Editorial (संपादकीय)

बारिश से खरीफ फसलें हुई अंकुरित

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(राजीव कुशवाह, नागझिरी)। अतिवृष्टि से त्रस्त अंचल के किसानों का दिवाली के बाद भी बारिश ने पीछा नहीं छोड़ा है। कटी हुई खरीफ फसलें अंकुरित हो जाने से किसानों का नुकसान हुआ है। ऋण माफी नहीं होने के साथ ही फसल बीमा की कार्रवाई भी आगे नहीं बढऩे से किसान चिंतित है।

अंचल में बारिश का दौर अभी भी जारी है। स्थानाभाव के कारण खुले में रखी कटी हुई करीब 20  फीसदी खरीफ फसलें  मूंग, मक्का, सोयाबीन अंकुरित हो गई है, जिससे कीमत कम मिलने का अंदेशा है, वहीं खेत में खड़ी कपास, मिर्च, प्याज, अरहर आदि फसलों पर भी बारिश होने से संकट बढ़ गया है। कपास में भी अंकुरण देखा गया है। किसान श्री कालूराम अवासे और श्री महेंद्र मंडलोई ने बताया कि खरीफ फसल को बचाने में ही बड़ी राशि खर्च कर दी अब रबी में गेहूं-चना की बुवाई के लिए राशि जुटाने की चिंता सताने लगी है। जबकि राजपुरा के श्री ओमप्रकाश पटेल और श्री कालू पटेल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किसानों के शोषण का नया जरिया बताया है। गत तीन सालों से बीमा कंपनियां किसानों से प्रीमियम तो ले रही है, लेकिन नुकसानी का भुगतान नहीं कर रही है। इस साल तो अब तक खेतों का सर्वे भी नहीं हुआ है। सर्वे दल ने कागजी खाना पूर्ति की है। बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर कई बार फोन लगाने पर भी बात नहीं हो पा रही है। ऐसी ही पीड़ा रूपखेड़ा के श्री बालम,सोलना के श्री प्रताप और बागदरा के श्री जयमल, श्री विश्राम मुजाल्दे ने भी व्यक्त की है।

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