किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

सिर्फ 100 स्क्वायर फुट में उगाया केसर, सालाना कमाई ₹24 लाख

30 जनवरी 2025, नई दिल्ली: सिर्फ 100 स्क्वायर फुट में उगाया केसर, सालाना कमाई ₹24 लाख – ओडिशा की झारसुगुड़ा में रहने वाली सुजाता अग्रवाल ने परंपरागत खेती की सीमाओं को तोड़ते हुए अपने घर के छोटे से कमरे में केसर उगाकर कमाल कर दिखाया है। उनकी यह इनोवेटिव खेती न केवल मुनाफे में बल्कि नए रोजगार अवसर पैदा करने में भी मददगार साबित हो रही है। खास बात यह है कि वह अपने उगाए केसर की कीमत ₹10 लाख प्रति किलो तक प्राप्त कर रही हैं।

कैसे हुई शुरुआत?

पोस्टग्रेजुएट तक पढ़ाई कर चुकीं सुजाता को पहली बार हाइड्रोपोनिक्स खेती का आइडिया इंटरनेट पर मिला। “जब मैंने देखा कि बिना मिट्टी के सिर्फ पानी में पौधे उगाए जा सकते हैं, तो मैं हैरान रह गई। इसके बारे में और जानने की जिज्ञासा हुई,” वे बताती हैं।

शुरुआत में जरूरी सामान खरीदना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने ‘जुगाड़’ से काम शुरू किया। पहले लेट्यूस (सलाद पत्ता) उगाने का प्रयास किया, लेकिन पहली फसल ज्यादा सफल नहीं रही। परिवार ने उन्हें दोबारा कोशिश करने के लिए प्रेरित किया, और दूसरी बार शानदार उत्पादन हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने उगाए गए उत्पाद बेचने शुरू किए और लोगों की मांग बढ़ने लगी। यही से उनके व्यवसाय की नींव पड़ी और 2022 में उन्होंने इसे आधिकारिक रूप से लॉन्च कर दिया।

केसर उगाने का आइडिया कैसे आया?

साल 2023 में सुजाता ने माइक्रोग्रीन्स की खेती में भी सफलता हासिल कर ली थी, लेकिन वह कुछ और नया करना चाहती थीं। एक दिन भगवान को तिल चढ़ाते समय उनकी नजर केसर पर पड़ी और उनके मन में यह सवाल आया—”आखिर यह उगता कैसे है?” जब उन्होंने अपने परिवार से इसका जिक्र किया, तो सबने हंसते हुए कहा, “क्या तुम जिंदगी में सबकुछ करने का इरादा रखती हो?” लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और रिसर्च में जुट गईं।

उन्होंने ऑनलाइन जानकारी इकट्ठा की, किताबें पढ़ीं, और फिर 10×10 के कमरे में केसर उगाने का प्रयोग शुरू किया। उनके पहले ही प्रयास में शानदार सफलता मिली, और उसी साल उन्होंने दूसरी फसल भी उगा ली।

इन्वेस्टमेंट और आधुनिक खेती का मॉडल

केसर की खेती के लिए सुजाता ने कश्मीर से 250 किलो केसर बल्ब खरीदे, जिसकी लागत ₹2.5 लाख थी। इसके बाद उन्होंने अपने कमरे को हाई-टेक खेती के लिए तैयार किया—जिसमें चिलर्स, रैक, लकड़ी की ट्रे और एयरोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया।

क्या है एयरोपोनिक्स खेती?

इस तकनीक में पौधों की जड़ों को हवा में लटकाया जाता है और उन्हें पोषक तत्वों से युक्त महीन धुंध (mist) के माध्यम से पोषण दिया जाता है। इस विधि से मिट्टी की जरूरत खत्म हो जाती है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है।

सुजाता की यह खेती खास इसलिए भी है क्योंकि पारंपरिक केसर की खेती में साल में सिर्फ एक बार फसल होती है, लेकिन वह साल में दो बार केसर की कटाई करने में सक्षम हैं। यही वजह है कि उनके उगाए केसर की बाजार में कीमत ₹10 लाख प्रति किलो तक पहुंच गई है।

