National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

फसल बीमा किसानों की मर्जी पर

Share

खरीफ 2020 से 

केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय

(नई दिल्ली कार्यालय)

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत दिनों ऋणी किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को ऐच्छिक करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही इसे किसानों के लिए और अधिक अनुकूल बनाने के लिए इसमें कई और बदलाव किए गए हैं। तीन साल पहले पीएम ने इस योजना को शुरू किया था। इस योजना में काफी कमी भी निकाली गई थी।

खरीफ सत्र 2020 सीजन से इसे ऋणी किसानों के लिए ऐच्छिक कर दिया जाएगा। इसे आरंभ किए जाने के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने योजना के प्रीमियम सब्सिडी के तौर पर करीब 50000 करोड़ रूपये खर्च किए हैं। केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक फिलहाल 58 फीसदी किसान ऋणी हैं और शेष 42 फीसदी किसान इससे मुक्त हैं।

ऋणमुक्त किसानों के लिए इस योजना में शामिल होना शुरू से ही ऐच्छिक है इसके बावजूद इसमें उनकी हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है जो दिखाता है कि किसानों के एक बड़े वर्ग मेंं इस योजना की स्वीकार्यता है।

आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ सीजन 2016 में करीब 1.02 करोड़ कर्ज मुक्त किसान इस योजना में शामिल हुए जो 2018 के खरीफ सीजन में बढ़कर 1.24 करोड़ पर पंहुच गया यह करीब 22 फीसदी की उछाल दर्शाता है। रबी सीजन 2016-17 में पीएमएफबीवाई के तहत कुल पंजीकरण में कर्ज मुक्त किसानों की हिस्सेदारी 0.34 करोड़ थी जो रबी सीजन 2018-19 में बढ़कर 0.79 करोड़ हो गई इस प्रकार इसमें 132 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि, योजना के तहत कुल नामांकन में कमी आती रही और यह संख्या खरीफ सीजन 2016 के 4.04 करोड़ के उच्च स्तर से घटकर खरीफ सीजन 2018 में 3.48 करोड़ रह गई। इस प्रकार इस दौरान इसमें 14 फीसदी की कमी आई।

प्रमुख बिंदु

  • बीमा कम्पनियों को व्यवसाय का आवंटन तीन वर्षों के लिए किया जाएगा।
  • केन्द्रीय सब्सिडी असिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 30 प्रतिशत तक प्रीमियम दरों के लिए सीमित होगी और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 25 प्रतिशत होगी।
  • 50 प्रतिशत या उससे अधिक सिंचित क्षेत्र वाले जिलों को सिंचित क्षेत्र के रूप में माना जाएगा।
    राज्यों द्वारा संबंधित बीमा कम्पनियों को निर्धारित समयसीमा से आगे प्रीमियम सब्सिडी में विलंब करने की स्थिति में राज्यों को बाद के सीजन में योजना को लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • खरीफ तथा रबी सीजन के लिए इस प्रावधान को लागू करने की कटऑफ तिथि क्रमिक वर्षों में क्रमश: 31 मार्च और 30 सितंबर होगी।
  • फसल नुकसान/अनुमति योग्यदावों के आकलन के लिए दो चरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
  • योजना के कुल आवंटन का कम से कम 3 प्रतिशत का प्रावधान भारत सरकार तथा योजना लागू करने वाली राज्य सरकार करेगी।

10 हजार नए एफपीओका गठन हेागा

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आगामी पांच वर्ष की अवधि के दौरान 10,हजार नए एफपीओ के गठन को स्वीकृति दे दी है। प्रत्येक एफपीओ के शुभारंभ वर्ष से पांच वर्षों तक के लिए सहायता जारी रखी जाएगी।

लाभ

छोटे और सीमांत किसानों के पास मूल्य संवद्र्धन सहित उत्पादन तकनीक, सेवाओं और विपणन को अपनाने के लिए आर्थिक क्षमता नहीं होती है। एफपीओ के गठन के माध्यम से, किसान सामूहिक रूप से अधिक सुदृढ़ होने के साथ-साथ अधिक आय अर्जित करने हेतु इनके माध्यम से ऋण बेहतर विपणन एवं प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने में सक्षम होंगे।

योजना

पांच वर्ष की अवधि (2019-2022 से 2023-24) के लिए 4496.00 करोड़ रूपए के बजट प्रावधान के साथ 10,000 नए एफपीओ के गठन में पाँच वर्षों के लिए आवश्यक सहयोग देने के लिए 2024-25 से 2027-28 की अवधि के लिए 2369 करोड़ रुपये की प्रतिबद्ध देनदारी भी शामिल है। प्रारंभिक तौर पर, एफपीओ के गठन और प्रोत्साहन के लिए तीन एजेंसियां स्मॉल फारमर्स एग्री-बिजनेस कन्सोर्टियम (एसएफएसी), नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) और नाबार्ड होंगी।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *