सोयाबीन का बेहतर खरपतवारनाशक ‘परस्यूट’
इंदौर। 150 साल पहले जर्मनी में स्थापित बीएएसएफ रसायन, प्लास्टिक, ऑइल व गैस तथा क्रॉप प्रोटेक्शन उत्पाद बनाती है। बीएएसएफ इण्डिया के ऐसे ही उत्पाद परस्यूट ने देश सहित हमारे प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाई है। सोयाबीन उत्पादक किसान जानते हैं कि उनके सोयाबीन के खेत में तीन बार खरपतवार निकलता है, पहले 5 से 10 दिन में, फिर 15 से 20 दिन में और तीसरी बार 40 से 45 दिन में। सोयाबीन का अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए इन खरपतवारों पर नियंत्रण जरूरी है। खरपतवार के कारण सोयाबीन उत्पादन की लागत बढ़ जाती है। हाथों से निंदाई के लिए मजदूर जुटाना पड़ते हैं। सोयाबीन फसल में पैदा होने वाले प्रमुख खरपतवार हैं- सांवा, बड़ी दूधी, छोटी दूधी, दिवालिया, बोखना, आधा सीसी, कुंजरू, चेंच व चिरपोटा। बीएएसएफ का परस्यूट अकेला ऐसा खरपतवारनाशक है, जो सोयाबीन की खड़ी फसल में लंबी व चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करता है। परस्यूट का सक्रिय तत्व है इमिजाथाइपर 10 प्रतिशत एलएल। यह पत्तों तथा जड़ों से क्रियाशील हो जाता है। परस्यूट उपयोग में भी आसान है। परस्यूट का 300 मिली प्रति एकड़ छिड़काव पर्याप्त है। एक एकड़ के छिड़काव के लिए 150 लीटर पानी में इसका घोल बनाया जाता है। छिड़काव का उपयुक्त समय है, जब चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार 2-3 पत्ती एवं संकरी पत्ती वाले 2-3 इंच के हों। जमीन में आवश्यकता अनुसार नमी हो। बीएएसएफ का समृद्धि हर्बिसाइड नोजल परस्यूट के छिड़काव को आसान बना देता है। यह ध्यान रखें कि छिड़काव के बाद एक घण्टे तक मौसम खुला रहें।