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प्लास्टिक मल्चिंग पेपर पर मिले प्याज का अधिक उत्पादन

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12 जनवरी 2023,  सूरत ।  प्लास्टिक मल्चिंग पेपर पर मिले प्याज का अधिक उत्पादन – कई किसान प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक की संभावित लागत से डरते हैं, लेकिन इसे लागू करने में प्रति एकड़ पंद्रह हजार तक का ही  खर्च आता है, जबकि  इससे भी ज्यादा खर्च निराई-गुड़ाई, दवाई, खाद में होता है। प्याज की खेती  रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है। भारत में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है। वहीं मध्य प्रदेश का दूसरा नंबर है। यहां देश का लगभग 40 फीसदी प्याज का उत्पादन होता है। महाराष्ट्र के किसान प्याज की तीन फसल लेते है। अर्ली खरीफ, खरीफ और रबी सीजन की।

आवश्यक जलवायु

प्याज की बढ़वार  के लिए शुरू में ठंडी (12.8 से 21.2 डिग्री सेंटीगे्रट) और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। लेकिन प्याज को बढ़ते समय अधिक गर्मी और धूप की जरूरत होती है। इसी तरह हवा में नमी 70 प्रतिशत तक हो। एक या अधिक बारिश इस फसल के लिए हानिकारक होती है। प्याज के सर्वोत्तम विकास के लिए रात को 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है। 11-12 घंटे की साफ धूप और 70-75 प्रतिशत नमी जरुरी है।

भूमि  का चयन

प्याज की फसल की अच्छी जल निकासी के लिए हल्की से मध्यम भारी मिट्टी का चयन करना चाहिए। मिट्टी का पीएच 6.5-7 के बीच हो। हल्की मिट्टी में जैविक खाद के प्रयोग से बेहतर उपज मिलती है। प्याज की फ़सलें खराब जल निकासी वाली मिट्टी में नहीं लगायें क्योंकि ऐसी मिट्टी पौधों की वृद्धि को रोकती है। खरीफ सीजन में प्याज की फसल के लिए भारी मिट्टी का चयन नहीं करें।

प्याज की खेती का सही समय

किसान भाई प्याज की खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में कर सकते है।

खरीफ सीजन

इस सीजन के लिए प्याज की बुवाई/रोपाई अगस्त और सितंबर महीने के प्रारंभिक सप्ताह में कर सकते है जो दिसंबर और जनवरी के बीच आ जाती है।

रबी सीजन

यदि किसान रबी के सीजन में इसकी खेती करना चाहते हैं तो वे दिसंबर और जनवरी में प्याज की रोपाई कर सकते हैं। रबी मौसम में प्याज की खेती करना काफी उत्तम समय होता है।

भूमि कैसे तैयार करें

प्याज की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत की 15-20 सेमी खोल गहरी जुताई कर कुछ समय के लिए खेत को खुला छोड़ दें। गहरी जुताई के बाद अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद और कंपोस्ट 3-4 ट्रॉली प्रति एकड़ जमीन में दें। बाद में रोटावेटर चलाकार खाद को मिक्स कर दें और मिट्टी को भुरभुरा बनायें।

भूमि की तैयारी

प्याज की फसल दो तरीके से ली जाती है। एक तो प्लास्टिक मल्च के साथ और दूसरा बिना प्लास्टिक मल्च के। ट्रैक्टर के साथ बनाये हुए बेड सही रहते हैं। बेड बनाने के लिए आपको 4 से 4.5 फिट का बेड बनाना है।

आधार खाद कितना डालें

रासायनिक खाद के रूप में आपको अपनी मिट्टी का परीक्षण करवा के जिन पोषक त्तत्वों की कमी हो रही है वो एनपीके खाद आप खेत में डाल कर खाद की पूर्ति कर सकते हैं।