‘Bloom In Hydro’ ब्रांड और मल्टी-सोर्स इनकम

केसर के साथ-साथ सुजाता ने ‘Bloom In Hydro’ ब्रांड के तहत हाइड्रोपोनिक्स, माइक्रोग्रीन्स और केसर से बने उत्पादों को भी बाजार में उतारा। उनका केसर-आधारित स्किन और हेयर सीरम 30ml की बोतल में ₹400 में बिकता है, जिससे हर महीने करीब ₹1.19 लाख की कमाई होती है। इसके अलावा, उनका केसर-कावा चाय ₹2,500 प्रति किलो की दर से बिकती है और हर महीने ₹13,000 की अतिरिक्त कमाई होती है। इस तरह उनकी वार्षिक आय ₹24 लाख तक पहुंच चुकी है।

आज सुजाता केवल खुद ही नहीं कमा रहीं, बल्कि दूसरों को भी इस क्षेत्र में अवसर दे रही हैं। अब तक वे 62 छात्रों को हाइड्रोपोनिक्स, माइक्रोग्रीन्स और केसर की खेती का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। उनके कई छात्र आज अपने खुद के स्टार्टअप चला रहे हैं।

“मेरा लक्ष्य युवाओं को रोजगार के अवसर देना है। खासकर किसान परिवारों के बच्चे जो खेती से जुड़े रहना चाहते हैं, लेकिन मॉडर्न तरीके से काम करना चाहते हैं—हाइड्रोपोनिक्स उनके लिए बेहतरीन विकल्प है। वे फॉर्मल कपड़े पहनकर, एसी कमरे में काम कर सकते हैं और खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं,” वे बताती हैं।

कई लोगों को लगता है कि अगर सुजाता ज्यादा छात्रों को ट्रेनिंग देंगी, तो उन्हें प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। लेकिन इस पर वे बेझिझक कहती हैं, “भारत में केसर की इतनी मांग है कि मैं अकेले इसे पूरा नहीं कर सकती। अगर और युवा इस क्षेत्र में आते हैं, तो यह हमारे देश के लिए फायदेमंद होगा।”

आज भारत में केसर की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन कश्मीर में इसका उत्पादन साल-दर-साल गिर रहा है। इस कारण भारत को ईरान से केसर आयात करना पड़ता है। सुजाता का मानना है कि अगर घरेलू स्तर पर केसर का उत्पादन बढ़ाया जाए, तो भारत इस सेक्टर में आत्मनिर्भर हो सकता है और निर्यात के जरिए अच्छी विदेशी मुद्रा कमा सकता है।

सुजाता अग्रवाल की कहानी क्यों है खास?

  • उन्होंने मात्र 100 वर्गफुट के कमरे में हाई-टेक खेती कर ₹10 लाख प्रति किलो की दर से केसर उगाने में सफलता पाई।
  • उनकी खेती पारंपरिक विधियों को चुनौती देकर एयरोपोनिक्स तकनीक से दो बार फसल देने में सक्षम हुई।
  • उन्होंने केसर से जुड़े कई उत्पादों का निर्माण कर मल्टी-सोर्स इनकम मॉडल तैयार किया।
  • वे अब तक 62 छात्रों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं और नए किसानों को रोजगार के अवसर दे रही हैं।
  • उनका मिशन भारत में केसर उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है।

पोस्टग्रेजुएट होम साइंस की छात्रा से लेकर केसर की सफलतम महिला उद्यमी बनने तक, सुजाता अग्रवाल की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सीमित संसाधनों में भी सही सोच, मेहनत और नई तकनीकों के इस्तेमाल से बड़ा व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है। उनकी इनोवेटिव खेती और मल्टी-सोर्स इनकम मॉडल उन सभी किसानों और युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो खेती को नए आयाम पर ले जाना चाहते हैं।

आप भी केसर की खेती या हाइड्रोपोनिक्स में रुचि रखते हैं? सुजाता अग्रवाल के अनुभव से सीखें और अपने खुद के बिजनेस की शुरुआत करें!

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements