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भारतीय कृषि के विकास में फसल संरक्षण उद्योग की भूमिका पर हुआ राष्ट्रीय सम्मेलन

नई दिल्ली में हुई क्रॉपलाइफ इंडिया की 44वीं एजीएम

26 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: भारतीय कृषि के विकास में फसल संरक्षण उद्योग की भूमिका पर हुआ राष्ट्रीय सम्मेलन – कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना , फसल संरक्षण उद्योग के लिए नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना और IPMS और ड्रोन जैसी तकनीक को बढ़ावा देने जैसे ज्वलंत मुद्दों पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ l क्रॉपलाइफ इंडिया की 44वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के अवसर पर हुई  इस  कांफ्रेंस में  प्रिसिजन एग्रीकल्चर , रेगुलेटरी पालिसी  और कृषि विकास में ग्लोबल  साझेदारियों पर भी चर्चा हुई l इसमें भारत सरकार के कृषि राज्य मंत्री द्वय श्री रामनाथ ठाकुर एवं श्री भागीरथ चौधरी, कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री फैज़ अहमद किदवई, एग्रोकेमिकल उद्योग जगत के शीर्ष प्रतिनिधि और विशेषज्ञ एक साथ आए। इस सम्मेलन का विषय था, “साझेदारी के माध्यम से समृद्धि को बढ़ावा देना: भारतीय कृषि के विकास में फसल संरक्षण उद्योग की भूमिका”।

सम्मेलन में सरकार और एग्रोकेमिकल क्षेत्र के प्रमुख लोगों ने भारत के कृषि भविष्य को आकार देने वाली नीतियों और तकनीकों पर चर्चा की जिसमें विशेष रूप से फसल सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया गया।

केंद्रीय  कृषि राज्य मंत्री श्री ठाकुर ने कहा, “किसानों के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए, क्योंकि वे विभिन्न मौसम और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद हर साल खेती करते रहते हैं।” उन्होंने क्रॉप लाइफ एसोसिएशन से मिट्टी की सेहत सुधारने को प्राथमिकता देने का आग्रह किया, क्योंकि वर्तमान स्थिति चिंताजनक है।

कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2047 तक कृषि के योगदान को 7-8% तक बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने में किसान-केंद्रित समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया। कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री किदवई ने इस दिशा में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को रेखांकित करते हुए  एकीकृत कीट प्रबंधन प्रणाली (IPMS) और राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (NPSS) के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि 20,000 किसान पहले ही NPSS के लिए पंजीकरण कर चुके हैं और ऐप के लाभों का लाभ उठाने के लिए और अधिक किसानों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

क्रॉपलाइफ इंडिया के महासचिव दुर्गेश चंद्रा ने कहा, “जैसे-जैसे भारत खुद को एक वैश्विक खाद्य हब के रूप में स्थापित कर रहा है, फसल सुरक्षा क्षेत्र के लिए विज्ञान-आधारित नीतियों और नियामक ढांचे की स्थिरता और भविष्यवाणी स्थापित करना महत्वपूर्ण है। इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और किसानों द्वारा सामना की जा रही मौजूदा और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए नई तकनीकों की शुरुआत होगी। साथ मिलकर हम एक समृद्ध कृषि भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।”

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