1.42 लाख गांवों में पहुंचे 1.34 करोड़ किसान: विकसित कृषि संकल्प अभियान बना देशव्यापी कृषि बदलाव का आधार
20 जून 2025, नई दिल्ली: 1.42 लाख गांवों में पहुंचे 1.34 करोड़ किसान: विकसित कृषि संकल्प अभियान बना देशव्यापी कृषि बदलाव का आधार – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित कृषि संकल्प अभियान को देश में किसानों से सीधा संवाद स्थापित करने वाला ऐतिहासिक अभियान बताया। उन्होंने कहा कि यह कोई एकबार की कवायद नहीं, बल्कि भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में शुरू हुआ एक सतत आंदोलन है।
अभियान के अंतर्गत वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों और विशेषज्ञों की 2,170 टीमों ने देशभर के 1.42 लाख से अधिक गांवों का दौरा किया और 1.34 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद किया। इस व्यापक जनभागीदारी वाले अभियान में राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय व राज्य मंत्री, सांसद, विधायक और बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि भी जुड़े।
खेतों में उपस्थिति होगी अनिवार्य, केवीके होंगे जिला स्तरीय नोडल केंद्र
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि की सच्चाई जानने के लिए वातानुकूलित दफ्तरों में बैठने से काम नहीं चलेगा। अब ज़मीन से जुड़ाव मंत्रालय की कार्यप्रणाली का केंद्र बनेगा। उन्होंने घोषणा की कि देश के सभी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) को नोडल एजेंसी बनाया जाएगा। इनके वैज्ञानिकों को सप्ताह में कम से कम तीन दिन खेतों में बिताना अनिवार्य होगा। स्वयं मंत्री हर सप्ताह दो दिन खेतों में जाकर किसानों से सीधे संवाद करेंगे।
इसके साथ ही, कृषि संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए एक केंद्रीय समन्वय तंत्र स्थापित किया जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) प्रत्येक राज्य में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा जो अनुसंधान, राज्य की समस्याएं और राज्य सरकारों से समन्वय का कार्य संभालेंगे। इससे क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार समाधान तैयार करना संभव हो सकेगा।
बीज और कीटनाशकों की गुणवत्ता पर कड़ा रुख
अभियान के दौरान किसानों द्वारा सबसे अधिक उठाई गई चिंताओं में घटिया बीज और कीटनाशक शामिल रहे। मंत्री ने कहा कि बीज अधिनियम को सख्त किया जाएगा और गुणवत्ता नियंत्रण व्यवस्था को मज़बूत बनाया जाएगा, जिससे किसानों को केवल प्रमाणित और उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट्स ही प्राप्त हों।
उन्होंने कहा कि अनुसंधान प्रयोगशालाओं और खेतों के बीच की दूरी को पाटना आज की प्राथमिकता है। अब उद्देश्य है — उत्पादकता बढ़ाना, लागत कम करना, और खेती को हर किसान के लिए लाभदायक और टिकाऊ बनाना।
रबी में होगा अभियान का दूसरा चरण, फसल-विशेष योजनाएं शुरू
मंत्री ने जानकारी दी कि यह अभियान रबी सीजन में फिर से शुरू किया जाएगा। सोयाबीन के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की गई है, जिसके तहत 26 जून को इंदौर में एक बड़ी स्टेकहोल्डर बैठक आयोजित की जाएगी। इसके बाद कपास, गन्ना, दलहन और तिलहन जैसी अन्य फसलों के लिए भी मिशन चलाए जाएंगे।
इससे पहले 24 जून को पुसा संस्थान, नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय स्तर की बैठक होगी, जिसमें वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी और राज्य कृषि मंत्री शामिल होंगे। इस बैठक में अब तक की प्रगति की समीक्षा की जाएगी और भविष्य की अनुसंधान दिशा और संरचनात्मक सुधारों पर चर्चा होगी।
जनजातीय और पिछड़े क्षेत्रों तक पहुंच बना अभियान की बड़ी सफलता
इस अभियान ने देश के उन क्षेत्रों तक भी पहुंच बनाई, जिन्हें अब तक कृषि योजनाओं में अपेक्षाकृत कम प्राथमिकता मिलती थी।
177 जनजातीय जिलों में 1,024 ब्लॉकों में 8,000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनसे लगभग 18 लाख किसान जुड़े।
112 आकांक्षी जिलों में 6,800 गांवों में संपर्क साधा गया, जिससे लगभग 15 लाख किसान लाभान्वित हुए।
लगभग 100 सीमा जिलों और सुदूरवर्ती “वाइब्रेंट विलेज” में भी कार्यक्रम आयोजित कर अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित की गई।
किसान चौपालों से निकली ज़मीनी सुझावों की दिशा
किसान चौपाल अभियान का सबसे प्रभावशाली पहलू रहा, जहां वैज्ञानिकों और किसानों के बीच प्रत्यक्ष संवाद हुआ। इन बैठकों में फसल चयन, बीज किस्में, कीट प्रबंधन और मृदा स्वास्थ्य जैसे विषयों पर चर्चा हुई। इससे दो प्रमुख निष्कर्ष सामने आए — एक, अनुसंधान की दिशा ज़मीनी हकीकत से तय होनी चाहिए और दो, किसान स्वयं एक नवाचारकर्ता है।
किसानों ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए जैसे कि जलवायु परिवर्तन पर समेकित कार्य योजना, जैविक खेती का प्रमाणन सरल बनाना, चारे की समग्र नीति, और एफपीओ को अधिक व्यवहारिक बनाना। मंत्री ने आश्वासन दिया कि इन सुझावों को आने वाली नीतियों में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, “खेत ही सबसे सच्ची प्रयोगशाला है, और किसान की आवाज़ ही हमारी दिशा तय करेगी।”
कृषि का भविष्य: एक राष्ट्र – एक कृषि – एक टीम
मंत्री ने बताया कि बीते 11 वर्षों में देश का अनाज उत्पादन 40% तक बढ़ा है, जो निरंतर और रणनीतिक नीति का परिणाम है। भारत को वैश्विक खाद्य टोकरी के रूप में उभरना होगा, इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए खाद्य सुरक्षा, पोषण उपलब्धता, और लाभकारी खेती सुनिश्चित करना सरकार का संकल्प है।
उन्होंने “एक राष्ट्र – एक कृषि – एक टीम” की परिकल्पना साझा की, जिसमें किसान, वैज्ञानिक, संस्थान और नीति निर्माता मिलकर कृषि को विकसित और समृद्ध बनाएंगे। इस अवसर पर कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जात भी उपस्थित थे।
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