पुष्प वर्गीय पौधों की विशेष कर्षण क्रियाएं
लेखक- कुलवीर सिंह यादव एवं सुहास श्रीपति माने, सहायक प्राध्यापक, श्री वैष्णव कृषि संस्थान, श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय, इंदौर, मध्य प्रदेश, ईमेल आईडी: kulveer11bhu@gmail.com
14 जुलाई 2025, भोपाल: पुष्प वर्गीय पौधों की विशेष कर्षण क्रियाएं – फूलों की खेती में विशेष कर्षण क्रियाओं में पिंचिंग, डिस्बडिंग और स्टेकिंग आदि को शामिल किया जाता है जो कि पौधे के वृद्धि व विकास के लिए उत्तरदायी होती है जिससे पुष्प उत्पादन और पौधे का स्वास्थ्य बेहतर होता है। ये क्रियाएं फूलों की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाने के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं, खासकर व्यापक स्तर पर फूलों की खेती में। ये विशेष क्रियाओं पौधों की उचित आकार-प्रकार, विकास में सुधार और शाखाओं को बढ़ाने में मदद करती हैं, इन पद्धतियों का पालन करने से गुणवत्ता वाले फूल भी प्राप्त होते हैं और अंततः फूलों का उत्पादन भी बढ़ता है। पुष्प वर्गीय पौधों में की जाने वाली कुछ विशेष कर संक्रियाएँ निम्न प्रकार हैं:
1. पिंचिंग: तने के अंतिम भाग पर उपस्थित शीर्षस्थ पत्ती को हटाना पिंचिंग कहलाता है। यह पौधे की ऊंचाई कम करने और पार्श्व शाखाओं को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है परिणामस्वरूप अधिक शाखाएँ और पत्तियाँ निकलती हैं। वे कलिकाएं जो पुष्प उत्पादन करने में असमर्थ रहती हैं जिन्हें ब्लाइंड सूट कहते हैं, की पिंचिंग फूल बढ़ाने के लिए लाभकारी पाई गई है।
2. डिस्बडिंग: अवांछित कलियों को हटाने को डिस्बडिंग कहा जाता है। केवल केंद्रीय कली को रखने और अन्य को हटाने से गुणवत्तायुक्त पुष्पन का विकास होता है। यह विशेष रूप से गुलाब जैसे कुछ फूलों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां अवांछित कलियों को हटाने से अंतिम फूल के आकार और गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
3. स्टेकिंग: लंबे, पतले पौधों को सहारा प्रदान करना स्टेकिंग कहलाता, जिससे पौधे गिरने से बच जाते हैं। यह ग्लेडियोलस एवं कर्नेशन जैसे पौधों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ फूलों के डंठल काफी लंबे हो सकते हैं।
4. निराई: खरपतवारों को हटाना महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें पानी, पोषक तत्वों और सूरज की रोशनी जैसे संसाधनों के लिए फूलों के पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करने से रोका जा सके। निराई के कई लाभ हैं, जिनमें मुख्य रूप से खरपतवारों को हटाकर फसलों की वृद्धि में सुधार करना, मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और उपज को बढ़ाना शामिल है।
5. मल्चिंग: मल्चिंग, जिसे हिंदी में ‘पलवार’ भी कहते हैं, एक बागवानी और कृषि तकनीक है जिसमें मिट्टी की सतह को एक परत से ढक दिया जाता है। यह परत विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक या कृत्रिम पदार्थों से बनाई जा सकती है। मल्चिंग से मिट्टी की नमी बरकरार रखने, खरपतवारों को दबाने और मिट्टी के तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे फूलों के विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनता है।
