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आलू की फसल के लिए सर्वश्रेष्ठ उत्पाद : महावीरा जिरोन पावर प्लस

18 अक्टूबर 2025, इंदौर: आलू की फसल के लिए सर्वश्रेष्ठ उत्पाद : महावीरा जिरोन पावर प्लस – देश की प्रतिष्ठित कम्पनी आर एम फास्फेट्स एन्ड केमिकल्स प्रा. लि. का उत्पाद महावीरा जिरोन पावर प्लस एक ऐसा उत्पाद है , जिसमें 6 पोषक तत्वों का मिश्रण होने से यह न केवल आलू की बेहतर पैदावार देता है, बल्कि आलू की गुणवत्ता और उसके आकार में भी वृद्धि करता है। जिन किसानों ने आलू की फसल में इसका इस्तेमाल किया है, उन्हें बेहतरीन उत्पादन मिला है ।

उल्लेखनीय है कि  मध्य प्रदेश के हर जिले में आलू की फसल ली जाती है,लेकिन मालवा क्षेत्र में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहाँ के उन्नत किसान नई तकनीक से कुफरी चंद्रमुखी ,कुफरी अशोक, कुफरी चिप सोना -1 जैसी आलू की उन्नत किस्मों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करते हैं। आलू की बुवाई 15 अक्टूबर से 20 नवंबर तक कर दी जानी चाहिए।  उचित पोषक तत्व प्रबंधन से आलू की बेहतर पैदावार ली जा सकती है।

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महावीरा जिरोन पावर प्लस  की विशेषताएं – कम्पनी के सीनियर जीएम एवं हेड एग्रोनॉमिस्ट श्री प्रमोद कुमार पांडेय ने इसकी विशेताएं  बताते हुए कहा  कि आर एम फास्फेट्स एन्ड केमिकल्स प्रा लि का उत्पाद  महावीरा जिरोन पावर प्लस सिंगल सुपर फास्फेट आलू की फसल के लिए सर्वश्रेष्ठ उर्वरक है।  यह 6 पोषक तत्वों कैल्शियम , फास्फोरस, सल्फर, बोरान ,मैग्नीशियम और ज़िंक का मिश्रण है, जिसमें 16  % फास्फोरस ,19 % कैल्शियम, 11 % सल्फर, 0.5  % मैग्नीशियम और 0.5  % ज़िंक के अलावा 0.20 % बोरान  होता है।  ये 6 पोषक तत्व आलू कंदों की गुणवत्ता, आकार और भंडारण क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं। आलू के लिए 5 बैग ( 250 किलो ) की मात्रा / एकड़ अनुशंसित की गई है। इससे किसान को आलू की बेहतर पैदावार मिलती है। बड़े और चमकदार आलू का किसानों को दाम भी बढ़िया मिलता है।महावीरा जिरोन पावर प्लस से आलू का उत्पादन 120 से 145  क्विंटल / एकड़  संभावित है।  विभिन्न कृषि अनुसन्धान संस्थानों के अनुसार महावीरा जिरोन पावर प्लस आलू फसल के लिए सर्वश्रेष्ठ उत्पाद है।

महावीरा जिरोन पावर प्लस में पोषक तत्वों की भूमिका – महावीरा जिरोन पावर प्लस  6  पोषक तत्वों के अद्भुत मिश्रण वाला ऐसा उत्पाद है , जिसमें विभिन्न पोषक तत्व आलू के उत्पादन  में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।  फास्फोरस की मौजूदगी से जड़ों का अधिक  विकास  होने से कंद बड़ी संख्या में और जल्दी बनते  हैं। जबकि कैल्शियम जड़ों के विकास में मदद करने के अलावा भंडारण क्षमता को भी बढ़ाता है। वहीं सल्फर ,आलू की फसल में नाइट्रोजन की क्षमता को बढ़ाता है , जिससे अधिक संख्या में कंद बनते हैं और अधिक उत्पादन  प्राप्त होता है । ज़िंक से रोग नियंत्रित  होते हैं। इस कारण कंद की उपज में वृद्धि होती है।  बोरान , फसल की रासायनिक क्रिया में तो सहयोग करता ही है , इसके कारण आलू में फटने की समस्या भी नहीं आती है। आलू की फसल में मैग्नीशियम अति आवश्यक है। इसमें मैग्नीशियम की छठे पोषक तत्व के रूप में अतिरिक्त उपस्थिति महावीरा जिरोन पावर प्लस को सर्वश्रेष्ठ उर्वरक का दर्ज़ा दिलाती है।

