बाढ़-बारिश से 1 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद
18 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: बाढ़-बारिश से 1 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद – बारिश और बाढ़ के चलते फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। बीते कई सप्ताह से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में फसल पानी में डूब गई हैं। त्रिपुरा राज्य के अधिकारियों ने कहा है कि राज्य में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र को बारिश और बाढ़ से 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। जबकि, 1 लाख लोगों के घर नष्ट हो गए हैं, जिससे वो बेघर हो गए हैं।
त्रिपुरा के कृषि और किसान कल्याण सचिव अपूर्व रॉय ने बताया कि अगस्त में राज्य भर में आई बाढ़ के कारण त्रिपुरा में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों को 2,024 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि 19 अगस्त से 24 अगस्त के बीच आई बाढ़ से कुल 36 लोगों की जान चली गई, जबकि एक लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं।
1284 करोड़ रुपये की फसलें नष्ट
कृषि और किसान कल्याण सचिव ने कहा कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए अंतिम आकलन से पता चला है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में कुल नुकसान 2024 करोड़ रुपये का हुआ है। इसमें से अकेले खेती-किसानी को 1,284 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
2.66 लाख किसानों की 1 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद
सचिव अपूर्व रॉय ने कहा कि बाढ़ से कुल 2.66 लाख किसान प्रभावित हुए हैं, जबकि लगभग 1.03 लाख हेक्टेयर में फैली फसल को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा आकलन के आधार पर विभाग ने राजस्व विभाग को कुल 128.80 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी करने को कहा है।उन्होंने कहा कि 113 करोड़ रुपये कृषि क्षेत्र के लिए और 15.80 करोड़ रुपये बागवानी और बागवानी फसलों के लिए आवंटित किए गए हैं।
बीमा कंपनियों को किसानों का मुआवजा देने के निर्देश
सचिव ने कहा कि सरकार ने अंतरिम राहत के तौर पर 20 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न माध्यमों से किसानों की मदद के लिए एक दीर्घकालिक योजना भी बनाई जा रही है। ताकि किसानों के नुकसान की भरपाई की जा सके. जिन किसानों ने फसल बीमा कराया है उन्हें मुआवजा देने के लिए संबंधित कंपनियों को निर्देश जारी किए गए हैं।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: