मालवा-निमाड़ में चने का रकबा घटा
चने पर चर्चा |
इंदौर। इस वर्ष बारिश अधिक होने से भू जल स्तर में वृद्धि हुई है । इससे किसानों के जल स्रोतों कुंए – ट्यूबवेल में पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने से किसानों ने रबी में चने के बजाय गेहूं को प्राथमिकता दी है।इस कारण मालवा -निमाड़ में चने का रकबा घट गया है। कृषक जगत द्वारा किसानों से की गई चर्चा में यह खुलासा हुआ है।
मालवा -निमाड़ के चुनिंदा किसानों से चने पर हुई चर्चा में तीन श्रेणियां सामने आई पहली जिन्होंने चने बोए ही नहीं, दूसरी जिन्होंने चने का रकबा आधा कर दिया और तीसरी यह कि जिन्होंने चने के घरेलू उपयोग के लिए प्रतीकात्मक बोवनी की।
चने की बोवनी नहीं की – इनमें छींगरी (उज्जैन ) के श्री महेंद्र सिंह चेन सिंह चौहान,श्री गणपत रामचंद पटेल, बडग़ांवगुजर,श्री नानसिंह भंगड़ा चौहान भिलाया (खंडवा), सजवानी (बड़वानी) के श्री लक्ष्मण लूणाजी चोयल, बिसलवास (नीमच) के श्री शिवप्रसाद भेरूलाल नागदा सलकनपुर (धार) के श्री भरत जाट शामिल हैं। जिन्होंने 30 और 50 बीघा में गेहूं लगाया है। श्री जाट का दावा है की इस साल चने के दाम में उछाल आएगा और यह 10-12 हजार रुपए क्विंटल तक बिकेगा। उपरोक्त अन्य किसानों ने 7 से लेकर 10 बीघा में गेहूं लगाया है।
चने का रकबा आधा किया – इस श्रेणी में खेड़ा पिपलौदी (रतलाम ) के श्री रतनलाल शंकर पाटीदार ने 2 बीघा में चना लगाया है, जबकि गत वर्ष 4 बीघा में डॉलर चना लगाया था। 20 बीघा में गेहूं बोया है। इसी जिले के मोरिया निवासी श्री भेरूलाल बालाराम पाटीदार ने 4 बीघा में डॉलर चना और दो हेक्टर में गेहूं लगाया है, जबकि पिछले साल 8 बीघा में चना लगाया था। कनघट्टी (मंदसौर) के श्री कन्हैयालाल सुखलाल पाटीदार ने 3 बीघा में चना लगाया जबकि गत वर्ष 5 बीघा में लगाया था। क्षेत्र में सरसों ज्यादा बोई गई है। मौलाना (उज्जैन) के श्री गोवर्धन मदनलाल पाटीदार इस साल 10 के बजाय 5 बीघा में चना लगाया है। इसी तरह खरसौदकला ( इंदौर) के श्री इंदरसिंह नानूराम राठौड़ ने रकबा कम कर 5 बीघे में चना और 12 बीघे में गेहूं लगाया है। गरड़ावद (धार ) के श्री रामसिंह जुवार सिंह पटेल ने दो बीघा में चना और 45 बीघा में गेहूं लगाया है। उनके अनुसार क्षेत्र में चने का रकबा 5 प्रतिशत रह गया है । तम्बोलिया (खरगोन) के श्री ताराचंद छीतू ने 5 की बजाय 3 एकड़ में चना लगाया है। सबरसी (देवास) के श्री केदार पुंजराज चौधरी ने 8 के बजाय 3 बीघा में चना और 6 बीघा में गेहूं लगाया है ।
चने की प्रतीकात्मक बोवनी – इस श्रेणी में सेमलियाचाउ (इंदौर) के श्री विनोद कैलाश परमार ने घरेलू उपयोग के लिए आधा बीघे में चना लगाया है। इसी तरह सेमली (मंदसौर) के श्री दिलीप पाटीदार ने भी आधा बीघा में चना और 12 बीघे में गेहूं लगाया है। श्री पाटीदार के मुताबिक क्षेत्र में 200 बीघा में अलसी बोई गई है। इनके विपरीत बडूद (खरगोन) के श्री मोहनलाल बाबूलाल मुछाला ने 27 एकड़ में चना, लगाया है, जिसमें 19 एकड़ में डॉलर चना और 8 एकड़ में देसी चना शामिल है। 18 एकड़ में गेहूं लगाया है। इसी तरह कुंआ (बड़वानी) के श्री मांगीलाल कन्हैयालाल पाटीदार ने 10 एकड़ में चना और 10 एकड़ में गेहूं लगाया है। कतिपय किसानों को छोड़ दें तो निष्कर्ष यही है कि इस वर्ष मालवा -निमाड़ में चने का रकबा घटा है।