Horticulture (उद्यानिकी)

मध्य प्रदेश में 2 साल से नहीं हुआ उद्यानिकी कृषकों का फसल बीमा

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किसान परेशान, सरकार बनी मूकदर्शक

  • (विशेष प्रतिनिधि)

8 नवंबर 2021, भोपाल ।  मध्य प्रदेश में 2 साल से नहीं हुआ उद्यानिकी कृषकों का फसल बीमा किसानों को फसलों में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं उद्यानिकी फसलों के लिए मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू की है। परन्तु म.प्र. के उद्यानिकी किसान विगत 2 वर्षों से मौसम आधारित फसल बीमा योजना के लाभ से वंचित है। इसका मुख्य कारण कोरोना काल में बजट की कमी एवं टेंडर का न होना बताया जा रहा है। परन्तु इसमें किसानों का क्या दोष है वह नुकसान सहने को मजबूर है और सरकार मूकदर्शक बन तमाशा देख रही है। एक तरफ सरकारें दुहाई दे रही हैं कि किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए परम्परागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें भी अपनाना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ उनकी फसल सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है परन्तु सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है।

जानकारी के मुताबिक म.प्र. में रबी 2019-20 के बाद उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं हुआ है। 2 वर्ष बीत रहे हंै परन्तु उद्यानिकी कृषकों की सुध न सरकार ले रही है और न ही प्रशासन। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मौसम आधारित फसल बीमा योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू है। प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का क्षेत्र लगभग 22 लाख हे. है।

इसके तहत खरीफ में- संतरा, केला, पपीता, प्याज, मिर्च, बैंगन एवं टमाटर तथा रबी में- आलू, टमाटर, बैंगन, प्याज, फूलगोभी, मटर, धनिया, आम, अनार एवं अंगूर फसलें अधिसूचित की गई हैं। इन फसलों के लिए बीमित राशि का कृषक प्रीमियम अंश 5 प्रतिशत दिया जाता है तथा शेष राशि केन्द्र एवं राज्य सरकार बराबर-बराबर देती है।

सूत्रों के मुताबिक खरीफ 2020, रबी 2020-21, खरीफ 2021 एवं वर्तमान में चल रहे रबी 2021-22 में मौसम आधारित फसल बीमा नहीं हो पाया है।  इस बीच की अवधि में कोरोना की मार के साथ-साथ केला, प्याज, संतरा, मिर्च आदि फसलें खराब होने से किसानों को लाखों का चूना लग चुका है। विभाग का कहना है कि कई बार टेंडर जारी किए जा चुके हैं परन्तु शासन स्तर पर फैसला नहीं हो पाता है। कभी बजट की कमी आड़े आती है तो कभी टेंडर की अधिक दरें।

उद्यानिकी किसान फसल बीमा नहीं होने के कारण चिंतित अवश्य है, परन्तु सरकार को कोई चिंता नहीं है वह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के नारे के साथ कागजों में आमदनी दोगुनी करने के प्रयास कर रही है।

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