मछुआरों की कमाई बढ़ाएगा CETA समझौता: अब बिना टैक्स के ब्रिटेन भेज सकेंगे झींगा-मछली, 70% तक बढ़ेगा निर्यात
28 जुलाई 2025, नई दिल्ली: मछुआरों की कमाई बढ़ाएगा CETA समझौता: अब बिना टैक्स के ब्रिटेन भेज सकेंगे झींगा-मछली, 70% तक बढ़ेगा निर्यात – भारत और ब्रिटेन ने 24 जुलाई 2025 को एक ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत किए, जिससे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों में एक नया मोड़ आया है। यह समझौता “व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA)” कहलाता है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर की मौजूदगी में औपचारिक रूप दिया गया। इसे भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षरित किया।
99% उत्पादों पर मिलेगा टैरिफ-मुक्त प्रवेश
CETA के तहत 99% टैरिफ लाइनों पर बिना शुल्क के पहुँच दी जाएगी। इससे न सिर्फ वस्तुओं का व्यापार बढ़ेगा बल्कि सेवा क्षेत्रों में भी नए अवसर खुलेंगे। खासतौर पर समुद्री खाद्य उत्पादों जैसे झींगा, स्क्विड और फ्रोजन मछली पर लगने वाले आयात शुल्क को हटा दिया गया है। इससे ब्रिटेन के बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।
झींगा, स्क्विड और मछली जैसे उत्पादों को सबसे ज्यादा फायदा
भारत की ओर से ब्रिटेन को मुख्य रूप से वन्नामेई झींगा, फ्रोजन स्क्विड, पॉम्फ्रेट और ब्लैक टाइगर झींगा का निर्यात होता है। ये सभी अब शुल्क-मुक्त पहुंच के दायरे में आएंगे, जिससे निर्यातकों को बेहतर दाम मिलेंगे और बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ेगी।
इन एचएस कोड उत्पादों पर हटेगा शुल्क
1. HS Code 03: झींगा, ट्यूना, स्क्विड, मैकेरल, फ्रोजन पॉम्फ्रेट
2. HS Code 05: मूंगा, कौड़ी, आर्टेमिया
3. HS Code 15: मछली का तेल और वसा
4. HS Code 1603–1605: तैयार समुद्री भोजन, कैवियार, अर्क
5. HS Code 23: मछली/झींगा का चारा
6. HS Code 95: मछली पकड़ने के उपकरण
पहले इन पर 0% से 21.5% तक का शुल्क लगता था, जो अब पूरी तरह हटा दिया गया है। केवल HS 1601 (जैसे सॉसेज) श्रेणी को इससे छूट नहीं मिली है।
समुद्री निर्यात में दिखेगा असर, 70% तक बढ़ सकती है ग्रोथ
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 60,523 करोड़ रुपए का समुद्री खाद्य निर्यात किया। इसमें 4.88 अरब डॉलर (66%) केवल झींगा का था। यूके को निर्यात 104 मिलियन डॉलर का रहा, जिसमें झींगा की हिस्सेदारी 77% थी। अब अनुमान है कि CETA से यूके को निर्यात 70% तक बढ़ सकता है।
28 मिलियन लोगों की आजीविका जुड़ेगी, मछुआरों को मिलेगा सीधा फायदा
मत्स्य पालन क्षेत्र 28 मिलियन लोगों की रोजी-रोटी का जरिया है और वैश्विक मछली उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 8% है। पिछले 10 वर्षों में:
1. निर्यात वॉल्यूम: 10.5 से बढ़कर 16.85 लाख मीट्रिक टन (60% वृद्धि)
2. निर्यात मूल्य: 33,441 करोड़ से बढ़कर 62,408 करोड़ (88% वृद्धि)
तटीय राज्यों को मिलेगा खास फायदा
आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों को यह समझौता अधिक लाभ देगा। ब्रिटेन के फूड सेफ्टी और गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए इन राज्यों से फोक्स्ड प्रयास किए जाएंगे, जिससे निर्यात का दायरा और मानक दोनों बढ़ेंगे।
भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और बाज़ार हिस्सेदारी को मिलेगा बूस्ट
CETA भारत को सतत समुद्री उत्पाद आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करता है। कपड़ा, चमड़ा, आभूषण जैसे क्षेत्रों को भी ताकत देता है। इसके अलावा, यूके, अमेरिका, चीन जैसे पारंपरिक बाजारों से बाहर नई संभावनाएं खोलता है। भारत अब वियतनाम और सिंगापुर जैसे देशों के बराबरी पर प्रतिस्पर्धा करेगा, जो पहले ही UK के साथ FTA के ज़रिए लाभ ले रहे थे। अब भारतीय उत्पादों को भी समान टैक्स स्थिति मिलने से, उन्हें बेहतर मौका मिलेगा वैश्विक मार्केट में बढ़त बनाने का।
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