गराडु की खेती के संबंध में जानकारी दें
- सुन्दरलाला
1 नवंबर 2021, गराडु की खेती के संबंध में जानकारी दें –
समाधान- यह रतालू, जिमीकंद, गराडु, सूरन के नाम से जाना जाता है।
- अच्छी निकासी वाली उपजाऊ दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है,
- एक हेक्टेयर में 20 से 30 क्विंटल बीज लगेगा।
- अच्छी तैयारी जमीन में 50-50 से.मी दूरी पर डोलियां बना लें।
- पर्याप्त गोबर खाद खेत में मिला दें।
- भूमि में आखिरी जुताई में 250 किलो पोटाश मिला दे।
- बुआई अप्रैल से जून तक करें।
- इन डोलियों में 30 से.मी. दूरी पर 6 से.मी. गहराई पर सूरन, रतालू लगाये।
- बुआई के पूर्व बीज के टुकड़ों को मेन्कोजेब के 0.2 प्रतिशत घोल से 5 मिनट तक उपचारित कर लें।
- जब बेले 30 से.मी. लंबी हो जायें छडिय़ां या अन्य विधि से उन्हें सहारा दें।
- 25 किलो नत्रजन बुआई के तीन माह बाद दें।
- प्रमुख जातियां हैं श्री विधि,श्री रूपा, श्री शुभ्रा, श्री प्रिया।
- प्रथम सिंचाई बुआई के तुरन्त बाद करें। फसल को 15 से 25 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- निराई करते समय पौधों में मिट्टी चढ़ाते रहे।
- फसल दिसम्बर-जनवरी में (8-9 माह बाद) खुदाई लायक हो जाती है।
- उपज 250 से 400 क्विंटल/हे. आती है।