फसल की खेती (Crop Cultivation)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

नमक प्रभावित भूमि में बासमती की बंपर उपज: किसानों ने तकनीकी सहयोग से बदली खेती की तस्वीर

14 दिसंबर 2024, भोपाल: नमक प्रभावित भूमि में बासमती की बंपर उपज: किसानों ने तकनीकी सहयोग से बदली खेती की तस्वीर – भारत में भूमि की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले सबसे बड़े मुद्दों में से एक है नमक प्रभावित मिट्टी। यह समस्या देश के लगभग 7 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को प्रभावित करती है, जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश में 1.4 मिलियन हेक्टेयर भूमि इस संकट से जूझ रही है। ऐसी भूमि पर खेती करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन नवीन तकनीकों और उन्नत फसल किस्मों के प्रयोग से अब यह स्थिति बदल रही है। किसानों की आय बढ़ाने और भूमि क्षरण को रोकने की दिशा में हो रहे इन प्रयासों का अद्भुत उदाहरण उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से सामने आया है।

नमक प्रभावित मिट्टी की समस्या और समाधान की दिशा में कदम

सॉडिसिटी और लवणता जैसी समस्याओं से जूझ रहे जौनपुर जिले के पांच गांवों- लाजीपारबीबीपुरहसनपुरचकवाऔर भाकुड़ा में 2016-2018 के बीच 21 किसानों के साथ यह अध्ययन किया गया। इन गांवों की मिट्टी का pH मान 8.85 से 9.74 के बीच रहा, जो फसल उत्पादन के लिए अत्यधिक प्रतिकूल है। मानसून में जलभराव, मौसमी असंगति और आवारा पशुओं के कारण इन किसानों को केवल चावल और गेहूं पर निर्भर रहना पड़ता था।

Advertisement
Advertisement

लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण और किसानों के सहयोग से बासमती सीएसआर-30 जैसी नमक सहिष्णु किस्मों ने खेती के इस चुनौतीपूर्ण परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया।

हसनपुर और चकवा गांवों में वैज्ञानिक-किसान गोष्ठियों का आयोजन किया गया, जिसमें 60 से अधिक किसानों ने भाग लिया। इन सत्रों में किसानों को नमक सहिष्णु खेती की उन्नत तकनीकों, पोषण सुरक्षा के लिए किचन गार्डनिंग, मृदा प्रबंधन, और पशुधन प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके साथ ही किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए, जिससे वे अपनी मिट्टी की बेहतर देखभाल और खेती की लागत को कम कर सके।

Advertisement8
Advertisement

बासमती सीएसआर-30: आय बढ़ाने का कारगर विकल्प

अध्ययन के दौरान बासमती सीएसआर-30 को 1.40-2.21 टन/हेक्टेयर की उपज क्षमता के साथ एक उत्कृष्ट विकल्प के रूप में पहचाना गया। इस किस्म को अपनाने से किसानों को ₹44,800 से ₹70,400 प्रति हेक्टेयर की सकल आय हुई, जो अन्य मोटे अनाजों की तुलना में कहीं अधिक थी।

Advertisement8
Advertisement

बासमती सीएसआर-30 ने स्थानीय मोटे चावल की किस्मों की तुलना में बेहतर अनुकूलन क्षमता दिखाई और कम सिंचाई की आवश्यकता रही। किसानों ने बताया कि इस किस्म ने पानी की पंपिंग लागत में ₹3,000/हेक्टेयर तक की बचत सुनिश्चित की।

सांडा विधि और खरपतवार नियंत्रण

कई किसानों ने फसल रोपाई के लिए डबल ट्रांसप्लांट की सांडा विधि अपनाई, जिससे वे सिंचाई और श्रम लागत को बचाने में सफल रहे। इस विधि से उगाई गई फसलें खरपतवार नियंत्रण में भी कारगर साबित हुईं, जिससे किसानों को खरपतवारनाशकों के उपयोग में कमी आई।

किसानों की सफलता: नीति और विस्तार की आवश्यकता

इस अध्ययन ने दिखाया कि उन्नत तकनीक और नमक सहिष्णु किस्मों का उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में कारगर है। साथ ही, इस सफलता ने स्थानीय पारिस्थितिकी ज्ञान और नवीन तकनीकों को मिलाकर नई रणनीतियों के विकास की संभावनाओं को भी मजबूत किया है।

नमक प्रभावित क्षेत्रों में इस तरह के प्रयास न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होंगे, बल्कि जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण जैसी बड़ी समस्याओं से निपटने का एक ठोस समाधान भी प्रदान करेंगे।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement