Editorial (संपादकीय)

असली खाद को कैसे पहचानें

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डी.ए.पी.

किसान भाइयों , डी.ए.पी.के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलने पर यदि उसमें से तेज गन्ध निकले जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझें कि ये डी.ए.पी. असली है । किसान भाइयों डी.ए.पी.को पहचानने की एक और सरल विधि है । यदि हम डी.ए.पी. के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये दाने फूल जाते है तो समझ लें यही असली डी.ए.पी. है किसान भइयों डी.ए.पी. की असली पहचान है। इसके कठोर दाने ये भूरे काले एवं बादामी रंग के होते है। और नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं।

यूरिया

किसान भाइयों , यूरिया की असली पहचान है इसके सफेद चमकदार लगभग समान आकार के कड़े दाने इसका पानी में पूर्णतया घुल जाना तथा इसके घोल को छूने पर शीतल अनुभूति होना ही इसकी असली पहचान है। किसान भाइयों यूरिया को तवे पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते है यदि हम आंच तेज कर दें और इसका कोई अवशेष न बचे तो समझ लें यही असली यूरिया है।

सुपर फास्फेट

किसान भाइयों ,सुपर फास्फेट की असली पहचान है इसके सख्त दाने तथा इसका भूरा काला बादामी रंग। किसान भाइयों इसके कुछ दानों को गर्म करें यदि ये नहीं फूलते है तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है ध्यान रखें कि गर्म करने पर डी.ए.पी. व अन्य काम्प्लेक्स के दाने फूल जाते है जबकि सुपर फास्फेट के नहीं इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है। किसान फाइयों सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से न टूटने वाला उर्वरक है। किसान भाइयों ध्यान रखें इस दानेदार उर्वरक में मिलावट बहुधा डी.ए.पी. व एन.पी.के. मिक्स्चर उर्वरकों के साथ की जान ए सम्भावना बनी रहती है।

पोटाश

किसान भाइयों , पोटाश की असली पहचान है इसका सफेद कड़ाका इसे नमक तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण किसान भाइयों पोटाश के कुछ दानों को नम करें यदि ये आपस में नही चिपकते है तो समझ लें की ये असली पोटाश है। किसान भाइयों एक बात और पोटाश पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है।

जिंक सल्फेट

किसान भाइयों , जिंक सल्फेट की असली पहचान ये है कि इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते है। किसान भाइयों जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। भौतिक रूप से सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है। किसान भाइयों एक बात और डी.ए.पी. के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बनाया जाता है। जबकि डी.ए.पी. के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नही होता है। किसान भाइयों यदि हम जिंक सफेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलायें तो सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनता है। यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो ये अवशेष पूर्णतया घुल जाता है। किसान भाइयों इसी प्रकार यदि जिकं सल्फेट की जगह पर मैगनीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाय तो अवशेष नहीं घुलता है। ( स्त्रोत : उत्तर प्रदेश कृषि विभाग )

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