कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने की केंद्र की आलोचना, किसानों और आढ़तियों के लिए दोहराया समर्थन
पी.ए.यू. में दो दिवसीय किसान मेले का वर्चुअल उद्घाटन
6 अप्रैल 2021, चंडीगढ़ । कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने की केंद्र की आलोचना, किसानों और आढ़तियों के लिए दोहराया समर्थन – किसानों और आढ़तियों के लिए अपना पूरा समर्थन दोहराते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की राज्यों पर हावी होने की कोशिश के अंतर्गत उनके हक छीनने के लिए कड़ी आलोचना की। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा ज़बरन कृषि कानून लागू करने और राज्य की किसानी पर सीधी अदायगी जैसे एकतरफ़ा फ़ैसले थोपने के लिए भी केंद्र को आड़े हाथों लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों को पहले कभी भी ऐसीं समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा और भारत सरकार सदियों से चलती आ रही उस प्रणाली को कथित सुधारों, जोकि सम्बन्धित पक्ष को भरोसे में लिए बिना थोपे जा रहे हैं, की आड़ लेकर ख़त्म करना चाहती है जो बीते 100 वर्षों से सभ्यक ढंग से काम करती आ रही है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि पंजाब के किसानों और आढ़तियों के सम्बन्ध बहुत पुराने हैं जिनको केंद्र सरकार ख़त्म करने पर तुली हुई है। उन्होंने भारत सरकार द्वारा अपनाए जा रहे कड़े रूख और तर्कहीन फ़ैसलों को संघवाद की मूल भावना के खि़लाफ़ बताया। उन्होंने आगे कहा कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान पंजाब से सम्बन्धित किसी भी नीतिगत फ़ैसले /विकास प्रमुख मुद्दे सम्बन्धी उनको पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह का पूरा विश्वास और समर्थन हासिल था।
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना द्वारा करवाए जा रहे दो दिवसीय किसान मेले का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों की काले कृषि कानूनों के मुद्दे पर पूरी तरह हिमायत की जो कानून केंद्र सरकार द्वारा संविधान के सातवीं अनुसूची का उल्लंघन करते हैं जिसके अनुसार कृषि राज्यों का विषय है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने जानबूझकर राज्य के अधिकार छीनने की कोशिश करते हुए लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को खतरे में डाला है।
अपने संबोधन के दौरान सतही (नहरी) और भूजल के घटते स्तर की समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों को बड़े स्तर पर बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने का न्योता दिया जिससे राज्य को भविष्य में मरूस्थल बनने से बचाया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि घटते जा रहे पानी के स्तर, जिसका कारण पिघल रहे ग्लेशियर हैं, ने राज्य के सामने बड़ी चुनौती पेश की है जिसका एकमात्र समाधान धान और गेहूँ के चक्कर में से निकलना है जिससे पानी जैसी कीमती रहमत बचायी जा सके। मुख्यमंत्री ने किसानों को बूंद सिंचाई तकनीक के अलावा पानी के कम उपभोग वाली फसलों जैसे कि सब्जियों और फलों आदि की तरफ ध्यान देने के लिए कहा।
उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि बागबानी फसलों को अपनाने की कोशिशें करनी चाहिये हैं क्योंकि इनकी विश्व मंडी में फायदे की बड़ी संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री ने आने वाली नस्लों के लिए पानी बचाने की जरूरत पर जोर देते हुये कहा कि इसकी संभाल करना हर पंजाबी का नेक फर्ज बनता है। पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी की तरफ से इस अनमोल संसाधन की महत्ता को सराहा गया है। उन्होंने बूंद सिंचाई संबंधी अपने तजुर्बे भी सांझे किये जो उन्होंने इजराइल के दौरे के दौरान हासिल किये थे जहाँ पौधे लगाने के अलावा नीबू जाति के फलों की काश्त बूंद सिंचाई के साथ की जाती है।
कृषि अनुसंधान और नये तरीकों की शुरुआत के लिए पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के दिग्गजों के योगदान की सराहना करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर जैसे कि डा. खेम सिंह गिल, डा. किरपाल सिंह औलख, डा. गुलजार सिंह कालकट को सदा सभीयाद करते हैं जिन्होंने भारत को अनाज पैदावार में आत्म निर्भर बनाने के लिए हरी क्रांति लाई और पी.एल. -480 मांगने के लिए होते अपमान से बचाया।
पशुधन की गुणवत्ता में सुधार के लिए गुरू अंगद देव वैटरनरी और एनिमल सायंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना की भूमिका की भी सराहना करते हुये मुख्यमंत्री ने यूनिवर्सिटी को मुरराह, साहिवाल नसल की उच्च कोटी की भैंसों और थारपारकर नसल की गाओं के लिए भूण संचार प्रौद्यौगिकी विकसित करने के लिए अनुसंधान करने के बारे जोर दिया।
इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास अनिरुद्ध तिवाड़ी, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. बलदेव सिंह ढिल्लों और गुरू अंगद देव वैटरनरी और एनिमल सायंसेज यूनिवर्सिटी लुधियाना के वाइस चांसलर डा. इन्द्रजीत सिंह भी उपस्थित थे।