Farmer Success Story (किसानों की सफलता की कहानी)

आम की सदाबहार किस्म विकसित करने वाले सुमन

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(विशेष प्रतिनिधि)

25  अगस्त 2021, इंदौर । आम की सदाबहार किस्म विकसित करने वाले  सुमन – कहते हैं कि सोना जितना तपता है, उसमें उतना निखार आता है। इस बात को ध्यान में रखकर राजस्थान के कोटा जिले के उन्नत कृषक -वैज्ञानिक श्री श्रीकिशन सुमन ने 20 साल की साधना के बाद सदाबहार नामक आम की ऐसी प्रजाति विकसित की है, जो साल भर हर मौसम में फल देती है। श्री सुमन का सदाबहार आम राष्ट्रपति के मुगल गार्डन की भी शोभा बढ़ा रहा है। इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है।

परम्परागत से ग्रॉफ्टिंग तकनीक तक

मूलत: कोटा जिले के ग्राम गिरधरपुरा के निवासी 53 वर्षीय श्री श्रीकिशन सुमन ने कृषक जगत को बताया कि वे पहले परम्परागत खेती करते थे। प्राकृतिक प्रकोप के कारण प्रभावित हुई फसलों की कम कीमत मिलती थी, तो मन व्यथित रहता था। दैनिक आमदनी बढ़ाने के लिए सब्जियां भी उगाई। आय भी अच्छी होने लगी, लेकिन संतोष नहीं मिला। फिर फूलों की खेती भी की। अंग्रेजी गुलाब की ग्रॉफ्टिंग तकनीक से ऐसी किस्म तैयार की जिसमें एक ही पौधे पर 4-5 रंग के फूल आने लगे,लेकिन मन को ऐसा लगता कि अभी तक वह नहीं मिला जिसकी चाहत है। फिर इस ग्राफ्टिंग तकनीक को फलों पर आजमाने का विचार आया और इसके लिए आम का चयन किया। चूँकि आम की फसल के उत्पादन में एक वर्ष का अंतराल रहता है, जबकि खर्च तो यथावत रहते हैं और फल नहीं लगने से नुकसान होता है। यह सोचकर इस समस्या का समाधान करने के लिए आम की अलग-अलग किस्म की गुठलियों को एकत्रित कर लगाते रहे। मातृ पौधों के साथ कुछ ग्रॉफ्टेड पौधों से नए पौधे तैयार करते रहे। ग्रॉफ्टिंग में बुजर्गों का अनुभव तो काम आया ही, सीकर के किसान वैज्ञानिक श्री सुंडाराम वर्मा के सम्पर्क में आने के बाद बहुत सुधार हुआ।

सदाबहार नामकरण और विशेषताएं श्री सुमन ने केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ को व्यक्तिगत रूप से दी तो पता चला कि वहां ऐसी कोई किस्म नहीं है, जो साल भर फल दे सके। 1998 में श्री सुमन ने राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान, अहमदाबाद में आवेदन देकर इसके परीक्षण का आग्रह किया। बैंगलुरु से आए वैज्ञानिकों ने भी नमूने लिए। सदाबहार के छोटे पेड़ों पर फल आना शुरू हो जाते हैं। पकने पर नारंगी और काटने पर केसरिया निकलता है। एक फल का वजन 200-350 ग्राम तक रहता है। यह हर मौसम में फल देता है। इसका उत्पादन तो अधिक मिलता ही है, मौसम का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है। इसकी प्रतिरोध क्षमता भी अच्छी है।

आम अनुसन्धान केंद्र, लखनऊ के हितैषियों ने तब इसके पौधे न बेचने और इसका पंजीयन करवाने की सलाह दी। इसके बाद कृषि मंत्रालय नई दिल्ली में इस किस्म का पंजीयन करवाया। श्री सुमन सप्ताह में एक बार अपने यहां आयोजित नि:शुल्क आवासीय शिविर में स्थानीय और अन्य दूर-दराज से आये किसानों को इस तकनीक का मार्गदर्शन भी देते हैं। श्री सुमन ने बताया कि मार्च 2017 में दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के मुग़ल गार्डन में सदाबहार आम की प्रदर्शनी भी लगाई थी जिसका राष्ट्रपति ने अवलोकन भी किया था और चार पौधे वहां लगाए भी गए थे।

सुमन का सम्मान

श्री श्रीकिशन सुमन को वर्ष 2016 में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली द्वारा जगजीवनराम अभिनव किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसमे 50 हज़ार रुपए की नकद राशि प्रदान की गई थी। 2018 में पैसिफिक विवि उदयपुर और भारतीय किसान संघ द्वारा खेतों के वैज्ञानिक सम्मान प्रदान किया गया। वर्ष 2019 में प्रतिष्ठित महिंद्रा समृद्धि एग्री अवार्ड्स के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर 2 लाख 11 हज़ार रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई। इंडियन सोसायटी ऑफ़ एग्री बिजनेस प्रोफेशनल और ओसीपी फाउंडेशन मोरक्को ने भी जयपुर में सम्मान प्रदान किया। संपर्क : 9829142509

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