6. कलियों की कैपिंग करना: कुछ मामलों में, फूलों की कलियों को परिवहन के दौरान नुकसान से बचाने के लिए नायलॉन या इसी तरह की सामग्री से ढक दिया जाता है और पैकेज में एक स्थिर सूक्ष्म जलवायु बनाए रखने में मदद मिलती है। पुष्प कलियों की कैपिंग, या फूल आने से पहले कलियों को ढकने की प्रक्रिया, पौधों के लिए कई लाभ जैसे परागकणों की सुरक्षा, पौधों के स्वास्थ्य में सुधार और शेल्फ लाइफ में वृद्धि आदि प्रदान करती है।
7. मिट्टी चढ़ाना: इस प्रक्रिया में जड़ के विकास को बढ़ावा देने और स्थिरता प्रदान करने के लिए पौधे के आधार के चारों ओर मिट्टी डाली जाती है। पौधों में मिट्टी चढ़ाना एक कृषि प्रक्रिया है जिसमें पौधों के तनों के आसपास मिट्टी को जमा किया जाता है। इससे पौधों को कई लाभ होते हैं, जैसे कि बेहतर जड़ विकास, खरपतवार नियंत्रण, नमी का संरक्षण, और मिट्टी का बेहतर वायु संचार।
8. कटाई–छटाई: इसका मुख्य उद्देश्यपौधों को उचित आकार एवं प्रकार देना साथ ही साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त करना होता है, यह कार्य प्रायः शाखाओं को मोड़कर या बांधकर किया जाता है। पेड़ों की कटाई-छंटाई के कई लाभ हैं, जिनमें स्वास्थ्य, सुरक्षा, और सौंदर्य शामिल हैं। कटाई-छंटाई से पेड़ों को स्वस्थ रखने, फलने-फूलने में मदद मिलती है और वे मजबूत और आकर्षक बने रहते हैं।
9. थिनिंग: इसके अंतर्गत अवांछित वृद्धि जैसे अन्दर की ओर वृद्धि, कमजोर तने, अनुत्पादक एवं अत्यधिक वृद्धि वाली शाखाएँ को हटाना शामिल होता है इस क्रिया का लाभ यह होता है कि पौधों के अनुत्पादक भाग से ऊर्जा का स्थानांतरण उत्पादक भाग की ओर होने लगता जिससे पौधे का भरपूर वृद्धि और विकास होता है।
10. डी–सकरिंग: मूलवृंत मूलवृंत से सकर्स को हटाने की प्रक्रिया को डी–सकरिंग कहा जाता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत प्रायः जो शूट, कालिका एवं मूलवृंत जुड़ाव के नीचे विकसित होते हैं उनको हटा दिया जाता। यह एक महत्वपूर्ण कृषि प्रक्रिया है जो पौधों के स्वास्थ्य, उपज और गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती है जिससे किसान अपनी फसलों से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
11. पर्ण-विच्छेदन: पौधों में पर्ण-विच्छेदन अथवा पत्तियों की छंटाई का अर्थ है कि अतिरिक्त या अवांछित पत्तियों को हटाना। यह पौधों को वांछित अवधि के दौरान वृद्धि और पुष्पन करने के लिए प्रेरित करता है। पुष्प वर्गीय पौधों से अवांछनीय पत्तियों को हटाने की प्रक्रिया कई लाभ प्रदान कर सकती है जिसमें कटाई की बेहतर दक्षता बीजों की बेहतर गुणवत्ता और कुछ फसलों में बेहतर रोग और कीट नियंत्रण शामिल हैं।
12. पादप वृद्धि नियामकों का उपयोग: जी ए 3 जैसे कुछ वृद्धि नियामकों और साइकोसेल जैसे अवरोधकों का उपयोग अच्छी गुणवत्ता वाले अधिक संख्या में फूल प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जी ए 3 250 पीपीएम दर से डंठल की लंबाई और फूल का आकार बढ़ता है और अनुत्पादक एवं अंध प्ररोहों की संख्या कम होती है।
13. मुरझाये फूलों को हटाना: यदि खिले हुए फूलों को समय पर नहीं हटाया जाता है, तो बीज वाले फल विकसित होने की संभावना रहती है। एक बार जब कलियाँ बन जाती हैं और विकास की उन्नत अवस्था में पहुँच जाती हैं, तो इस मौसम में वृद्धि और पुष्पन में भारी कमी आ जाती है। मुरझाए हुए फूलों को काटने से मजबूत पार्श्वीय प्ररोह विकसित होंगे जो अच्छी गुणवत्ता वाले फूल देंगे।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:


