राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

बारहमासी फसल का कमाल: काशी परवल-141 से राजेंद्र की जेब में हर साल ₹2.9 लाख

12 दिसंबर 2024, भोपाल: बारहमासी फसल का कमाल: काशी परवल-141 से राजेंद्र की जेब में हर साल ₹2.9 लाख – परवल, जिसे कद्दू वर्गीय सब्जियों में पौष्टिकता और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, भारतीय व्यंजनों में एक विशेष स्थान रखता है। इस बारहमासी सब्जी की खासियत यह है कि इसे सालभर (सर्दियों के कुछ महीनों को छोड़कर) उगाया और बेचा जा सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) द्वारा विकसित काशी परवल-141 ने न केवल किसानों के लिए स्थायी आय का जरिया बनाया है, बल्कि इसकी लोकप्रियता ने बाजार में भी एक नई पहचान बनाई है।

काशी परवल-141, वाराणसी स्थित भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई एक विशेष किस्म है। इसके फल धुरी के आकार के, हल्के हरे रंग के और 8 से 10 सेमी लंबे होते हैं। इस किस्म को पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान बड़े चाव से उगा रहे हैं, खासकर वाराणसी और उसके आसपास के इलाकों में। इसकी लगातार मांग और उच्च बाजार मूल्य ने इसे आर्थिक रूप से लाभदायक फसल बना दिया है।

हरिपुर गाँव के राजेंद्र सिंह का परवल क्रांति की ओर कदम

वाराणसी के बड़ागांव ब्लॉक के हरिपुर गाँव के प्रगतिशील किसान श्री राजेंद्र सिंह पटेल ने 2019 में काशी परवल-141 की खेती शुरू की। शुरुआत में उन्होंने 0.25 हेक्टेयर जमीन पर इस किस्म को लगाया। उन्होंने खेती में वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किया, जैसे ड्रिप सिंचाई, प्लास्टिक मल्च और वर्टिकल ट्रेनिंग सिस्टम। साथ ही, उन्होंने भाकृअनुप-आईआईवीआर के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई तकनीकों को भी अपनाया।

मार्च में पहली तुड़ाई के बाद श्री पटेल की फसल दिसंबर के पहले सप्ताह तक चलती रही। पहले वर्ष में उन्होंने 95 क्विंटल परवल उत्पादन किया और ₹2,30,000 का शुद्ध लाभ कमाया। दूसरे और तीसरे वर्षों में उनका उत्पादन बढ़कर क्रमशः 105 क्विंटल और 110 क्विंटल हो गया। इन वर्षों में उन्होंने ₹2,70,000 और ₹2,90,000 तक की शुद्ध आय अर्जित की।

श्री पटेल का कहना है कि परवल की खेती छोटी जोत के किसानों के लिए भी लाभकारी है। इसकी मांग और कीमत में स्थिरता इसे टिकाऊ आय का बेहतरीन स्रोत बनाती है। उन्होंने बताया कि परवल की कीमत बाजार में कभी भी ₹20 प्रति किलोग्राम से कम नहीं हुई, जिससे उन्हें लगातार मुनाफा हुआ।

प्रेरणास्रोत बने राजेंद्र सिंह

श्री राजेंद्र सिंह ने न केवल खुद आर्थिक सफलता प्राप्त की, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का काम किया। उनकी प्रेरणा से बड़ागांव ब्लॉक और आसपास के गाँवों में काशी परवल-141 की खेती का रकबा 35-40 हेक्टेयर तक बढ़ गया है।

यह कहानी बताती है कि परंपरागत फसलों से हटकर नवाचार और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने से किस प्रकार स्थायी आय का स्रोत विकसित किया जा सकता है। काशी परवल-141 ने कृषि क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित किया है, और राजेंद्र सिंह पटेल इस क्रांति के अग्रदूत बन गए हैं।

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