आम की उन्नत यूएचडी तकनीक
जानकारी लेने कोयंबटूर पहुंचे म.प्र. के शीर्ष अधिकारी एवं किसान
एक हेक्टर में 22 टन होता है यहां आम
(सचिन बोन्द्रिया)
आम की फसल जल्दी लेने की उन्नत यूएचडी अर्थात् अल्ट्रा हाई डेंसिटी तकनीक की जानकारी लेने गत दिनों म.प्र. से एक प्रतिनिधि मंडल कोयंबटूर के गांव उदमलपेट पहुंचा। इस प्रतिनिधि मंडल में आयुक्त उद्यानिकी श्री एम. कालीदुरई, जैन इरिगेशन सिस्टम्स लि.के प्रेसिडेंट (मार्केटिंग) श्री संजय भंडारी, मप्र. स्टेट इंचार्ज श्री विवेक डांगरीकर, कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोन्द्रिया, उप संचालक (संचालनालय) श्री राजेंद्र राजौरिया, उप संचालक बैतूल श्रीमती आशा उपवंशी, उप संचालक (उद्यानिकी) होशंगाबाद श्री सत्येंद्र सिंह तोमर एवं श्री सावले (हरदा) के अलावा किसान श्री कंचन सिंह गुर्जर हरदा और श्री अशोक पटेल सिवनी मालवा भी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का स्वागत वाइस प्रेसिडेंट श्री शांतिलाल कटारिया ने किया।
सदस्यों ने कृषि विशेषज्ञों और स्थानीय किसानों से चर्चा कर आमों की अल्ट्रा हाई डेंसिटी तकनीक की विस्तृत जानकारी ली। इस तकनीक को लेकर कोकाकोला कम्पनी ने जैन इरिगेशन सिस्टम्स लि. जलगांव से अनुबंध किया है। जिसके तहत इस तकनीक को लेकर आम के पेड़ों की पौधे से लेकर कटाई तक की जानकारी, प्रशिक्षण आदि दिया जाएगा। बैतूल, होशंगाबाद और हरदा में उत्पादित आम के फलों का रस बनाकर कोकाकोला कम्पनी बाजार में पेश करेगी। गौरतलब है कि म.प्र. में अगले एक साल में एक हजार एकड़ और पांच साल में दस हजार एकड़ में अल्ट्रा हाई डेंसिटी आम और संतरे का पौधारोपण किया जाएगा। इस संबंध में म.प्र. के प्रतिनिधिमंडल को वहां के चीफ एग्रोनॉमिस्ट श्री पी. सोमन और फार्म मैनेजर श्री अमोल चौधरी ने बताया कि इजरायली तकनीक से यहां सन् 2005 में 400 एकड़ में आम का बगीचा लगाया गया है, जहां अनुसंधान और विकास निरंतर जारी है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के समक्ष कृषि यंत्रों से कम समय में आम के पेड़ों की प्रूनिंग (छंटाई) के प्रत्यक्ष प्रदर्शन के अलावा पौधों की ग्राफ्टिंग, टिश्यू कल्चर की पहली और दूसरी हार्डनिंग की अवस्था, फर्टिगेशन, ड्रिप इरिगेशन और फसल संरक्षण पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।
आम की उत्पादकता
- देश में आम की औसत उत्पादकता 8.7 मैट्रिक टन/हेक्टर है। जबकि ब्राजील में यह 15 टन और दक्षिण अफ्रीका में 30-35 टन/हेक्टर है। आंध्र में 9.58, तमिलनाडु में 7.2, मप्र में 12.30, उप्र में 16 टन/हे है। वहीं महाराष्ट्र में सबसे कम 3.7 टन /हे. उत्पादन होता है। यहां के फार्म में आम का उत्पादन 22 टन/हे. लिया जा रहा है। जबकि किसान 6 टन/एकड़ आम ले रहे हैं। तोतापरी आम का उत्पादन 10-12 टन/एकड़ हो रहा है,जबकि व्यावसायिक क्षेत्र में सामान्यत: यह उत्पादन 5-6 टन/एकड़ ही है। ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन एवं पौध प्रबंधन की इस नई तकनीक से 10-12 टन/हे. का उत्पादन लिया जा सकता है।
यहां 400 एकड़ में आम के,150 एकड़ में नारियल के और 150 एकड़ में आंवले के पेड़ लगाए गए हैं। 6 एकड़ में काजू का प्रदर्शन प्लाट भी लगाया गया है। अनुसंधान और विकास फसल के तहत सूरजमुखी, हल्दी, चावल आदि का कार्य जारी है। आम के पौधे जलगांव से आते हैं, जिनकी पहली और दूसरी हार्डनिंग यहां की जाती है।
ग्राम किलेवनपुदुर ब्लॉक पुलाची (कोयंबटूर) के किसान मुत्तु कुमार ने 6&6 मीटर की दूरी पर दो एकड़ में 200 पेड़ लगाए थे, जिनमे डेढ़ साल में फूल और दो साल में फल आने लग गए। 204 टन उत्पादन हुआ। तोतापरी किस्म 4&2 मीटर की दूरी पर 5 एकड़ में लगाए , जिसमें तीसरे साल भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद है। बताया गया कि कोकाकोला एवं जैन इरिगेशन कम्पनी द्वारा उन्नति प्रोजेक्ट के तहत वहां के किसानों द्वारा यह उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें आम की प्रूनिंग, मॉनिटरिंग और ब्रांडिंग की जाएगी। यहां दो एकड़ में 3&2 मीटर की दूरी पर नारियल के पेड़ भी लगाए गए हैं।
कृषक जगत यूट्यूब चैनल पर देखें
कोयंबटूर में ऑटोमैटिक मशीन द्वारा आम के पेड़ों की प्रूनिंग का वीडियो और ग्राफ्टिंग तकनीक का सजीव प्रदर्शन कृषक जगत के यू ट्यूब चैनल और फेस बुक पर देख सकते हैं।
क्या है यूएचडी तकनीक
आम का सामान्य पौधारोपण 10&10 मीटर पर किया जाता है। जिसमें एक एकड़ में 40 पौधे लगते हैं। वहीं एक एकड़ में मीडियम डेंसिटी में 4.5&4.5 मीटर या 5&5 मी. पर 160-200 पौधे लगते हैं, जबकि अल्ट्रा हाई डेंसिटी में 10 गुना ज्यादा पेड़ लगते हैं। इसमें 3&2 मीटर की दूरी पर एक एकड़ में 674 पौधे लगाए जाते हैं। 4&2 मीटर की दूरी पर 500 पौधे लगाए जाते हैं। 4&2 मी. में ट्रैक्टर से इंटर कल्चर ऑपरेशन किया जा सकता है। इसमें पेड़ों में औसतन 50-60 फल लगते हैं। इन पौधों की अधिकतम ऊंचाई 6 फ़ीट रहती है। कोयंबटूर में सभी प्रजातियां निरंतर फलन देने वाली लगाईं जाती है।
इस फार्म में आम का उत्पादन 22 -25 टन/हेक्टर है। हार्वेस्टिंग के बाद पेड़ों की छंटाई जून-जुलाई में की जाती है। ये पेड़ तीन साल में फल देने लगते हैं। चौथे साल में 30-35 फल (10 किलो) प्रति पेड़ का उत्पादन देने लगते हैं। जबकि 5 वे साल में 50 -60 फल प्रति पेड़ लगने लगते हैं। तोतापरी आम का वजन ज्यादा बैठता है औसत प्रति एकड़ 4 से 4 .5 टन होता है, जो बाद में 7 -8 टन और चौथे साल में 12 टन तक हो जाता है।