राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

गोबर से किसान होंगे मालामाल! NDDB खरीदेगा रोज 1,500 टन गोबर, 6 राज्यों में लगाएगा 15 बायोगैस प्लांट

18 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: गोबर से किसान होंगे मालामाल! NDDB खरीदेगा रोज 1,500 टन गोबर, 6 राज्यों में लगाएगा 15 बायोगैस प्लांट – ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, सतत ऊर्जा और किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने एक अहम कदम उठाया है। NDDB ने देश के छह राज्यों में 15 बायोगैस प्लांट लगाने की योजना शुरू की है, जिनमें गाय के गोबर से कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) तैयार की जाएगी। इस योजना के तहत किसानों से ₹1 प्रति किलो की दर से गोबर खरीदा जाएगा। NDDB का लक्ष्य है कि रोजाना करीब 1,500 टन गोबर इकट्ठा कर उससे स्वच्छ ऊर्जा तैयार की जाए।

फिलहाल NDDB हर दिन लगभग 300 से 400 टन गोबर किसानों से खरीद रहा है, लेकिन जैसे-जैसे प्लांट पूरी तरह चालू होंगे, मांग बढ़ेगी और गोबर की खरीद में भी इजाफा होगा। यह पहल किसानों को अतिरिक्त आमदनी का साधन देने के साथ-साथ गांवों में गोबर की समस्या और गंदगी को भी कम करेगी।

6 राज्यों में लगेंगे आधुनिक बायोगैस प्लांट

NDDB ये 15 बायोगैस प्लांट जिन राज्यों में स्थापित कर रहा है। इनमें गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा और बिहार राज्य शामिल है। हर प्लांट की क्षमता 100 टन प्रतिदिन होगी और प्रत्येक प्लांट पर लगभग ₹50 करोड़ की लागत आएगी। इस पूरी परियोजना पर कुल मिलाकर ₹750 करोड़ का निवेश होगा।

बनास डेयरी से मिली प्रेरणा

इस अभियान की प्रेरणा गुजरात की बनास डेयरी से मिली, जिसने सबसे पहले बनासकांठा ज़िले में गोबर से बायोगैस बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया। इसके बाद NDDB ने सुजुकी R&D सेंटर इंडिया और बनास डेयरी के साथ मिलकर चार और प्लांट्स की योजना बनाई, जो अब निर्माणाधीन हैं।

गुजरात में अमूल समेत कई डेयरियों से करार

NDDB ने गुजरात में अमूल डेयरी, दूधसागर डेयरी, बड़ौदा डेयरी, और साबर डेयरी जैसी प्रमुख संस्थाओं के साथ साझेदारी की है। साथ ही वलसाड, अमरेली, पंचमहल और सुरेंद्रनगर की स्थानीय डेयरियों को भी इस पहल में शामिल किया गया है, जिससे अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा जा सके।

अन्य राज्यों में भी हो रहा विस्तार

गुजरात से बाहर NDDB ने गोवा, महाराष्ट्र (महानंदा डेयरी), राजस्थान, ओडिशा, और बिहार (बरौनी डेयरी) के साथ समझौते किए हैं। बिहार और ओडिशा में तैयार की जा रही बायोगैस को थर्मल एनर्जी यानी ऊष्मा उत्पादन के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

NABARD देगा ग्रीन फाइनेंसिंग में सहयोग

इस परियोजना के लिए NDDB ने कुछ राशि स्वयं जुटाई है, लेकिन NABARD (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) के साथ मिलकर ग्रीन फाइनेंसिंग के तहत अतिरिक्त फंडिंग का भी प्रबंध किया जा रहा है। यह साझेदारी इस पहल को और भी मजबूत आधार देगी।

किसानों को मिलेगा सीधा लाभ

NDDB की यह योजना किसानों को गोबर का मूल्य दिलाकर उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करेगी। अब तक जो गोबर बेकार समझा जाता था, वह अब ऊर्जा उत्पादन का अहम हिस्सा बनेगा। इससे न सिर्फ गांवों में साफ-सफाई बेहतर होगी, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाएगा।

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