ट्रॉपिकल एग्रो ने लॉन्च किया ‘सवाल कल का है’ कैंपेन, किसानों को सशक्त बनाने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने की पहल
17 जून 2025, चेन्नई: ट्रॉपिकल एग्रो ने लॉन्च किया ‘सवाल कल का है’ कैंपेन, किसानों को सशक्त बनाने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने की पहल – ट्रॉपिकल एग्रोसिस्टम (इंडिया) प्रा. लि. ने एक सशक्त राष्ट्रीय अभियान ‘सवाल कल का है’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना है, ताकि दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस अभियान के जरिए कंपनी पर्यावरण अनुकूल खेती के तरीकों को प्रोत्साहित कर रही है, साथ ही उपभोक्ताओं से भी आग्रह कर रही है कि वे जिम्मेदारी से सोच-समझकर खाद्य विकल्प अपनाएं जो लोगों और पर्यावरण – दोनों के लिए लाभदायक हों।
अभियान का मूल संदेश है – “सवाल सिर्फ आज का नहीं, हर आने वाले कल का है।” यह संदेश मृदा स्वास्थ्य की रक्षा, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और खाद्य प्रणाली के भविष्य को सुरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है। यह पहल किसानों और उपभोक्ताओं – दोनों से सामूहिक ज़िम्मेदारी लेने का आह्वान करती है, यह रेखांकित करते हुए कि टिकाऊपन की शुरुआत मिट्टी से होती है और अंत हमारे खाने की थाली तक।
1969 में स्थापित और झावेरी समूह (Jhaver Group) का हिस्सा, ट्रॉपिकल एग्रो भारत की सबसे तेजी से बढ़ती कृषि-इनपुट कंपनियों में से एक है। कंपनी का वार्षिक कारोबार लगभग 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर है और इसके पोर्टफोलियो में रासायनिक, जैविक और ऑर्गेनिक समाधान शामिल हैं। ट्रॉपिकल एग्रो इस क्षेत्र में शीर्ष दो भारतीय ब्रांडों में से एक है।
कंपनी के पोर्टफोलियो में जैविक और ऑर्गेनिक उत्पादों की हिस्सेदारी अब 20% तक पहुंच गई है, जो इसके टिकाऊ कृषि पर बढ़ते फोकस को दर्शाता है। बीज उपचार, फसल सुरक्षा, पोषण और फसल कटाई के बाद के समाधान प्रदान करने के साथ-साथ, कंपनी किसानों को रसायनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए प्रशिक्षित भी करती है। यह नया अभियान मृदा स्वास्थ्य, उत्पादन क्षमता और जलवायु परिवर्तन के प्रति खेती की सहनशीलता बढ़ाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
ट्रॉपिकल एग्रो ने अपने नवाचार के तहत Tag Stem Lee और Tag Proxy जैसे पेटेंट उत्पादों सहित कई उन्नत समाधान पेश किए हैं, जो न केवल फसलों की रक्षा करते हैं, बल्कि मिट्टी को भी पुनर्जीवित करते हैं।
#सवालकलका है अभियान यह संदेश फैलाना चाहता है कि हमारी रोजमर्रा की खाद्य पसंद सीधे तौर पर खेतों की खेती पद्धतियों से जुड़ी होती हैं। भावनात्मक कहानी और प्रभावशाली “Food to Farm” दृष्टिकोण के साथ तैयार इस अभियान की फिल्म दिखाती है कि कैसे खाद्य पदार्थ मिट्टी से थाली तक का सफर तय करते हैं – और कैसे एक सूचित उपभोक्ता का चुनाव व्यक्ति, परिवार और पर्यावरण – तीनों के लिए बदलाव ला सकता है।
दो मिनट की यह फिल्म एक आम सवाल से शुरू होती है जो हर भारतीय घर में गूंजता है – “खाने में क्या है?” – और एक मां की कहानी दिखाती है, जो अपने बच्चे के लिए अस्वस्थ विकल्पों की जगह पौष्टिक खाद्य पदार्थों को चुनती है। फिल्म इस बात पर बल देती है कि यह सवाल सिर्फ आज का नहीं, बल्कि आने वाले हर कल का है। इसके बाद दृश्य खेतों की ओर मुड़ते हैं, जहां ट्रॉपिकल एग्रो के टिकाऊ समाधान – बीज उपचार से लेकर कटाई के बाद तक – किसानों को अधिक पोषणयुक्त फसलें उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। फिल्म का संदेश स्पष्ट है – आज के चुनाव कल की खाद्य प्रणाली को आकार देंगे।
ट्रॉपिकल एग्रोसिस्टम (इंडिया) प्रा. लि. के संस्थापक वी. के. झावेरी ने कहा, “हमारे लिए टिकाऊपन सिर्फ एक शब्द नहीं, एक जिम्मेदारी है। ‘#सवालकलका है’ अभियान किसानों और उपभोक्ताओं – दोनों के लिए एक आह्वान है कि वे सोच-समझकर ऐसे चुनाव करें जो एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करें। हम ऐसी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारे ग्रह, हमारे खाद्य तंत्र और किसानों की आजीविका की रक्षा करें। यह सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक लंबी और प्रेरणादायक यात्रा की शुरुआत है।”
ब्रांडिंग एवं कम्युनिकेशन की जनरल मैनेजर चंद्रिका रोड्रिग्स ने कहा, “टिकाऊपन हमारी हर गतिविधि का मूल है। ‘#सवालकलका है’ के माध्यम से हम ग्रामीण खेतों और शहरी उपभोक्ताओं की थाली के बीच की दूरी को पाटना चाहते हैं। हम लोगों में जागरूकता और भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाकर एक ऐसे खाद्य तंत्र की ओर बढ़ना चाहते हैं जो अधिक स्वस्थ और सहनशील हो।”
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