Editorial (संपादकीय)

पाले से फसलों को बचाने की नई तकनीक

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इंदौर। गत दिनों  प्रदेश के कई जिलों में अत्यधिक ठंड पडऩे के कारण पाला पड़ गया था जिससे चना, मटर और आलू की फसल को बहुत नुकसान हुआ। इस बीच छतरपुर जिले में पाले से उच्च किस्म की महंगी फसलों को बचाने की एक नई तकनीक ने ध्यान आकर्षित किया है। यह नई तकनीक  पॉली हॉउस या नेट हॉउस की तर्ज पर तैयार की गई जिसकी लागत इन दोनों तरीकों से बेहद कम है।

इस बारे में श्री एमपी बुंदेला सहायक संचालक (उद्यान) छतरपुर ने कृषक जगत को बताया कि ग्रो कवर डालकर उच्च किस्म की महंगी फसलों शिमला मिर्च, टमाटर,सामान्य मिर्च आदि को पाले के साथ ही कीटों के प्रकोप से भी बचाया जा सकता है। एक एकड़ में ग्रो कवर डालने की लागत स्ट्रक्चर सहित करीब 10  से 15  हजार रुपए आती है। जो बहुत सस्ती है, जबकि पॉली हाउस लगाने पर  32-34  लाख और नेट हाउस लगाने पर करीब 28 लाख का खर्च आता है। 600 मीटर की लम्बाई वाले ये ग्रो कवर 5, 7  और 10  फीट की चौड़ाई में भी उपलब्ध हैं, जिन्हें फसल के अनुसार इस्तेमाल किया जा सकता है। करेला और ककड़ी की फसल के लिए 10  फीट चौड़ाई वाले ग्रो कवर उचित रहते हैं। इस तकनीक का दूसरा फायदा यह है कि इससे कीट नियंत्रण भी हो जाता है। महीन कीट भी इसमें नहीं घुसने से वायरस कंट्रोल भी हो जाता है। इससे किसानों का कीटनाशकों पर होने वाला खर्च भी बच जाता है।

श्री बुंदेला ने खजुराहो में 800 प्रजातियों को बचाने के लिए डेमो लगाया है। इसे दो -तीन बार या अन्य फसलों  में भी उपयोग कर सकते हैं। ग्रो कवर के लाभ और कम लागत को देखते हुए उन्होंने सरकार से इस पर किसानों को अनुदान दिए जाने की बात भी कही है, ताकि किसान कम खर्च में अपनी महंगी फसलों का  बचाव कर सकें।

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