Editorial (संपादकीय)

बागवानी में फर्टिगेशन प्रबंधन

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वर्तमान में कृषि बागवानी में जल मांग की पूर्ति मौसम व क्षेत्र में उपलब्ध जल संसाधनों के आधार पर उनकी पूर्ति की जा रही है। नयी-नयी कृषि तकनीकों के बीच बागवानी में बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली का उपयोग अपनाया जा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में पानी की मात्रा के साथ पौधों के पोषण की तकनीक विकसित की गयी। विभिन्न कृषि कार्यों में सिंचाई तथा उर्वरकों का प्रयोग अधिक महत्वपूर्ण कार्य है जिनको फर्टिगेशन में भली-भांति प्रयोग करके लाभ की स्थिति में पहुंचाया है।  

फर्टिगेशन वह क्रिया है जिसमें सिंचाई के पानी के साथ उर्वरकों का सीधा प्रयोग कर जड़ तक उनको पहुंचाते हैं। यह कार्य ड्रिप सिंचाई प्रणाली तंत्र की कंट्रोल यूनिट पर स्थापित उर्वरक इंजेक्टर प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। इस विधि से बागवानी फसलों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटेशियम साथ ही अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग किया जाता है। फर्टिगेशन के मुख्य उद्देश्य जो हमारी फसलों में लाभदायक है-

  •     उर्वरक का समान रूप से तथा समय पर प्रयोग
  •     पानी एवं पोषक तत्वों की बचत
  •     पैदावार में वृद्धि
  •     गुणवत्ता में सुधार
  •     प्रदूषण में कमी

रोपाई वाली फसलों के लिए फर्टिगेशन
प्रत्येक सिंचाई के समय उर्वरकों का प्रयोग करते समय पौध विकास के स्तर के आधार पर 50-100 पीपीएम वाले उर्वरक घोल का प्रयोग करते हैं। साप्ताहिक खुराक देने के लिए 250-350 पीपीएम के घोल को प्रयोग करते हैं। मिर्च की फसल में टमाटर की फसल की तुलना में अधिक उर्वरक की आवश्यकता होती है। गोभीवर्गीय फसलों को उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है और अधिकांश दशाओं में 100-150 पीपीएमएन की साप्ताहिक खुराक का प्रयोग पर्याप्त रहता है।
सामान्यत: सर्दी के मौसम में कम तापमान में जड़ें पोषक तत्वों का उद्ग्रहण कम करती हैं अत: घोल की सघनता को बढ़ा कर रखते हैं तथा गर्मियों के मौसम में जब पोषक तत्वों का उद्ग्रहण स्वत: ही बढ़ जाता है तब इसकी सघनता को कम रखते हैं।

फर्टिगेशन मिश्रण तैयार करने हेतु नियम

  •     फसल में विकास के स्तरों एवं जलवायु के अनुसार पोषक तत्वों की मात्रा तथा सघनता को समायोजित करता है।
  •     मिट्टी की सतह से अमोनिया के वाष्पीकरण को रोकना।
  •     उर्वरकों का प्रयोग जड़ों के क्षेत्रों तक सीमित रखा जाता है।
  •     उर्वरकों का प्रयोग कार्य दक्षता के साथ करते हैं।
  •     शुष्क घुलनशील उर्वरकों के लिए मिक्सिंग कंटेनर का प्रयोग करें जिसमें 50-75 प्रतिशत पानी भरा हो।
  •     एसिड को हमेशा पानी में डालें।
  •     फास्फोरस युक्त उर्वरकों को कैल्शियम युक्त उर्वरकों के साथ न मिलायें।
प्लग-ट्रे नर्सरी तकनीक में फर्टिगेशन
रोपाई के लिए उगाये गये सब्जियों के पौधों में फर्टिगेशन कार्यक्रम का प्रयोग करने से पौधों की गुणवत्ता तथा खेत में रोपने के बाद इनके जीवित रहने की क्षमता होती है। एक सुविकसित पौधे में पोषक तत्वों का पर्याप्त भण्डार होता है, जो खेत की विभिन्न परिस्थितियों में रोपे जाने के बाद भी पौधे की वृद्धि एवं स्थापित करने में सहायता करता है।
सब्जियों की रोपी जाने वाली पौधे में आमतौर पर पानी में घुलनशील उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। इन उर्वरकों को सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाता है। इन उर्वरकों में नाइट्रोजन, फास्फेट तथा पोटाश का प्रतिशत अलग-अलग होता है और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा में अंतर होता है। किसानों को नाइट्रोजन के लिए नाइट्रेट धारी उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। उर्वरक की आवश्यकता कोशिका के आकार तथा फसल को उगाने के माध्यम में उपलब्ध पोषक तत्वों के आधार पर घट-बढ़ सकते है।

सब्जियों की रोपाई वाली फसलों के लिए घुलनशील उर्वरकों का मिश्रण (100 पीपीएम के लिए)    
 उर्वरक विश्लेषण   100 पीपीएम के   लिए ग्रा/100 ली. पानी में
  प्रति मिलियन भाग (पीपीएम)
  एन पी              के
 20-20-20 50 100 43 83
20-10-20 50 100 21 83
20-08-20 50 100 17 83
 17-05-19 59 100 12 92
 15-05-19  67 100 14 83
14-00-14  17 100 0 83
स्त्रोत: 1 पीपीएम – 1 मिलीलीटर रसायन का एक लीटर पानी में घोल बनाना

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