किसान भाईयों को सामयिक सलाह
30 नवम्बर 2022, भोपाल । किसान भाईयों को सामयिक सलाह –
गेहूं/पौध संरक्षण
Advertisement
Advertisement
- गेहूं की फसल की बोनी 20 से 21 दिन की हो गई है एवं शीर्षजड़ अवस्था पर है, प्रथम सिंचाई करें।
- बादलयुक्त मौसम रहने के कारण वातावरण गर्म-आद्र्रता तथा दिन के तापमान में गिरावट एवं रात्रि के तापमान में बढ़ोतरी रहेगी। इस कारण फसलों में जड़ माहो तथा दीमक के प्रकोप होने का अनुमान है। इसमें जगह-जगह चकत्ते में पौधे पीले पडक़र सूखने लगते हंै। बचाव के लिए क्लोरोपाइरीफॉस दवा 1.25 से 1.5 लीटर प्रति हेक्टर के मान के सिंचाई जल के साथ छिडक़ाव करें अथवा नियंत्रण के लिये 1.25 से 1.5 लीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ई सी, प्रति हेक्टेयर की दर से 100 -150 किग्रा रेत में मिलाकर खेत में भुरकाव कर सिंचाई करें।
रबी फसलों की उन्नत किस्में
पाले से फसलों के बचाव के उपाय
गेहूं:– (अ) पूर्ण सिंचित, किस्में जैसे- जेडब्ल्यू -1203, जेडब्ल्यू -1215, एचआई-8759, एचआई-1544 आदि।
Advertisement8
Advertisement
(ब) अर्ध सिंचित, (1-2 सिंचाई) किस्में जैसे-जे. डब्ल्यू-3288, जेडब्ल्यू -3211,जे.डब्ल्यू
Advertisement8
Advertisement
-3020, एचआई-1531, एचआई-1544 आदि।
(स) असिंचित,किस्में जैसे- जे.डब्ल्यू -3288, जे.डब्ल्यू-3173।
चना:- आर.व्ही. जी 202, जे.जी.-130, जे.जी.-11, जे.जी.-16, जाकी – 9218 आदि। काबुली चने में काक -2 तथा जे.जी.के.-1 आदि की बीज की व्यवस्था करें।
मसूर:- आर.व्ही.एल.-31, जे.एल.-2 आदि के बीज की व्यवस्था कर बुवाई करें।
चना एवं अन्य दलहनी एवं अदलहनी फसलें
- खेतों में T या Y आकार की खूटियां गाड़ दें प्रति एकड़ करीब 40 से 50 जिस पर पंछियों के बैठने का स्थान बन जावेगा जो इल्लियों को चुनचुन कर समाप्त कर देंगे।
- चना एवं मसूर आदि में बीजोपचार के लिए फफूंदनाशक (थाइरम 1.5 ग्राम$+कार्बेन्डाजिम 1.5 ग्राम) प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करने के बाद जैव उर्वरक राइजोबियम एवं पीएसबी से निवेषित करके करें।
- चना, मसूर, मटर आदि दलहन फसलों में बीज को फफूंदनाशक दवा से उपचारित करने के उपरान्त जैव उर्वरक राइजोबियम कल्चर 2 से 3 ग्राम $ पीएसबी कल्चर 5 ग्राम गेहंू आदि में एजोटोबैक्टर 5 ग्राम प्रति किलो बीज उपचारित कर, उपचारित बीज पर 1 ग्राम अमोनियम मोलिब्डेट प्रति किलो बीज के मान से मिलायें। ध्यान रहे कल्चर का गाढ़ा घोल बीज पर लगायें। पानी की मात्रा उतनी ही लें जिससे कल्चर की पतली परत बीज पर चढ़ जाये इसके बाद बीज को छायादार स्थान में सुखाकर बोनी के लिए उपयोग करें। मोलिब्डेनम के उपयोग से चने की बढ़वार अच्छी होती है तथा फसल पौधे बलवान बनते हैं जिससे विपरीत परिस्थिति (पाला आदि) का फसल पर कुछ हद तक प्रभाव कम पड़ता है एवं उपज अधिक मिलती है। बीजोपचार यंत्र या मटके आदि में भरकर उपचारित करें।
उद्यानिकी
- फलदार पौधों को रोग एवं कीटों के नियंत्रण मैलाथियान 2 मिली+मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिडक़ाव करें।
- नीबू वर्गीय फलवृक्षों में केंकर रोग की रोकथाम करें।
- हल्दी एवं अदरक में पर्णधब्बा रोग दिखाई देने पर मेन्कोजेब 2.5 से 3 ग्राम प्रति लीटर सेन्डोबिट दवा के साथ मिलाकर छिडक़ाव करें।
- गेंदा की उपयुक्त प्रजाति पूसा नारंगी का नर्सरी बनाकर पौध तैयार करें एवं तैयार पौध का रोपण करें।
- फल मक्खी के नियंत्रण के लिए प्रकाश जाल एवं फेरोमेन टे्रप का उपयोग करें।
पशु, मुर्गी, मछली तथा बकरीपालन
- थनैला रोग से बचाव के लिए दुहने के पूर्व व बाद में थनों को 1 प्रतिशत पोटेशियम परमेग्नेट (पीपी. लोसन) या आयोडोफोर घोल से धोयें।
- मुर्गी के चूजों में रानीखेत बीमारी के नियंत्रण हेतु एफ वन या लसोटा स्ट्रेन का टीका लगवायें।
- गाय में माता रोग का टीका लगवायें तथा पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग का टीका लगवायें एवं कृमिनाशक दवा पिलवाएं।
- पशुशाला एवं मुर्गीशाला में किलनी एवं चीमड़ी के नियंत्रण के लिए मैलाथियान दवा 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें।
- सीसीपीपी का टीकाकरण करवाएं।
- गौ शाला में पशुओं का टीकाकरण करवाएं तथा कीचड़ एवं जलभराव की स्थिति से बचाएं। (श्रोत- डॉ. अशोक सिंह भदौरिया, उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, जिला सीहोर )
- इस समय गौवंशी पशुओं में वायरस डिसीज लम्पी बीमारी का प्रकोप हो रहा है। इसमें त्वचा पर फफोले पडक़र फूटते हैं लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी जिला पशुचिकित्सालय से टीकाकरण करवाएं।
हरी सब्जियां लगायें
- किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में बतर आते ही उन्नत किस्मों का चयन कर हरी सब्जियों जैसे- लाल भाजी, मेथी, पालक, सरसों, धनिया और शलजम की बुवाई शुरू करें।
- पिछले महीने रोपाई की गई सब्जी की फसल में अंत: कर्षण क्रियाओं के बाद नाइट्रोजन युक्त उर्वरक दें।
- बैंगन में तना एवं फल छेदक को नियंत्रित करने के लिए नोवालुरीन 10 मिली प्रति पंप की दर से स्प्रे करें।
- वर्तमान मौसम की स्थिति में मिर्च की फसल में वाइरस जनित रोगों के फैलने की संभावना बन रही है अत: किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि फसल की सतत निगरानी करते रहे, यदि संक्रमण दिखाई देता है तो ऐसे पौधों को उखाडक़र जमींन में गाड़ दें तथा संक्रमण के आरंभिक चरण में रस चूसक कीटों को नियंत्रित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 5-7 मिली प्रति पंप का छिडक़ाव करें।
आलू
- किसान भाईयों को खाली पड़े खेतों में आलू की बुवाई शुरू करने की सलाह दी जाती है।
- फफूंद जनित रोगों की रोकथाम हेतु बीजोपचार अवश्य करें।
- बोनी के पूर्व आलू के बीजों को पेन्सिक्विरोन 25 मिली/क्विंटल बीज के हिसाब से उपचारित करके बोनी करें।
- आलू की बीज दर 2500-3000 किग्रा/हेक्टेयर है।
- किसान भाई कुफरी सिंदूरी, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति, कुफरी बादशाह, कुफरी बहार, कुफरी अशोका, कुफरी पुखराज, कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-2, कुफरी चिप्सोना-3, कुफरी अरूण, कुफरी पुष्कर, कुफरी शैलज, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी फ्रीसोना खेती के तहत आलू की लोकप्रिय किस्में हैं, इन्हें लगा सकते हैं।
महत्वपूर्ण खबर: सब्जी, पुष्प बीज बिक्री बिना लाइसेंस प्रतिबंधित
Advertisement8
Advertisement