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डीएपी और महावीरा जिरोन पावर प्लस का तुलनात्मक अध्ययन –  डीएपी में जहां 18 % नाइट्रोजन होता है , जबकि महावीरा जिरोन पावर प्लस में यह नहीं पाया जाता है। डीएपी में जहां फास्फोरस 46  % पाया जाता है, जबकि महावीरा जिरोन पावर प्लस में इसकी मात्रा मध्यम होती है। दूसरी ओर महावीरा जिरोन पावर प्लस में सल्फर , ज़िंक, कैल्शियम , बोरान , मैग्नीशियम और पोटाश पाया जाता है , जो डीएपी में नहीं होता है।  इन पोषक तत्वों के कारण आलू की फसल बढ़िया होती है। सल्फर से कंद की गुणवत्ता बढ़ती है ,जबकि ज़िंक, कंदों के विकास और एंजाइम क्रिया में सहायक होता है। कैल्शियम से कंदों  में चमक आती है और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कंद को सेट होने और गुणवत्ता के लिए बोरान मदद करता है। मैग्नीशियम, आलू फसल में प्रकाश संश्लेषण और स्टार्च  बनाने में सहयोग करता है। महावीरा जिरोन पावर प्लस में पोटाश नहीं होने से इसकी पूर्ति  एमओपी से की जानी चाहिए।

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महावीरा जिरोन पावर प्लस के लाभ  – डीएपी से आलू के पौधे को सिर्फ नाइट्रोजन और फास्फोरस मिलता है , जबकि महावीरा जिरोन पावर प्लस में फास्फोरस के अलावा पांच अन्य आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व  ( माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ) भी होते हैं , जो फसल को लाभ पहुंचाते हैं। महावीरा जिरोन पावर प्लस के प्रयोग से आलू के कंदों का न केवल आकार बड़ा होता है , बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने  के साथ ही इसकी भंडारण क्षमता भी बढ़ जाती है। डीएपी के प्रयोग से आलू की फसल में ज़िंक , कैल्शियम और बोरान की कमी हो जाती है, जो कि आलू के अधिक उत्पादन के लिए आवश्यक है। इसकी पूर्ति महावीरा जिरोन पावर प्लस से हो जाती है।

आलू की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन (अनुशंसित उर्वरक की मात्रा KG 48 :40 :40 ) – बुवाई के समय महावीरा जिरोन पावर प्लस 250 किलो, एमओपी 66  किलो और यूरिया 35 किलो और सिमट्रॉन 4  किलो का इस्तेमाल करना चाहिए। फिर 25 -30  दिन के बाद 35  किलो यूरिया और 25 किलो मैग्नीशियम सल्फेट और 200  मिलीलीटर  बेलेको का प्रयोग करना चाहिए। 50 -55  दिन के बाद यूरिया 35 किलो, एमिट्रोन जेड 250 मि .ली.और बोरट्री 200  मिली  लीटर का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा जल घुलनशील उर्वरक 4 -5 ग्राम / लीटर पानी में 25 -30  दिन की अवधि में 19 :19 :19 , 45 -50  दिन की अवधि में 12 :61 :00 का , 50 -55 दिन की अवधि में  सीएन  +बी+00 :52 :34 तथा 80 -85 दिन की अवधि में 13 :00 :45 / 00 : 00 : 50 का छिड़काव अवश्य करें।  इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं। अधिक जानकारी के लिए कंपनी के कस्टमर केयर नंबर 8956926412  पर सम्पर्क करें।

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