Editorial (संपादकीय)

जंग का एक साल : न रूस जीता, न यूक्रेन हारा

Share
लेखक: राजेश जैन, स्वतंत्र पत्रकार

28 फरवरी 2023, नई दिल्ली: जंग का एक साल : न रूस जीता, न यूक्रेन हारा – रूस और यूक्रेन के बीच जंग को  24 फरवरी को एक साल पूरा हो गया। रूस ने पूरा जोर लगाया, लेकिन यूक्रेन को परास्त नहीं कर सका। जंग में भले ही रूस भारी है, लेकिन यूक्रेन के साथ अमेरिका और ‘नाटो’ के देश खड़े हैं। ऐसे में युद्ध खत्म नहीं हुआ है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी हाल ही में पोलैंड के रास्ते यूक्रेन का दौरा किया। पूर्वी ‘नाटो’ देशों के साथ नई रणनीति बनाई। रूस को यह धमकी भी दे डाली कि ‘नाटो’ यूक्रेन के साथ मुस्तैदी से खड़ा है। दूसरी ओर  रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जंग को और आगे बढ़ाना चाहते हैं। पुतिन की योजना जंग को और तेज करने की है। इसका उदाहरण है नई मल्टी-वारहेड अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती की घोषणा। इसी के साथ, पुतिन ने परमाणु हथियारों  के नियंत्रण पर अमेरिका के साथ की गई संधि को भी निलंबित कर दिया है। रूस ने आने वाले समय में और ज्यादा हमलों की चेतावनी दी है। अब तो चीन भी खुलेआम रूस का समर्थन करने लगा है। डर यही है कि कहीं रूस यूक्रेन की जंग ‘विश्वयुद्ध’ में न बदल जाए।

सफल नहीं हो रहे शांति के प्रयास

जंग का एक साल पूरा होने से पहले आखिरी दिन ब्रिटेन की राजधानी लंदन, फ्रांस की राजधानी पेरिस और बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में प्रदर्शन हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली में यूक्रेन में शांति और रूसी सेना की वापसी को लेकर प्रस्ताव लाया गया। यह दो-तिहाई बहुमत से पास हुआ। 141 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। वहीं बेलारूस, उत्तरी कोरिया, सीरिया, माली, रूस, इरीट्रिया और निकारागुआ सात देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट वोटिंग की। भारत, चीन और पाकिस्तान सहित 32 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव के पास होने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्वीट किया कि यह यूक्रेन के लिए वैश्विक समर्थन का सबूत है। वहीं  संयुक्त राष्ट्र में रूस के एंबेसडर दमित्री पोलांस्की ने इसे फालतू बताते हुए खारिज किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रस्ताव शांति नहीं लाएगा, बल्कि जंग भड़काने वालों को हौसला मिलेगा। अमेरिका ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। व्हाइट हाउस ने कहा कि यूक्रेन को अपना समर्थन दिखाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन वर्षगांठ के मौके पर जी-7 नेताओं और जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे। बाइडेन इस मुलाकात के बाद रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों की भी घोषणा कर सकते हैं।

जंग के बीच चीन ने जारी किया पीस प्लान

चीन के विदेश मंत्रालय ने 12 पॉइंट का एक पीस प्लान जारी किया। इसमें रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर की अपील की गई। दोनों देशों के बीच शांति वार्ता के साथ रूस पर लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंध को खत्म करने को भी कहा गया। चीन ने कहा कि इस युद्ध में न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। साथ ही दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करते हुए आम नागरिकों पर हमला नहीं करना चाहिए। चीन ने अपने पीस प्लान में कोल्ड वॉर की मानसिकता को खत्म करते हुए अमेरिका के दूसरे देशों के मामले में हस्तक्षेप न करने की भी मांग की।

भारत और अमेरिका समेत तमाम देश पुतिन से जंग खत्म करने को कह चुके हैं। इजराइल और तुर्की ने मध्यस्थता की कोशिशें भी की थीं। प्रधानमंत्री  मोदी ने पिछले साल उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई एससीओ की मीटिंग के बाद मोदी ने पुतिन से कहा था- आज का युग युद्ध का नहीं है। इस पर पुतिन ने मोदी से कहा था- मैं यूक्रेन से जंग पर आपकी स्थिति और चिंताओं को जानता है। मैं भी चाहता हूं कि ये सिलसिला जल्द से जल्द रुके।

