बेर के फलों को छाछ्या रोग से बचाने के लिए करें फफूंदनाशी का छिड़काव
28 नवंबर 2024, अजमेर: बेर के फलों को छाछ्या रोग से बचाने के लिए करें फफूंदनाशी का छिड़काव – तबीजी फार्म, अजमेर स्थित ग्राह्य परीक्षण केंद्र के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेंद्र शर्मा ने बेर के पौधों पर होने वाले रोगों और उनके नियंत्रण को लेकर अहम जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि बेर के पौधों पर छाछ्या, पत्ती धब्बा, फलसड़न, और काली फफूंदी जैसे रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है। इनमें छाछ्या रोग सबसे प्रमुख है, जो विशेष रूप से वर्तमान मौसम में बेर के फलों को प्रभावित कर रहा है।
छाछ्या रोग के लक्षण छोटे फलों पर सफेद चूर्णनुमा धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं, जो धीरे-धीरे पूरे फल पर फैल जाते हैं। इस रोग के कारण फल समय से पहले गिर जाते हैं या सिकुड़कर कठोर हो जाते हैं, जिससे पैदावार और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती हैं।
रोग नियंत्रण के उपाय:
डॉ. शर्मा ने सलाह दी कि इस समस्या के प्रभावी समाधान के लिए माइक्लो ब्यूटानिल 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी कवकनाशी का उपयोग किया जा सकता है। इसे 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर तैयार करें और 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें। छिड़काव करते समय सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें और चश्मा, मास्क, दस्ताने और पूरे कपड़े पहनें।
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