्रणाली तैयार की जाए, जिससे नकली कृषि इनपुट्स का जड़ से उन्मूलन किया जा सके और किसानों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिल सकें।
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