आईसीएल और बायोप्राइम मिलकर भारत में लाएँगे ‘बायोनेक्सस’ समाधान
मिट्टी ,फसल की सेहत सुधारने हुई साझेदारी
13 सितम्बर 2025, पुणे: आईसीएल और बायोप्राइम मिलकर भारत में लाएँगे ‘बायोनेक्सस’ समाधान – मिट्टी और फसल स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आईसीएल ने बायोप्राइम के साथ दीर्घकालिक साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत बायोप्राइम के बायोनेक्सस प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित नवीन कृषि समाधान अब भारतीय किसानों तक पहुँचेंगे।
जानकारी के अनुसार, यह बायोप्राइम की बायोनेक्सस लाइब्रेरी के लिए पहली साझेदारी है। इस लाइब्रेरी में 18,000 से अधिक अनूठे माइक्रोबियल स्ट्रेन्स मौजूद हैं। प्रत्येक स्ट्रेन की विशेषताएँ अलग-अलग हैं और इन्हें विशेष रूप से मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने व फसलों की सेहत बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से भारत में सतत कृषि को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
साझेदारी की शुरुआत उन उत्पादों से होगी जो पोषक तत्व उपयोग दक्षता (NUE) बढ़ाने पर केंद्रित हैं। पहले चरण में फॉस्फोरस (P) और जिंक (Zn) की दक्षता पर ध्यान दिया जाएगा — ये दोनों पोषक तत्व भारतीय किसानों के लिए महंगे और सीमित हैं। भारत दुनिया के कुल फॉस्फेट उपभोग का लगभग 12% हिस्सा खाता है, फिर भी आयात पर भारी निर्भर है, और मिट्टी की परिस्थियों के कारण डाले गए फॉस्फोरस का लगभग 85% बह जाता है। वहीं देश की लगभग 48% मिट्टियाँ जिंक की कमी से प्रभावित हैं, और यह प्रतिशत घटती उपजाकुशलता के कारण 63% तक पहुँच सकता है, खासकर दक्षिणी राज्यों में।
भारत में फॉस्फोरस की एक खास समस्या यह है कि यहाँ अधिकांश P, लोहे (Fe) और एल्युमिनियम (Al) से बँध जाता है; अन्य जगहों पर यह कैल्शियम (Ca) के साथ जुड़ता है। इसलिए आज उपलब्ध समाधान इन Fe/Al बाँधों से फॉस्फोरस निकालने में असर नहीं दिखा पाते और फॉस्फोरस उपयोग दक्षता (PUE) घटती चली जाती है।
पोषक तत्व दक्षता पर रहेगा शुरुआती फोकस
साझेदारी की शुरुआत उन उत्पादों से होगी जो फसलों में पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता (NUE) बढ़ाएँगे। पहले चरण में ध्यान फॉस्फोरस (P) और जिंक (Zn) पर रहेगा। ये दोनों पोषक तत्व भारतीय किसानों के लिए महंगे और सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं।भारत की विश्व में कुल फॉस्फेट उपभोग की लगभग 12% हिस्सेदारी है, लेकिन इसके लिए आयात पर काफी निर्भर रहता है। स्थिति यह है कि मिट्टी की परिस्थितियों के कारण किसानों द्वारा डाला गया करीब 85% फॉस्फोरस बेकार चला जाता है। इसी तरह, देश की लगभग 48% भूमि जिंक की कमी से जूझ रही हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि खासकर दक्षिणी राज्यों में यह कमी फसल उत्पादन की घटती दक्षता के कारण 63% तक पहुँच सकती है।
भारत में फॉस्फोरस की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यहाँ अधिकांश फॉस्फोरस लौह तत्त्व (Fe) और एल्युमिनियम (Al) से बंधकर मिट्टी में ही रह जाता है। दूसरी जगहों पर यह समस्या कैल्शियम (Ca) के साथ देखने को मिलती है। मौजूदा समाधान इन तत्वों से फॉस्फोरस को मुक्त नहीं कर पाते, जिससे फॉस्फोरस उपयोग दक्षता (PUE) लगातार घटती जा रही है।
फॉस्फोरस और जिंक पर सीधा असर दिखाएँगे नए स्ट्रेन्स
बायोनेक्सस प्लेटफ़ॉर्म ने कुछ विशेष माइक्रोबियल स्ट्रेन्स की पहचान की है, जो मिट्टी में लोहे (Fe) और एल्युमिनियम (Al) से बँधे फॉस्फोरस को सक्रिय कर सकते हैं। शुरुआती नतीजों में इन स्ट्रेन्स ने फॉस्फोरस उपयोग दक्षता 2 से 3 गुना तक बढ़ाने की क्षमता दिखाई है।इसी तरह, प्लेटफ़ॉर्म ने ऐसे स्ट्रेन्स भी उपलब्ध कराए हैं जो मिट्टी में जिंक को 65–70% तक घुलनशील बना सकते हैं। इससे पौधों को जिंक आसानी से मिल पाएगा और उनकी वृद्धि बेहतर होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये समाधान किसानों को खाद का अधिक सही और किफ़ायती उपयोग करने में मदद करेंगे। इससे पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ेगी, बर्बादी कम होगी और उत्पादन में निरंतरता व गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी।
आईसीएल की भारत में लंबे समय से मौजूदगी और मजबूत वितरण नेटवर्क के चलते, ये उत्पाद देशभर के किसानों तक पहुँचाए जाने की योजना है।
बायोप्राइम एग्रीसॉल्यूशंस की सह-संस्थापक और सीईओ रेणुका करंदीकर ने कहा:
“हमारा मिशन हमेशा से कृषि की सबसे कठिन चुनौतियों का समाधान करने के लिए जैविक शक्ति का उपयोग करना रहा है। आईसीएल के साथ यह साझेदारी एक रणनीतिक कदम है, जो हमें भारत के किसानों तक ‘बायोनेक्सस प्लेटफ़ॉर्म’ पहुँचाने में मदद करेगी। आईसीएल की विशेषज्ञता और वितरण नेटवर्क इस दिशा में अहम भूमिका निभाएँगे। हमारा लक्ष्य है पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता और मृदा स्वास्थ्य में सुधार करना तथा कृषि को एक अधिक लचीली प्रणाली में बदलना।”
आईसीएल ग्रोइंग सॉल्यूशन्स इंडिया के कंट्री लीड अनंत कुलकर्णी ने कहा:
“आईसीएल भारत में टिकाऊ कृषि को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम बायोफर्टिलाइज़र और अनुसंधान-आधारित WSF पोर्टफोलियो के माध्यम से बायोस्टिमुलेंट्स को फसल योजनाओं में शामिल कर रहे हैं। इससे किसानों की पैदावार और मुनाफा दोनों बढ़ेंगे। हमें विश्वास है कि बायोफर्टिलाइज़र भविष्य की खेती में अहम भूमिका निभाएँगे, जहाँ नवाचार और पर्यावरणीय जिम्मेदारी मिलकर देश की खाद्य सुरक्षा और विकास को मजबूत करेंगे।”
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