ऐसे हुई थी शुरुआत

जब पूरी दुनिया के देश कोरोना के बाद अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में लगे हुए थे, तब अचानक 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण करके जंग का छेड़  दी थी। दरअसल जंग के ऐलान के पहले ही रूस ने जंगी विमान उड़ाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। फिर जंग से तीन दिन पहले रूस ने यूक्रेन के डोनबास प्रांत के डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था। फिर पुतिन ने जंग का ऐलान किया तो करीब 2 लाख रूसी सैनिक यूक्रेन की ओर कूच कर गए थे। उत्तर में रूस के मित्र देश बेलारूस के रास्ते यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर सेना बढ़ी। वहीं पूर्व में डोनबास के रास्ते खारकीव की ओर रूस की आर्मी आगे बढ़ी। जैसे जैसे समय आगे बीतता रहा, रूस और यूक्रेन की जंग और भीषण होती गई। लेकिन जब हालात बिगड़ने लगे तो यूक्रेन के साथ अमेरिका और उसके सहयोगी ‘नाटो’ के देश खड़े हो गए। अमेरिका ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का साथ दिया। आर्थिक और सैन्य मदद का सिलसिला शुरू हुआ। तब यूक्रेन ने भी रूस पर पलटवार किया। रूस के टैंक उड़ाए। पिछले साल जून-जुलाई के महीने में यूक्रेन ने उन क्षेत्रों को भी वापस ले लिया, जिन पर रूस ने शुरू में ही कब्जा जमा लिया था। हालांकि, जंग के एक साल बाद रूस अभी भी यूक्रेन के पांचवें हिस्से पर नियंत्रण बनाए हुए है।

दोनों देशों को महंगी पड़ी जंग

रूस और यूक्रेन की इस जंग के एक साल के दौरान दोनों देशों को काफी नुकसान हुआ। यूक्रेन ने दावा किया है कि 23 फरवरी 2023 तक रूस के 1,45,850 सैनिक मारे गए हैं। हालांकि यूक्रेन ने अपनी ओर के मारे गए सैनिकों की मौत का आंकड़ा नहीं बताया। रूस ने पिछले साल सितंबर में सैन्य मौतों का आधिकारिक आंकड़ा दिया था। रूस की न्यूज वेबसाइट मॉस्को टाइम्स ने बताया है कि 17 फरवरी 2023 तक रूस के 14,709 सैनिक मारे जा चुके हैं। पश्चिमी देशों के अधिकारियों और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस युद्ध में रूस के 1.80 लाख और यूक्रेन के 1 लाख सैनिक या तो मारे गए, या फिर घायल हुए हैं।

ग्लोबल जीडीपी को लगा करारा झटका, कई देशों में खाद्यान्न की किल्लत

दो देशों के इस युद्ध में दुनिया की इकोनॉमी पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा। दुनिया जब कोरोना से उबर रही थी और अपनी इकोनॉमी सुधारने में लगी हुई थी, तभी दोनों देशों में जंग शुरू हो गई। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को करारी चोट पहुंची। आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले साल वैश्विक जीडीपी ग्रोथ 3.2 फीसदी होने का अनुमान लगाया था, जिसे अब घटाकर 2.9 फीसदी कर दिया गया है। 2024 में यह 3.4 फीसदी होने का अनुमान है। दुनिया का करीब 25 फीसदी गेहूं रूस और यूक्रेन में होता है। जंग के कारण कई देशों में गेहूं की किल्लत हो गई। खाना तक दूभर हो गया। खासकर मिडिल ईस्ट यानी खाड़ी देशों और अफ्रीकी देशों में खाद्यान्न के लिए हाहाकर मच गया। तब भारत ने इन देशों की पूर्ति की।

महत्वपूर्ण खबर: गेहूँ मंडी रेट (27 फरवरी 2023 के अनुसार)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *