कोरोना लॉकडाउन में करो छत पर बागवानी
- कृषि विज्ञान केन्द्र, मण्डला
25 मई 2021, मंडला। छत पर बागवानी करें – कृषि विज्ञान केन्द्र मण्डला के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. विशाल मेश्राम ने बताया कि वर्तमान में कोरोना के कारण निर्मित हुये लॉकडाउन की परिस्थिति में अधिकतर लोगों का घर से बाहर जाना अवरूद्ध हो गया है। जिसके कारण समय व्यतीत करना मुश्किल होता जा रहा है। काम के न होने और दिनभर खाली समय होने के कारण कई प्रकार के नकारात्मक विचार मन में आने से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो रहा है। साथ ही सोशल मीडिया जैसे व्हाटस ऐप, फेसबुक, समाचार चैनलों आदि में वर्तमान परिस्थति के भयावह तस्वीर सामने आने के कारण कई प्रकार के डर दिमाग में आने से मानसिक कमजोरी, तनाव, अवसाद की स्थिति स्वत: ही निर्मित होती है। ऐसी परिस्थतियों से स्वयं को बाहर निकालने के लिए अपने खाली समय में कलात्मक/नूतन कार्यों में व्यस्त करना एक मात्र विकल्प है।
ऐसा ही एक विकल्प छत पर बागवानी करके किया जा सकता है। इससे फायदा यह होगा कि कोरोना से बचने हेतु पोष्टिक और स्वास्थ्य वर्धक, संक्रमण रहित खाद्य सामग्रियों का सेवन स्वयं के द्वारा जैविक रूप से उगाई गई सब्जियों, फलों के द्वारा किया जा सकता है। लॉकडाउन की परिस्थिति में घर से नहीं निकलने के कारण घर-घर जाकर हाथ ठेलों से विक्रय की जा रही सब्जियों को क्रय करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है इससे कोरोना संक्रमण होने की संभावना बनीं रहती है। जबकि छत पर स्वयं के द्वारा उगाई गई सब्जियों में अपने विवेक से रासायनिक दवाओं, खादों के प्रयोग की जगह जैविक तरीके से उगाया जा सकता है।
उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया कि इस कार्य के लिए घरो में बेकार पड़ी वस्तुओं जैसे-प्लास्टिक की बाल्टी, प्लास्टिक के टब, कूलर के टूटे पानी के टब, पेन्ट के खाली डब्बे, सब्जी रखने वाले पुराने क्रैट, तेल के खाली टीन, प्लास्टिक के डब्बे, सीमेन्ट की खाली बोरियों का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही वर्तमान में प्लास्टिक के गहरे कैप्सूल आकार के गहरे गमले, ग्रो बेग्स, एचडीपीई के 240 जीएसएम के बाजार में या ऑनलाईन मार्केट से आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं।
बागवानी हेतु मिट्टी जैविक खाद कोको पिट की आवश्यकता होती है। खाद एवं मिट्टी के मिश्रण से तैयार गमले में बीज अथवा रोपणी में तैयार पौधा लगाया जा सकता है। इस प्रकार की बागवानी में छत पर ही उपयोग में लाये गमले अथवा ग्रो बैग के साईज 333 फिट में फलदार वृक्ष जैसे आम पपीता, नींबू, अनार, चीकू आदि भी तैयार कर सकते हैं।
छत पर बागवानी करने से बहुत अधिक फायदे होते हैं, एक तो हरी और रसायन मुक्त ताजी सब्जियां मिलती हैं जो कि मार्केट या मंडी में मिलना मुश्किल है इससे छत भी हरा-भरा रहता है, जिसकी वजह से यहां पर शाम के समय बैठ सकते हैं, व्यायाम कर सकते हैं और खुद को प्रकृति के नजदीक महसूस करते हैं। स्वयं से जैविक सब्जियां उगाकर खाने से मार्केट में मिलने वाली रसायन युक्त सब्जियों को खाने से होने वाली बीमारी से भी बचा जा सकता हैं। साथ ही अतिरिक्त सब्जियों का विक्रय करके आय भी प्राप्त की जा सकती है।
बागवानी करने से मन प्रसन्न रहता हैं और मानसिक अवसाद नहीं होता है। इस दौरान नित्य क्रिया कलाप जैसे:- सिंचाई, निंदाई, गुड़ाई आदि से शरीर की स्वत: ही कसरत हो जाती है जिससे शरीर निरोगी रहता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम केन्द्र के वैज्ञानिकों डॉ. विशाल मेश्राम, डॉ. आर.पी. अहिरवार., डॉ. प्रणय भारती, नीलकमल पन्द्रे, कु. केतकी धूमकेती द्वारा ऑनलाईन प्लेटफार्म के माध्यम से जिले के कृषकों एवं बागवानी में रूचि रखने वालों को प्रदाय किया जा रहा है। इस हेतु केन्द्र में 07642-260693 पर भी विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।