परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को प्रोत्साहन
3 साल तक किसानों को मिलेगी प्रति हेक्टेयर 5000 रुपये की सहायता
07 अगस्त 2024, भोपाल: परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को प्रोत्साहन – जैविक खेती, एक ऐसा उपाय है जो न केवल आर्थिक लाभ का स्रोत है, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षण प्रदान करता है। हाल ही में, मध्य प्रदेश सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना की घोषणा की है, जिसमें किसानों को 3 साल तक प्रति हेक्टेयर 5000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। जैविक खेती वह कृषि पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के स्थान पर प्राकृतिक साधनों का उपयोग किया जाता है। इसमें खेत की मिट्टी का उपजाऊपन, जैव विविधता और पर्यावरण की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। मध्यप्रदेश में जैविक खेती के प्रति किसानो को प्रोत्साहित करने के लिए किसानो के 500 समूह बनाये जायेगें और उन्हें खेती के तरीकों को सिखाने के साथ ही उपज की ब्रांडिंग और मार्केटिंग की व्यवस्था भी बताई जाएगी। इसके लिए सरकार द्वारा आउटसोर्स ऐजेंसियों का चयन किया जाएगा। आउटसोर्स ऐजेंसियों की जिम्मेदारी होगी कि वे प्रशिक्षण देने के साथ उपज की बिक्री का प्रबंधन भी करेंगें।
किसानों को मिलेगी सहायता
किसानो को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए प्रति हैक्टेयर पांच-पांच हजार रूपये तीन साल तक दिए जाएंगे। साथ ही खेती का पूर्ण रिकॉर्ड रखा जायेगा और उपज का जैविक प्रमाणीकरण भी किया जाएगा जिससे उपज का अच्छा मूल्य मिल सके। योजना के तहत किसानों के समूह ऐसे बनाए जाएंगे जिनसे 20 हेक्टेयर का क्षेत्र तैयार किया जा सके। 10 से 25 समूहों को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया जाएगा, जिसका अधिकतम क्षेत्रफल 500 हेक्टेयर होगा। किसानो को योजना का लाभ अधिकतम दो हैक्टेयर भूमि के लिए दिया जाएगा।
योजना के लाभ
आर्थिक सहायता – किसानों को प्रति हेक्टेयर 5000 रुपये की वित्तीय सहायता।
जैविक खेती के प्रमुख बिंदु –
- जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार अब सेवा प्रदाता का चयन करेगी।
- सेवा प्रदाता किसानो को एकत्रित करके समूह व क्लस्टर का निर्माण करेगें।
- किसानों को कृषक उत्पादक समूह या सहकारी समितियों का सदस्य बनाया जायेगा।
- उपज एकत्रीकरण, पैकिंग, विपणन, परिवहन आदि की व्यवस्था भी सेवा प्रदाता द्वारा की जाएगी।
- जैविक उत्पाद के प्रमाणीकरण करने की जिम्मेदारी भी आउटसोर्स एजेंसी की रहेगी।
कैसे ले योजना का लाभ
पंजीकरण- किसानों को जिला स्तर पर कृषि विभाग में पंजीकरण करना होगा।
जैविक खेती का प्रशिक्षण- योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के लिए किसानों को जैविक खेती पर प्रशिक्षण लेना होगा।
आवश्यक दस्तावेज- किसानों को भूमि का विवरण, फसल की जानकारी, और बैंक खाता विवरण, आवश्यक दस्तावेज और प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने होंगे।
निजी संस्थाओं की भागीदारी के लिए ईओआई जारी
प्रदेश में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, परम्परागत कृषि विकास योजना (पीके.व्ही.वाय.) के तहत निजी संस्थाएं भागीदारी करेगी।
कृषि संचालनालय द्वारा सेवा प्रदाता संस्थाओं के चयन के लिए ई-टेण्डर जारी किया गया है। जिसमें 2 सितम्बर 2024 तक https://mptenders.gov.in के माध्यम से प्रस्ताव शामिल किया जा सकता है। भारत सरकार द्वारा जारी पी.के.व्ही.वाय. की गाईड लाईन के मुताबिक कार्य करने के लिए संस्थाएं ईओआई करेंगी। प्रस्ताव 4 सितम्बर को खोले जाएंगे।
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