Editorial (संपादकीय)

निमाड़ में प्याज की फसल निकाल रही आंसू

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निमाड़ में प्याज की फसल निकाल रही आंसू

निमाड़ में प्याज की फसल निकाल रही आंसू –
नागझिरी (राजीव कुशवाह)

इस बार प्याज की फसल निमाड़ अंचल के किसानों के लिए गले की हड्डी बन गई है. खेतों से निकले प्याज को बेचने के लिए भी कई जतन करने पड़ रहे हैं, फिर भी वाजिब दाम नहीं मिल रहे हैं. प्याज की फसल का लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है. कहीं -कहीं तो प्याज फेंके जाने की भी खबर है.

किसान श्री बाबू कुशवाह, श्री भारत कनोजे, श्री अनोखीलाल

इन्नेहोंने बताया कि एक हेक्टेयर में करीब 240 क्विंटल प्याज का उत्पादन हुआ, लेकिन उचित भाव नहीं मिलने से किसान निराश हैं. किसानों ने बताया कि खरीफ में लगाए प्याज का उत्पादन अति वर्षा के कारण 40 -50 क्विंटल /एकड़ ही हुआ था, लेकिन दाम 8 से 10 हजार रु. क्विंटल मिल जाने से कम उत्पादन की भरपाई हो गई थी और किसानों ने रबी के प्याज का रकबा बढ़ा दिया.

प्याज का उत्पादन भी अच्छा हुआ लेकिन लॉक डाउन के कारण मंडियां और परिवहन बंद होने से प्याज बिक नहीं पाया. जिससे किसानों को बहुत नुकसान हुआ.जामली के किसान श्री सुरेश, श्री कैलाश कुशवाह और मेहरघट्टी के श्री तुकाराम कुशवाह, श्री शांतिलाल का कहना था कि प्याज की लागत 1200 रु./ क्विंटल आई जबकि अभी मंडी में प्याज 400 से 800 रु. क्विंटल बिक रहा है.

प्याज का लागत खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. संग्रहित प्याज भी सडऩे लगा है. श्री सावन सोलंकी और श्री दुर्गानंद सोलंकी ने बताया कि सड़े हुए प्याज की छंटाई करने से मजदूर कतराने लगे हैं, जबकि छंटाई का खर्च अलग से लग रहा है. पैसों की तंगी के बीच किसान खरीफ की तैयारियों में जुटे हुए हैं. किसान श्री भगवान सोलंकी और श्री राजाराम धामेड़े ने कहा कि दो साल पहले सरकार ने किसान से 8 रुपए किलो प्याज खरीदकर राहत दी थी. ऐसा ही इस वर्ष भी प्याज को न्यूनतम 15 रु./किलो खरीदकर राहत प्रदान करे.

नागझिरी प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र के कई किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि, फसल बीमा और गेहूं उपार्जन की राशि का भी भुगतान लंबित है. इस बारे में श्री भगवान सोलंकी,श्रीमती लेहनु बाई, श्री आशाराम और श्री सीताराम कुशवाह ने बताया कि इन समस्याओं को लेकर भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष श्री श्यामसिंह पंवार के साथ कलेक्टर श्री गोपाल सिंह डाड से मुलाकात कर समाधान की मांग कर चुके हैं.

इस वर्ष बेचे गए गेहूं के भुगतान के लिए भी मंडी और बैंकों के चक्कर काटना पड़ रहे हैं. इस बारे में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति, नागझिरी के प्रबंधक श्री नारायण चौधरी ने कृषक जगत को बताया कि इस संस्था में कुल 17,330 क्विंटल गेहूं की खरीदी की गई. 207 किसानों के गेहूं का भुगतान हो चुका है, जबकि 237 किसानों की करीब डेढ़ करोड़ की राशि का भुगतान बाकी है.

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