पराली जलाने से रोकने केंद्र ने दिए 3 हज़ार करोड़, नहीं खर्च कर पाए राज्य
05 नवम्बर 2022, नई दिल्ली: पराली जलाने से रोकने केंद्र ने दिए 3 हज़ार करोड़, नहीं खर्च कर पाए राज्य – केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मार्गदर्शन में, किसानों द्वारा बेहतर और इष्टतम उपयोग के उद्देश्य से धान की पराली के कुशल प्रबंधन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर पर एक कार्यशाला पूसा, दिल्ली में आयोजित की गई।
कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में किया गया, जिसमें सैकड़ों किसान मौजूद थे और लगभग 60 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से हजारों किसान शामिल हुए।
कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि धान की पराली का समुचित प्रबंधन सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है जिससे प्रदूषण को रोका जा सके
उन्होंने कहा, पंजाब, हरियाणा, यू.पी. और दिल्ली को केंद्र द्वारा पराली प्रबंधन के लिए 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गई। पंजाब को सबसे ज्यादा करीब 14,500 करोड़ रुपये, हरियाणा को 900 करोड़ रुपये, यूपी को 713 करोड़ रुपये और दिल्ली को 6 करोड़ रुपये मिले। इसमें से करीब एक हजार करोड़ रुपये राज्यों के पास बचे हैं जिनमें 491 करोड़ रुपये अकेले पंजाब के पास हैं।
डीकंपोजर तकनीक
डीकंपोजर की तकनीक पूसा संस्थान द्वारा यूपीएल सहित अन्य कंपनियों को भी दी गई है, जो इसका उत्पादन कर रही हैं और यह किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। पिछले 3 वर्षों में पूसा डीकंपोजर का उपयोग और प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में 26 लाख एकड़, पंजाब में 5 लाख एकड़, हरियाणा में 3.5 लाख एकड़ और दिल्ली में 10 हजार एकड़ में किया गया है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। यह डीकंपोजर सस्ता है और पूरे देश में आसानी से उपलब्ध है।
पराली पर राजनीति उचित नहीं
श्री तोमर ने कहा कि केन्द्र की सहायता से पराली प्रबंधन के लिए राज्यों को उपलब्ध कराई गई 2.07 लाख मशीनों के अधिकतम उपयोग से इस समस्या का व्यापक समाधान संभव है। साथ ही यदि पूसा संस्थान द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर का उपयोग किया जाए तो समस्या के समाधान के साथ-साथ खेती योग्य भूमि की उर्वरता भी बढ़ेगी।
मंत्री ने कहा कि धान की पराली पर राजनीति उचित नहीं है. केंद्र हो या राज्य सरकारें या किसान, सभी का एक ही उद्देश्य है कि देश में कृषि फले-फूले और किसानों की समृद्धि हो। मंत्री ने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण के साथ-साथ लोगों को भी नुकसान होता है और इसलिए इससे निपटने और उस रास्ते पर चलने का रास्ता निकाला जाना चाहिए।
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