‘कृषि नीति सरकार अकेले तय नहीं कर सकती’: शिवराज सिंह चौहान ने निजी क्षेत्र और वैज्ञानिकों की भूमिका पर जोर दिया
08 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: ‘कृषि नीति सरकार अकेले तय नहीं कर सकती’: शिवराज सिंह चौहान ने निजी क्षेत्र और वैज्ञानिकों की भूमिका पर जोर दिया – नई दिल्ली में एग्रीबिज़नेस समिट 2025 की शुरुआत इस स्पष्ट संदेश के साथ हुई कि भारत की कृषि वृद्धि सरकार, उद्योग, वैज्ञानिकों और किसानों के साझा प्रयास से ही आगे बढ़ सकती है। चर्चा का केंद्र कृषि जीडीपी बढ़ाने के लिए तकनीक, गुणवत्तापूर्ण इनपुट और खेतों तक पहुँचने वाले शोध पर रहा।
‘नीति केवल सरकार तय करे तो काम नहीं चलेगा’: शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता कृषि है। उन्होंने कहा कि वे किसी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं आए, बल्कि इसलिए आए क्योंकि कृषि समुदाय के सभी प्रतिनिधि यहां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि नीति केवल सरकार तय करे तो वह प्रभावी नहीं होगी और सभी हितधारकों का मिलकर सोचना आवश्यक है।
चौहान ने कहा कि केवल प्रयोगशाला में बैठकर शोध करने से काम नहीं चलेगा, वैज्ञानिकों को खेतों में जाना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि लक्ष्य “लैब टू लैंड” है और शोध का उद्देश्य किसानों के जीवन में सुधार लाना होना चाहिए, न कि केवल तकनीकी पेपर लिखना।
उन्होंने बताया कि किसानों ने खुद भी कई नवाचार किए हैं जो प्रयोगशाला से नहीं, बल्कि खेत से निकलकर आए हैं। उन्होंने पिंक बॉलवर्म को एक बड़ी समस्या बताया और कहा कि मंत्रालय ने ऐसे 500 मुद्दों को चिन्हित किया है जिन पर तत्काल कार्य की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में 44% वृद्धि हुई है और जलवायु अनुकूल किस्में बदलते मौसम में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
चौहान ने कहा कि बेहतर बीज, इनपुट, मशीनीकरण और “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” जैसी पहलों से उत्पादन बढ़ा है, लेकिन लागत भी बढ़ी है जिससे लाभ घटा है। उन्होंने कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करने और संतुलित उपयोग को भविष्य का रास्ता बताया।
‘चीन कर सकता है तो भारत क्यों नहीं’: आर. जी. अग्रवाल
पीएचडीसीसीआई एग्रिबिज़नेस कमेटी के चेयरमैन और धानुका ग्रुप के चेयरमैन इमेरिटस आर. जी. अग्रवाल ने बताया कि मंत्री का खरीफ और रबी दोनों मौसम में 15 दिन खेतों में जाकर किसानों की समस्याओं को समझना इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर की समझ कितनी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत किसान की आय तीन गुना कर सकता है और यह लक्ष्य संभव है। उन्होंने इनपुट गुणवत्ता को एक प्रमुख चुनौती बताया और कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।
उद्योग और संस्थाओं की भूमिका पर चर्चा
धानुका एग्रीटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल धानुका ने कहा कि एफएओ के अनुसार भारत में कृषि रसायनों का उपयोग दुनिया में सबसे कम है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में इसका गलत उपयोग अभी भी समस्या है। उन्होंने जिम्मेदार इनपुट उपयोग के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को आवश्यक बताया।
पीएचडीसीसीआई के सीईओ और सचिव जनरल रंजीत मेहता ने सरकारी योजनाओं और डिजिटल कृषि मिशन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के लाभार्थी 1.7 करोड़ से अधिक हो चुके हैं और नेचुरल फार्मिंग क्लस्टर 7.5 लाख हेक्टेयर तक फैल चुके हैं। उन्होंने डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के निवेश, MAITRIs और AI सेंटर ऑफ एक्सिलेंस को किसानों तक सटीक सलाह पहुँचाने का महत्वपूर्ण माध्यम बताया।
समिट इस निष्कर्ष के साथ आगे बढ़ा कि भारत की कृषि जीडीपी को तीन गुना करने का लक्ष्य शोध, गुणवत्तापूर्ण इनपुट, संतुलित उपयोग और लागत कम करने वाली प्रणालियों के संयुक्त प्रयास से ही प्राप्त किया जा सकता है।
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