राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

पूसा संस्थान के विशेषज्ञ ने किसानों को बताया, ऐसे करें गेंहू में खरपतवार नियंत्रण

16 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: पूसा संस्थान के विशेषज्ञ ने किसानों को बताया, ऐसे करें गेंहू में खरपतवार नियंत्रण – गेंहू रबी मौसम की एक प्रमुख अनाजी फसल हैं। गेंहू में अच्छी उपज लेने हेतु बीजोपचार रोग प्रबंधन के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण भी अति आवश्यक हैं। जिसकी विस्तृत जानकारी दे रहे हैं| पूसा संस्थान (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) के विशेषज्ञ डॉ. टी के दास।

खरपतवार से गेंहू की फसल में करीब 15-25 प्रतिशत नुकसान होता है। गेंहू की फसल लगने वाले खरपतवार कई प्रकार होते हैं। जैसे संर्कीण पत्ती लगने में वाले खरपतवार प्रमुख हैं- जंगली जई, बंदरी, बलूरी, गेंहू का  मामा, गुल्ली डंडा और फॉक्स ग्रास इत्यादि। इसी प्रकार गेंहू की चौड़ी पत्ती में भी अलग प्रकार के खरपतवार लगते हैं जो हैं, जैसे- बथुआ, कृष्णनील, सैंजी और चटपटा इत्यादि। इनके अलावा पैरेनिया खरपतवार जैसे मोथा, हिरन खुरी और किटली भी गेंहू में आते हैं।

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खरपतवार नियंत्रण के काफी सारे उपाय एंव तरीके हैं। जैसे- शून्य जुताई से गेंहू की खेती, मेड़ों पर गेंहू की खेती, फसल अवशेषों का बिछावन, अंतर फसलीकरण और सही फसल चक्र का चुनाव करना इत्यादि।

गेंहू की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान गेंहू की बीजाई के 30-35 दिन बाद एक हैंड वीडिंग करके खरपतवार नियंत्रण कर सकते हैं। इसके अलावा खरपतवार नियंत्रण का आसान व लाभदायी तरीका हैं खरपतवार नाशी का इस्तेमाल करना।

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जब किसान फसल में पहली सिंचाई (20-22 दिन) करते हैं उसके बाद ही खरपतवार फसल में आना शुरू करता हैं और इसके बाद ही फसल में दिखाई देता हैं। तो इसलिए विशेषज्ञ फसल में खरपतवार नाशी का उपयोग 30 दिन के बाद करने को कहते हैं।

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खपतवार नियंत्रण के लिए प्रमुख खरपतवारनाशी

किसान गेंहू की फसल में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए खरपतवारनाशी का उपयोग करते हैं। गेंहू की फसल में उपोयग किए जाने वाले प्रमुख खरपवारनाशी- क्लोडीनाफोप 60 ग्राम प्रति हेक्टेयर और उसके साथ मेटसल्फूरोन 4 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 400 लीटर पानी में घोल मिलाकर स्प्रे द्वारा छिड़काव करें।

इसके अलावा एक और खरपतवारनाशी सल्फोसल्फ्यूरॉन 25 ग्राम प्रति हेक्टेयर के साथ मेटसल्फूरोन 4 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 400 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे द्वारा छिड़काव करें। किसान इस खरपतवारनाशी को गेंहू की फसल में बिजाई के 30 दिनों के बाद उपयोग करें।

कई जगह दिखा गुल्ली डंडा खरपतवार का प्रकोप

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कही-कही क्षेत्र में गुल्ली डंडा नामक खरपतवार का प्रकोप देखा गया हैं। जिसके नियंत्रण के लिए पाइरोक्सासल्फोन 187.5 ग्राम प्रति हेक्टेयर के साथ पेंडीमेथिलीन 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 हेक्टेयर में बुवाई के 1-2 दिन बाद स्प्रे करें। 

पूर्वी भारत में धान की कटाई के बाद गेंहू की बुवाई की जाती हैं। जिससे जमीन में नमी रहता हैं तो इस स्थिति में खरपतावर गेंहू के अंकुरण के साथ ही आता हैं। तो इसके लिए किसान 20 दिन या 30 दिन का इंतजार न करें। इस स्थिति में पूर्वी भारत के किसान बिजाई के 1-2 दिन बाद ही 1 किलोग्राम पेंडीमेथिलीन को 400 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

खरपतवार का उपयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातें

खेतों में खरपतवारनाशी का उपयोग सुबह 9-10 बजे के करीब करना चाहिए। वहीं, आसमान में बादल हो और हवा चल रही हो उस समय खरपतवारनाशी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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इसके अलावा खरपतवारनाशी का उपयोग करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे- आपके हाथों में ग्लाब्स हो, आंखों में चश्मा, चेहरे पर मास्क और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर ही खेतों में खरपतवारनाशक का छिड़काव करें।

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