ड्रिप और मल्चिंग

आधार खाद डालने  के बाद में बेड बनाएं। बेड बनाने के बाद 16 एमएम वाली दो ड्रिप लाइन को बेड के ऊपर बिछा दें। उसके बाद अच्छी गुणवत्ता वाली ग्रोईट प्री होल प्लास्टिक मल्चिंग फिल्म,जो मल्च फिल्म ङ्क प्रोटेक्टेड है, उसकी स्ट्रेंथ अच्छी है, कलर की चमक  अच्छी है, ऐसी प्लास्टिक फिल्म का चयन करें जिससे पौधों का विकास अच्छा होगा, खरपतवार से सम्पूर्ण सुरक्षा मिले, वाइट रूट का अच्छा विकास होने से खाद और दवाइयों का खर्चा कम रहता है इसीलिए अच्छी गुणवत्ता वाली प्लास्टिक फिल्म का चयन करें और बेड के ऊपर बिछा दें। उसके बाद पौधों की बेड के ऊपर रोपण कर दें। इसमे ग्रोईट प्री होल मल्चिंग है जैसे की अगर आप बिना मल्चिंग प्याज की खेती करते हैं तो पौधों की संख्या कम आती है अगर ग्रोईट प्री होल मल्चिंग के साथ खेती करते हैं तो पौधों की संख्या बढ़ जाती है। इसमे 4ङ्ग4 इंच की दूरी पर होल रहता है,जैसे कि एक सतह में 10 होल आते हंै और पूरे 400 मीटर में 35000 होल आते हैं। एक समान खेती से प्याज का एक समान आकार और अच्छी गुणवत्ता भी प्राप्त होती है। ड्रिप के पाइप बिछाने के बाद लेबर के साथ मल्चिंग पेपर बिछा दें। यह मल्चिंग पेपर को तान देकर बिछाएं और बाजू से मिट्टी से पेपर को दबा दें ताकि मल्चिंग पेपर हिल ना सके।

रोपाई

पौधे तैयार होने के बाद, उनके ऊपर का भाग काट दिया जाता है और 0.1 प्रतिशत कार्बेंडाजिम के घोल में डूबोकर पौधों की रोपाई कर दें। बाद में आपको पूरा फर्टिगेशन शेड्युल ड्रिप इरीगेशन द्वारा देना है।

प्याज के पौधों की सिंचाई

नर्सरी रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर दें। सर्दी में सिचाई करीब 8 से 10 दिन के अंतराल में करें तथा गर्मी में प्रति सप्ताह सिंचाई की जरुरत होती है। जिस समय प्याज का कंद बढ़ रहा हो उस समय सिंचाई जल्दी करते रहें। अगर पानी की कमी रहेगी तो कंद अच्छी तरह से नहीं बढ़ पायेगा। प्याज फसल के लिए ड्रिप द्वारा सिंचाई उत्तम मानी गई है।

फसल की कटाई

जब पौधों के तने सूखने लगें और सूखकर तना पीछे मुडऩे लगे तब प्याज के पत्तों की कटाई करें और मल्चिंग पेपर को इक_ा करें। बाद में प्याज को इक_ा करें। प्लास्टिक मल्चिंग की वजह से प्याज की फसल की कटाई सरल हो जाती है। प्याज के कंदों को खुरपी की सहायता से उखाडऩा नहीं पड़ता। मल्चिंग की वजह से जमीन नमी बरकरार रहती है।

उत्पादन

अगर फर्टीगेशन शेड्यूल अच्छा है, कीट  और रोग का प्रबंधन अच्छे से किया हो तो 170-200 क्विंटल यानी 17-20 टन प्रति एकड़ तक का उत्पादन मिलता है। अगर आप ग्रोईट प्री होल प्लास्टिक मल्चिंग फिल्म का उपयोग करते हंै तो 20-25 टन प्रति एकड़ तक उत्पादन मिल सकता है।

एग्रोनॉमिस्ट टीम ग्रोईट इंडिया प्रा. लि., सूरत

 

प्याज में ग्रोईट प्री होल प्लास्टिक मल्चिंग क्या फायदे हैं?

  • प्रति एकड़ पौधों की संख्या बढ़ जाती है।
  • प्रति एकड़ पौधों की संख्या बढऩे से उत्पादन में 30-50 प्रतिशत की वृद्धि।
  • पौध गलन रोग नहीं होता है।
  • कम समय में फसल तैयार हो जाती है।
  • प्याज में एक जैसी चमक और रंग आता है।
  • प्याज की भंडारण क्षमता बढ़ती है।
  • खरपतवार से बचाव होता है,इससे निराई-गुड़ाई का खर्चा कम हो जाता है।
  • पौधों की जड़ों का विकास अच्छी तरह से होता है।
  • मल्चिंग से मिट्टी में नमी बरकरार रहती है।
  • मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण नहीं होने पाता है।
  • पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।
बीज की मात्रा

3 से 3.5 किलो प्रति एकड़।

नर्सरी प्रिपरेशन

प्याज के बीज को क्यारियों पर ही बोना चाहिए। नर्सरी तैयार करने के लिए 40-45 दिन लगते हंै।

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