धान का फिजी वायरस क्या हैं?
18 फरवरी 2023, भोपाल: धान का फिजी वायरस क्या हैं? – पिछले वर्ष धान की फसल में एक विशेष प्रकार की समस्या (रोग) फिजी वायरस (Fiji Virus) दिखाई दे रहा था। वायरस के कारण धान की फसल को काफी नुकसान हुआ था।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान – नई दिल्ली, ने बताया कि फिजी वायरस पौधा में लगने वाला एक प्रकार का वायरस हैं। यह वायरस पौधों में एक पौधे से दूसरे पौधे में व्हाइट बेक्ड प्लांट हॉपर – तेला (White Backed Plant Hopper) द्वारा रस चूस के फिजी वायरस को फैलाता हैं। सफेद पौध फुदका रोग ग्रसित पौधों से स्वस्थ पौधे में विषाणु (वायरस) फैलता हैं। इस वायरस के कारण धान की फसल बौनी (छोटी) रह जाती हैं। उसकी पैदावार पर भी काफी नुकसान होता हैं।
धान में फिजी वायरस बौनेपन की समस्या से कैसे बचाव करें?
फिजी वायरस से इस वर्ष धान की फसल को बचाने के लिए वायरस को फैलाने वाले कीट व्हाइट बेक्ड प्लांट हॉपर पर समय पर नियंत्रण करना आवश्यक हैं। व्हाइट बेक्ड प्लांट हॉपर के प्रकोप से धान की फसल को बचाने के लिए इसको को मारने वाली दवा का समय पर छिड़काव करना जरूरी हैं।
डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि धान की फसल के 12 से 15 दिन के पौधों में फिजी वायरस से बचाव के लिए ओशीन (Osheen – Dinotefuran 20% SG) और चेस (Chess – Pymetrozine 50% WG) कृषि रसायन का छिड़काव करके फसल को 20 से 25 दिन तक वायरस के प्रकोप से आप अपनी धान की फसल को खराब होने से बचा पायेंगे।
फिजी वायरस से बचाव के लिए दवा का पौधे में छिड़काव कैसे करें?
12 से 15 दिन के धान के पौधों में फिजी वायरस से बचाव के लिए कृषि रसायन ओशीन और चेस को 100 से 120 प्रति ग्राम दवा, 100 लीटर पानी में प्रति एकड़ के हिसाब से मिलाकर छिड़काव करें। इसके छिड़काव से फसल को 20 से 25 दिन तक वायरस के प्रकोप से बचाया जा सकता हैं।
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