समस्या -समाधान
समस्या- मैंने पपीता लगाया है वृक्ष में पीली पत्ती कहीं-कहीं दिख रही हैं उपाय बतायें।
– राम खिलावन, छिंदवाड़ा
समाधान- पपीते की पत्तियों पर विषाणु रोग एवं पत्ती मुडऩ रोग आमतौर पर आते हैं और यदि समय से उपाय नहीं हो पाया तो सभी वृक्ष रोगग्रसित हो जाते हैं। यह दोनों बीमारी विषाणु अर्थात् वाईरस के द्वारा होती है और यह वाईरस पौधों पर रसचूसक कीटों के द्वारा फैलता जाता है। मोजेक रोग में पत्तियों पर धब्बे बन जाते हंै तथा पत्तियां सूख जाती है और पत्ती मोडक रोग में पत्तियां मोटी होकर टूटने लगती हैं शिरायें पीली तथा मोटी हो जाती हैं। पौधों में पोषक तत्व संचार पर इसका असर होता है पौधा बोना तथा फल छोटे-छोटे रह जाते हैं।
- रोग के प्रथम लक्षण देखने पर पौधा उखाड़ कर नष्ट करें।
- बगीचे में सफेद मक्खी की क्रियाशीलता पर नजर रखें और मेटासिस्टाक्स या मैलाथियान 1 मि.ली./ली. पानी में घोल बनाकर दो छिड़काव 10 दिनों के अंतर से करें।
- अंतरवर्तीय फसल के रूप में भिन्डी, मूंग, उड़द नहीं लगायें।
आम के प्रमुख रोग – नियंत्रण
समस्या- हमारे यहां प्याज की खुदाई शुरू है, अच्छे भंडारगृह के प्रमुख बिन्दुओं से अवगत करायेंं।
– गोवर्धन राय, पिपरिया
समाधान– प्याज भंडारण विभिन्न प्रकार से किया जाता है। एक आदर्श भंडारगृह के प्रमुख बिन्दु निम्नानुसार है।
- भंडार गृह का निर्माण ऊंची जगह पर किया जाना चाहिये।
- बड़े खपरों अथवा पक्की छत वाले भंडारगृह में उच्च तापमान से बचा जा सकता है।
- बीच की दीवार ऊंची तथा छत से अधिक ढलान होने से हवा का संचार अच्छा होता है।
- एक वर्ग मीटर में लगभग 750 किलो प्याज भंडारित करना चाहिये।
- यदि स्थान की कमी हो तो दो स्तरीय भंडारगृह का निर्माण किया जाये।
- सूर्य के प्रकाश तथा हवा के संचार की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाये।
समस्या-क्या गुलाब में भी गेरूआ रोग आता है कारण, लक्षण तथा रोकथाम के उपाय बतायें।
– हंसराम बघेल, रीवासमाधान – गुलाब पर भी अन्य फसलों की तरह गेरूआ रोग आता है जो एक प्रकार की फफूंद ‘फ्रेगमीडियम मुक्रनेटसÓ के कारण आती है अधिक आद्र्रता भरपूर ठंडक से यह रोग बढ़ जाता है।
निम्न लक्षण से पहचाने
- पत्तियों पर निचली सतह पर नारंगी भूरे रंग के स्पॉट दिखते हैं।
- छूने पर रोरी ऊंगली पर उभर आती है अन्य साधारण पत्तियों के धब्बों में ‘रोरीÓ नहीं लगती है।
- पत्तियों की ऊपरी त्वचा फट जाती है तथा पौधों को श्वसन तथा पोषक तत्वों के संचार में बाधा पड़ती है।
- प्रभावित पौधों में अधखिले फूल खिलते हैं।
- नियंत्रण के लिये घुलनशील गंधक 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर दो छिड़काव 15 दिनों के अंतर से करें।
- अथवा डायथेन एम 45 की 2 ग्राम मात्रा/लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें।
समस्या – आम के पौधों में गुच्छा रोग आ जाता है कारण तथा उपाय बतायें।
सखनलाल मेहरा, गोविन्दगढ़
समाधान- आम का यह सबसे अधिक खतरनाक रोग है इसके द्वारा 20-25 प्रतिशत तक क्षति देखी गई है। इस रोग के लक्षण दो तरह से दिखाई देते हैं पुष्पक्रम विकृति तथा गुच्छा शीर्ष विकृति। फूल आने के समय रोग आता है जिसके कारण फूल एवं पत्तियां मिलकर गुच्छा बनाते हंै तथा कलियां पत्तियों में परिवर्तित हो जाती हंै। इसके अलावा वृक्ष की टहनियों पर छोटी-छोटी पत्तियां मिलकर गुच्छा बन जाता है।
- नियंत्रण के लिये जरूरी है पौधों का वार्षिक रखरखाव के साथ पोटेशियम खाद भी डालना चाहिये।
- प्रभावित टहनियों को काटकर अलग कर दें।
- केराथियान 1 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव।
- बोनोमिल 1 मि.ली./ली. पानी में घोल बनाकर दो छिड़काव 15 दिनों के अंतर से करें। माईट के नियंत्रण में भी उक्त दवा लाभदायक है।
समस्या- मिर्च में माथ बन रहा है उपाय बतायें।
– जगदीश सोधिया, राजगढ़
समाधान- आपकी मिर्च में चुडा- मुड़ा खतरनाक रोग बन रहा है जो कि एक कीट सफेद मक्खी के द्वारा बढ़ता है। आप निम्न करें।
- रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर खाद के गड्ढों में डालें।
- मैलाथियान 50 ई.सी. की 2 मि.ली. अथवा फेनवलरेट 20 ई.सी. की 1 मि.ली. मात्रा/लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें।
- 1 मि.ली. रोगर+2 ग्राम सल्फेट दवा का मिश्रण/लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें।
- साथ में टमाटर नहीं लगाये।
आम के प्रमुख कीटों का समुचित प्रबंधन