फसल की खेती (Crop Cultivation)

उदयपुर कृषि वि.वि. ने बनाई कृषि अवशेषों से बायोचार निर्माण की उच्च तकनीक

1 फरवरी 2023,  भोपाल । उदयपुर कृषि वि.वि. ने बनाई कृषि अवशेषों से बायोचार निर्माण की उच्च तकनीक – प्रतिवर्ष भारत में 700 हजार टन कृषि अवशेषों का उत्पादन हो रहा है जिसमें से अधिकतर किसान इसको अपने ही खेतों में जला देते हंै। जिससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ खेतों की उर्वकता भी कम होती है। इसी दिशा में कृषि अवशेषों से बायोचार का उत्पादन कर उसका खेतों की उर्वरता बढ़ाने में प्रयोग करना, जैविक खेती के लिए एक अच्छा प्रयोग हो सकता है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यौगिकी वि.वि. के नवीकरणीय ऊर्जा अभियांत्रिकी विभाग ने कृषि के अवशेषों से जैविक कार्बन (बायोचार) उत्पादन करने की दक्ष तकनीकी विकसित की है।

बढ़ती भूमि की उर्वरता

नवीकरणीय ऊर्जा अभियंात्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष और इस परियोजना के प्रभारी डॉ. नारायण लाल पंवार ने बताया कि किसानों के लिए कृषि अवशेषों को बायोचार में बदलने की यह एक अच्छी        तकनीक है। खेतों में फसल की कटाई के बाद शेष बचे अवशेष भूसे से तैयार जैविक कार्बन ना केवल भूमि की उर्वरता को बढ़ाता है, बल्कि फसल उत्पादन को ही बढ़ाता है। जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है।

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इस तकनीकी में किसी भी पारम्परिक  ऊर्जा स्त्रोत जैसे कि बिजली, डीजल आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है। विभाग के शोद्यार्थी मगा राम पटेल इस विकसित तकनीकी का मूल्यांकन व इससे प्राप्त बायोचार का फसल उत्पादन और खेत की उर्वरता में अनुसंधान कर रहा है।  विकसित तकनीक में 200 किग्रा कृषि अवशेषों से 60 किग्रा बायोचार बनाया जा सकता है। प्राप्त बायोचार में 80 से 85 प्रतिशत कार्बन होता है, जो खेतों की उर्वरता बढ़ाने में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। यह बायोचार तकनीक पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त तथा ऊर्जा दक्ष है।

कुलपति डॉ. कर्नाटक

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि इसमें किसी भी प्रकार का पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों का इस्तेमाल नहीं किया गया है तथा यह तकनीकी किसान उपयोगी और किसान भाई इसे आसानी से उपयोग में लाकर अपनी फसलों के अवशेषों से बायोचार बनाकर अपनी आमदनी बढा सकते हैं।

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खेत की सेहत सुधरेगी

अनुसंधान निदेशक डॉ. शान्ति कुमार शर्मा ने बताया कि इसमें खेतों में उपलब्ध लकड़ी को जलाकर 400 से 500 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान प्राप्त कर कृषि अवशेषों से कम लागत व उच्च गुणवत्ता का बायोचार बनाया जाता है।

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