‘लखपति दीदी’ बनाने की दिशा में बड़ा कदम: महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
29 जून 2024, नई दिल्ली: ‘लखपति दीदी’ बनाने की दिशा में बड़ा कदम: महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन – ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने आज महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सेवा क्षेत्र के उद्यमों में शामिल करने पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, अतिरिक्त सचिव (ग्रामीण आजीविका) श्री चरणजीत सिंह ने कहा, “यह मिशन प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार लखपति दीदीयों को बनाने का प्रयास कर रहा है और यह सेवा क्षेत्र के उद्यमों की संभावनाओं की खोज करके इस पहल को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।”
श्री सिंह ने बताया कि सर्विस सेक्टर का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 50 प्रतिशत और रोजगार में 31 प्रतिशत का योगदान है, इसलिए एसएचजी समुदाय की व्यापक भागीदारी के लिए इस पर चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
महिला सशक्तिकरण की ओर एक और कदम
ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने कहा, “15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा लखपति दीदी बनाने की घोषणा और 11 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री की लखपति दीदियों के साथ परस्पर बातचीत के बाद, डीएवाई-एनआरएलएम इसे वास्तविकता बनाने के लिए प्रेरित हुआ है।”
सुश्री शर्मा ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि मांग आधारित आर्थिक कार्यकलापों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। इसके लिए डीएवाई-एनआरएलएम एसएचजी दीदियों को सफल सेवा क्षेत्र उद्यम बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा।
ग्रामीण आजीविका विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी ‘लखपति दीदी’ के सपने को साकार करने के लिए संयोजन महत्वपूर्ण है। “मंत्रालय अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह दीदियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हर संभव अवसर का लाभ उठाएगा,” उन्होंने कहा।
एसएचजी के सामने आने वाले अवसर, संभावनाएं और चुनौतियां
कार्यशाला का आयोजन सेवा क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों के समक्ष आने वाले अवसरों, संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा करने, स्वयं सहायता समूहों को सेवा उद्यमों में एकीकृत करने के सर्वोत्तम तरीकों की पहचान करने तथा विभिन्न हितधारकों के सहयोग से भविष्य की रणनीति और रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से किया गया था।
इस कार्यक्रम में ग्यारह मंत्रालयों, दस राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों और अन्य हितधारकों, सेक्टर कौशल परिषद, राष्ट्रीय संसाधन संगठनों और तकनीकी सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी के साथ विभिन्न सोच और विचारों पर खुली चर्चा की।
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