सितंबर में ये फसलें बोएं और कीटों से बचाएं, IARI की ये टिप्स बढ़ाएंगी पैदावार
17 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: सितंबर में ये फसलें बोएं और कीटों से बचाएं, IARI की ये टिप्स बढ़ाएंगी पैदावार – मानसून की विदाई के साथ ही खेतों में नई ऊर्जा का दौर शुरू हो रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए ताजा परामर्श जारी किया है, जिसमें मौसमी फसलों की बुवाई से लेकर कीटों और रोगों से बचाव की सटीक सलाह दी गई है। अगर आप भी उत्तर भारत के किसान हैं, तो ये टिप्स आपकी फसल की पैदावार को दोगुना कर सकती हैं और नुकसान से बचा सकती हैं। आइए, जानते हैं विस्तार से क्या कहते हैं विशेषज्ञ।
अगेती मटर की बुवाई का सही समय
इस मौसम में किसान अगेती मटर की बुवाई शुरू कर सकते हैं। IARI की सलाह है कि उन्नत किस्में जैसे पूसा प्रगति का इस्तेमाल करें। बुवाई से पहले बीजों को कवकनाशी दवाओं जैसे कैप्टन या थायरम से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। इसके बाद, फसल-विशेष राइजोबियम कल्चर का टीका लगाना न भूलें। एक आसान तरीका है: गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा करें, फिर राइजोबियम को बीजों के साथ मिलाकर छायादार जगह पर सुखाएं। अगले दिन बुवाई करें – इससे जड़ें मजबूत होंगी और पैदावार बढ़ेगी।
गाजर की बुवाई: मेड़ों पर करें, बीज बचाएं
गाजर की फसल के लिए ये मौसम आदर्श है। वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि पूसा रूधिरा जैसी उन्नत किस्मों का चयन करें। बीज दर 4 किलोग्राम प्रति एकड़ रखें, लेकिन अगर मशीन से बुवाई करें तो सिर्फ 1 किलोग्राम ही काफी है – इससे बीज की बचत होती है और गुणवत्ता बेहतर रहती है। बुवाई से पहले बीजों को कैप्टन से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से ट्रीट करें। खेत में देसी खाद, पोटाश और फॉस्फोरस उर्वरक जरूर डालें, ताकि जड़ें स्वस्थ रहें।
सरसों की अगेती किस्में: अभी से तैयारी शुरू
सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों-25, 26, 28, पूसा अग्रणी, पूसा तारक और पूसा महक जैसी किस्मों के बीज जुटाएं। खेतों को अभी से तैयार रखें, क्योंकि ये किस्में जल्दी पकती हैं और बाजार में अच्छी कीमत देती हैं। IARI के अनुसार, सही समय पर बुवाई से पैदावार में 20-30% तक इजाफा हो सकता है।
कीटों और रोगों से सतर्क रहें
इस मौसम में फसलों और सब्जियों में दीमक का खतरा बढ़ जाता है। किसानों को सलाह है कि खेतों की नियमित निगरानी करें। अगर दीमक दिखे, तो क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी को 4 मिलीलीटर प्रति लीटर सिंचाई पानी में मिलाकर दें। इसी तरह, सफेद मक्खी या चूसक कीटों के लिए इमिडाक्लोप्रिड (1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी) का छिड़काव करें, लेकिन सिर्फ आसमान साफ होने पर।
धान की फसल पर विशेष ध्यान दें। ब्लास्ट रोग (बदरा) की निगरानी हर 2-3 दिन में करें – ये पत्तियों पर आंख जैसे धब्बे बनाता है, जो भूरे रंग के होते हैं। रोकथाम के लिए समय पर छिड़काव जरूरी है। साथ ही, आभासी कंड (फॉल्स स्मट) से बचाव के लिए ब्लाइटॉक्स 50 को 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़कें ब्राउन प्लांट हॉपर जैसे कीटों के लिए पौधों के निचले हिस्से की जांच करें और इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर) का इस्तेमाल करें।
तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप 4-6 प्रति एकड़ लगाएं, और अगर प्रकोप ज्यादा हो तो कार्टाप 4% दाने (10 किलोग्राम प्रति एकड़) का बुरकाव करें। पत्ती लपेटक कीट से निपटने का देसी तरीका: खेत में 2 सेमी पानी भरें, रस्सी से पौधों को झुकाकर कीटों को पानी में गिराएं, फिर पानी निकालकर कीटों को मार दें।
सब्जियों जैसे मिर्च, बैंगन, फूलगोभी और पत्तागोभी में फल छेदक या डायमंड बैक मोथ के लिए भी फेरोमोन ट्रैप लगाएं। प्रकोप बढ़ने पर स्पिनोसैड (1 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर पानी) छिड़कें। मिर्च और टमाटर में वायरस रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़कर गाड़ दें, और इमिडाक्लोप्रिड से छिड़काव करें।
साग-सब्जियों की बुवाई: हरी पत्तेदार फसलें लगाएं
इस मौसम में सरसों साग (पूसा साग-1), मूली (समर लॉन्ग, लॉन्ग चेतकी), पालक (ऑल ग्रीन) और धनिया (पंत हरितमा या संकर किस्में) की बुवाई मेड़ों या उथली क्यारियों पर करें। ये फसलें जल्दी तैयार होती हैं और बाजार में अच्छी मांग रहती है।
रात में कीटों का शिकार: प्रकाश ट्रैप का कमाल
कीटों से बचाव का एक आसान और पर्यावरण-अनुकूल तरीका है प्रकाश ट्रैप। एक प्लास्टिक टब में पानी और थोड़ा कीटनाशक मिलाएं, उसके ऊपर बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच रखें। कीट रोशनी से आकर्षित होकर गिरेंगे और मर जाएंगे – इससे कई तरह के हानिकारक कीटों का सफाया हो सकता है।
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