Farmer Success Story (किसानों की सफलता की कहानी)

शहद बनाकर रमेश बने व्यवसायी

Share

13 नवम्बर 2022, भोपालशहद बनाकर रमेश बने व्यवसायी – बिहार के 39 साल के रमेश रंजन स्मार्ट युवा अपने अभिनव कौशल से 400 किसानों के जीवन में समृद्धि की मिठास घोल रहे हैं। इन्होंने मधुमक्खी पालन व शहद उत्पादन को ही अपने जीवन यापन का जरिया बनाया है। रमेश रंजन एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं, इनके पिता सरकारी सेवा में रहे हैं, स्वाभाविक तौर पर हर भारतीय परिवार की तरह इनके घर वाले भी यह चाहते थे कि लडक़ा सरकारी नौकरी करे, पर इन्होंने कुछ और ही सोच रखा था। जीवन में बहुत आगे बढऩे व लोगों से जुडक़र जमीनी स्तर पर काम करने की इच्छा थी जिससे हम स्वयं सहित अन्य लोगों के जीवन में सुखद व सकारात्मक बदलाव के वाहक बन सके और सब के लिए समृद्धि का मार्ग बना सकंे जिससे कि सतत व स्थायी आमदनी सुनिश्चित की जा सके इस कारण किसी भी नौकरी के बारे में सोचा ही नहीं। शुरुआत बिल्कुल भी आसान नहीं थी। लोग मजाक उड़ाते थे। घरवालों का दबाव अलग सब मेरी बेहतरी के लिए चिंतित रहते थे। उत्पादन व वितरण से संबंधित चुनौतियां भी कम नहीं थीं। बेहतर प्रशिक्षण व सधी शुरुआत से काम धीरे-धीरे आसान हुआ। महज 7 बक्से से मधुमक्खी पालन व शहद उत्पादन के क्षेत्र में कदम रखा। उस समय पारंपरिक तरीके से मधुमक्खी का पालन किया जाता था जिसमे कुछ खास मुनाफा नहीं होता था। तब 2008 में खादी ग्रामोद्योग आयोग से मधुमक्खी पालन व शहद उत्पादन की अत्याधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक का प्रशिक्षण लिया तथा क्करूश्वत्रक्क के अंतर्गत लोन लेकर अपना काम शुरू किया। जब मेहनत को तकनीक का साथ मिला तो दिन बदलते देर न लगी। जब भी ज्यादा जरूरत पड़ी तो ष्टङ्कक्रञ्जढ्ढ क्कहृ्र। से विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सहायता भी मिली। आज 1500 से अधिक स्वयं के बक्से हैं और 400 से अधिक किसान बिहार प्रदेश से जुड़े हुए हंै। सब मिलाकर 10,000 से अधिक बक्से हंै। अब सेवानिवृत्ति के बाद पिता जी का भी सहयोग मिलता है। उन्होंने कहा कि यह सफर कतई आसान नहीं रहा। पहले पहल सारा काम खुद करना होता था। लोग जगरुक नहीं थे, मजदूरों को लगता था कि मधुमक्खी डंक मार देगी, कोई सहयोग को उपलब्ध नहीं होता था, कभी-कभी तो स्वयं बक्से को गाड़ी पर चढ़ाने व उतारने का काम करना पड़ा। आज 25 लोग नियमित तौर पर इनके फार्म पर काम करते हैं

वर्तमान में अब रमेश प्रति वर्ष औसतन 250-300 टन शहद की बिक्री कर लेते हंै। इसमे स्वयं के उत्पादन (60 टन) के साथ-साथ सभी किसानों का उत्पादन (250 टन औसतन) शामिल है। ये किसानों को बाजार भी उपलब्ध कराते हंै। इनका शहद पांच सितारा होटलों तक है इनके द्वारा उत्पादित शहद की माँग भी है। आज देश में कई बड़ी-बड़ी कंपनियां शुद्ध शहद नहीं उपलब्ध करा रही है, उस दौर में रमेश रंजन पटना सहित पूरे देश में शुद्ध शहद उपलब्ध कराने की गारंटी माने जाते हैं। इनके द्वारा उत्पादित शहद के मानकों को तो पूरा करता ही है, साथ ही ढ्ढस्ह्र ९००१:२००८ के विश्वस्तरीय गुणवत्ता के मापदंड को भी पूरा करता है। तभी तो इनके द्वारा उत्पादित शहद देश के विभिन्न राज्यों में केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक में भेजा जाता है। इसके साथ ही मधुमक्खी के छत्ते सहित पूरी तरह प्राकृतिक शहद की आपूर्ति मुंबई दिल्ली के पाँच सितारा होटलों तक की जाती है।

पूरे देश-प्रदेश से मिल रहा है सम्मान

इनके योगदान को देखते हुए , देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह महिंद्रा एंड महिंद्रा के द्वारा इन्हें महिंद्रा समृद्धि एग्री अवॉर्ड 2020 के रास्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया है। इसके पहले, राज्य मधुमक्खी पालन व प्रसार केंद्र (बिहार) ने भी इनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की है। इसके लिए वर्ष 2018 में सम्मान पत्र (प्रमाण पत्र) भी दिया है। 2018 में इन्होने एडवांस लेवेल की मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग भी की जिससे इनके काम में बहुत ज्यादा फायदा मिला। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बहु-उद्योगीय प्रशिक्षण संस्थान सहित देश व राज्य के आधा दर्जन से अधिक संस्थानों ने इन्हें प्रमाण पत्र दिया है। इनसे जुडऩे के बाद किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बकौल रमेश रंजन- इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। युवा इससे जुडक़र अच्छा भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। रमेश रंजन यह मानते हंै कि आज जो भी इनके पास है, और जहाँ तक पहुँचे हैं वह सच्ची मेहनत, धैर्य, काम के प्रति समर्पण व बहुत सारे लोगों के सकारात्मक सहयोग व मार्गदर्शन के कारण संभव हो पाया है। इस कारण रमेश रंजन भी लगातार लोगों को जागरुक करने व उन तक मदद पहुँचाने में लगे हुए हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आम लोगों के लिए जो मधुमक्खी पालन व शहद उत्पादन के क्षेत्र में आना चाहते हैं, उनके लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहे हैं। बहुत जल्द शहद के, प्रोसेसिंग के लिए अत्याधुनिक और आटोमेटिक शहद पैकिंग यूनिट भी लगाने की योजना है। जिसके बाद शहद को प्रोसेस करने के बाद बिहार से बाहर भेजा जाएगा जिससे किसानों को अपने शहद का ज्यादा मूल्य प्राप्त हो पाएगा। रमेश शहद उत्पादन के साथ-साथ हाल के दिनों में गौ पालन में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। अभी इनके पास 35 देसी गाय हैं। इनका दुग्ध उत्पादन कर पटना के शहरों में रंजन डेयरी के नाम से बोतल बंद दूध उपलब्ध करा रहे हैं। इसका और भी विस्तार करने में लगे हंै। केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के लिए आवेदन भी किया है।

  • संदीप कुमार स्वतंत्र पत्रकार
    san007ht@gmail.com

महत्वपूर्ण खबर: हरदा जल्दी होगा शत-प्रतिशत सिंचित जिला

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *