किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

मुर्गी पालन से युवा किसान पप्पू चरपोटा प्रति माह कमा रहा 14 हजार रूपये

विकास मेश्राम – वागधारा

20 मार्च 2024, वागधारा: मुर्गी पालन से युवा किसान पप्पू चरपोटा प्रति माह कमा रहा 14 हजार रूपये – वर्तमान में युवा सभी क्षेत्रो में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर और अन्य लोगो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। फिर चाहे वह दूर-देहात में बसने वाले ग्रामीण युवा ही क्यों न हों। इसका बेहतरीन उदाहरण युवा किसान पप्पू रामसिग चरपोटा हैं, जो मुर्गीपालन से घर बैठे लगभग प्रति माह 12,000 से 14,000 रूपये तक की कमाई कर रहा हैं।

दरअसल यह युवा वागधारा संस्था द्वारा संचालित कार्यक्रम “दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों के प्रवासी युवाओं की जोखिमता में कमी लाना” से जुड़कर और कौशल अपनाकर सफल उद्यमी के रूप में उभरे है, यह युवा न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे है, अपितु अन्य लोगो को भी अपने कार्य से प्रेरित कर रहे है। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के बाजना ब्लॉक के कुदंनपुर गाँव के आदिवासी  युवाओ को  उद्यमी के रूप में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से युवाओ को मुर्गी पालन और सब्जी व्यवसाय से जोड़कर सफल उद्यमी स्थापित करने के लिए और स्थानीय स्तर पर आजीविका सुनिश्चित करवाने के लिए पप्पू को संस्था के सहयोग से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षित करके आजीविका सृजित करने के गुण सिखाये गये।

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कौन हैं पप्पू चरपोटा

पप्पू चरपोटा एक लघु एवं सीमांत किसान हैं, जो 3 बीघा जमीन पर खेती करके अपना जीवन यापन कर रहा है। अपने विगत दिनों के बारे बात करने पर पप्पू बताता हैं कि 3 बीघा जमीन पर वर्षा आधारित खेती होने से पर्याप्त मात्रा में उपज नहीं होने के कारण पारिवारिक जरुरतो को पूरा करने में बडी दिक्कत आती थी, और मैं खुद मजदूरी करने के लिए गुजरात के सूरत में पलायन कर भवन निर्माण के काम पर जाता था, वहां किसी भी प्रकार की कोई भी सुविधा नही थी और आत्म संतुष्टि नही मिल रही थीI तब मेरे मन में यह विचार आया की क्यूँ ना मैं अपने गाँव में जाकर कोई छोटा मोटा व्यवसाय कर लू। पप्पू आगे बताते हैं कि 3 साल पहले गाँव वापस आने के उपरांत मैं वाग्धारा संस्था से जुडा, संस्था द्वारा मुझे उद्यमी बनने हेतु विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिये गये जो मुझे आगे कार्य करने के लिए मददगार साबित हुएI

संस्था देसी खाददवाईबीजबकरी पालन एवं मुर्गी पालन को दे रही बढ़ावा

संस्था गाँव में युवाओं की पंचायत में भूमिका एवं भागीदारी, सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ लेने और संस्था के सच्ची खेती के तहत परम्परागत खेती के लिए प्रोत्साहन, इत्यादि के लिए उनका क्षमतावर्धन प्रति माह आयोजित होने वाली बैठक में करते है। जिसमें अलग-अलग प्रकार के प्रशिक्षण दिए जाते हैं साथ ही युवाओ को खेती में कम खर्च में अधिक लाभ मिले जिसके लिए संस्थान युवाओ की आजिविका बढाने हेतू सतत प्रयासरत हैंI साथ ही स्थानीय सक्षम समूह के माध्यम से संस्था देसी खाद, देशी दवाई, देशी बीज एवं बकरी पालन एवं मुर्गी पालन को बढ़ावा दे रही है।

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मुझे वागधारा संस्था ने सफल उद्यमी के तहत 2 वर्ष पूर्व में 30 मुर्गी के चूजे दिए गए थे जिसमें 15 कड़कनाथ प्रजाति के जो काले रंग के थे एवं 15 चूजे स्थानीय प्रजाति प्रताप धन के चूजे मिले। इन्हें मेरे परिवार के सदस्यों द्वारा अच्छे से पालन पोषण करके बडा़ा किया गया एवं उनके लिए अलग-अलग प्रकार के स्थानीय तौर तरीके अपनाएं जिससे मुर्गी पालन को अच्छे से कर सकूं एवं उससे मेरी आय में सुधार कर सकूं, जिसके लिए मैंने मुर्गियों के लिए परम्परागत तरीके से मुर्गीघर बनवाया एवं अलग-अलग मुर्गियों के अंडे रखने के लिए टॉपले तैयार करवाएं। जिससे मुर्गियों को अधिक बढ़ा सके एवं समय पर बेच सकेंI

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प्रति माह 14 हजार तक का मुनाफा

आज मुझे मुर्गी पालन से घर बैठे लगभग प्रति माह 12,000 से 14,000 रूपये तक की कमाई हो रहीं हैं, मेरे पास अभी वर्तमान में 28 मुर्गियां एवं 4 मुर्गे हैंI कड़कनाथ हमारे क्षेत्र में लोग कम जानते हैं जिसको मैं हमारे आसपास के क्षेत्र बाजना में लगने वाले स्थानीय हाट बाजार लगता है उसमें ले जाकर बेचता हूं, जिससे मुझे देसी मुर्गी के बजाय दुगुने पैसे मिलते हैं बेच कर मिले पैसे से छोटीसी किराना दुकान लगाई है और वहांसे प्रतिदिन 400 से 500 रूपये की आमदनी हो रही है।

सब्जियों के उत्पादन से सालभर में दो लाख रूपये तक की आमदनी

अभी मेरे परिवार को नरेगा योजना से 100 दिवस का रोजगार गारंटी योजना में कार्य भी मिला जो संस्था से जुड़ने से पहले 10 से 20 दिन का ही मिल पाता था, अपने घर पर रहकर ही मुर्गीपालन को ओर बढ़ावा देना चाहता हूंI साल भर में मुर्गी पालन से चालिस से पचास हजार रुपये कमा पाता हूँ।

मैंने प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत अपने खेत में कुआ खुदवाया और मैंने अपने खेत में सब्जियों की वाड़ी की है, उसमे बैंगन, टमाटर, मेथी, वालोर, मिर्च, गोभी इत्यादि सब्जियों का उत्पादन करके सालभर में डेढ़ से दो लाख रूपये की आमदनी हो जाती हैI अपने भावी योजना के बारे में पप्पू बताते है की सब्जियां सही समय पर बाजार तक ले जाने में समय और खर्च लगता है उसके लिए वो खुद का लोडिंग टेम्पो वाहन लेने की इच्छा है, ताकि उसका उत्पाद समय पर हाट बाजार में ले जाकर सही मूल्य प्राप्त कर सकेI

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