Kharif MSP 2025: धान और मूंग में सबसे कम बढ़ोतरी, जानिए ऐसा क्यों?
02 जून 2025, नई दिल्ली: Kharif MSP 2025: धान और मूंग में सबसे कम बढ़ोतरी, जानिए ऐसा क्यों? – केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2025-26 के लिए 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की है. इस बार जहां कुछ फसलों के MSP में ₹800 तक की बढ़त देखने को मिली, वहीं धान और मूंग जैसी प्रमुख फसलों में बढ़ोतरी सबसे कम रही. आंकड़ों के मुताबिक, धान (सामान्य) में केवल ₹69 और मूंग में ₹86 प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है.
यह निर्णय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में में लिया गया, जिसमे 14 खरीफ फसलों के नए एमएसपी को मंजूरी दी गई.
फसल | 2013-14 | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 | 2025-26 | लागत KMS 2025-26 | लागत पर मार्जिन (%) |
धान, सामान्य | 1310 | 1868 | 1940 | 2040 | 2183 | 2300 | 2369 | 1579 | 50 |
ग्रेड ए | 1345 | 1888 | 1960 | 2060 | 2203 | 2320 | 2389 | ||
मूंग | 4500 | 7196 | 7275 | 7755 | 8558 | 8682 | 8768 | 5845 | 50 |
वहीं तुलना करें तो रामतिल, रागी और कपास में ₹500-800 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है.
सरकार की रणनीति क्या संकेत देती है?
पिछले कुछ वर्षों से सरकार पोषक अनाज, तिलहन और दालों की विविधता को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. रागी, बाजरा, तिल और रामतिल जैसी फसलों के MSP में भारी इज़ाफा इसी दिशा का संकेत है.
हालांकि मूंग भी एक दाल है, लेकिन इसकी कीमत पहले ही अन्य दलहन की तुलना में अधिक रही है. ऐसे में इसमें सीमित बढ़ोतरी को ‘संतुलन बनाए रखने की कोशिश’ कहा जा सकता है.
धान को क्यों रखा गया पीछे?
धान, खासकर सामान्य ग्रेड, सबसे अधिक खरीदी जाने वाली फसल है. बीते दस वर्षों में इसकी सरकारी खरीद में भारी वृद्धि हुई है — 2014-15 से 2024-25 तक 7608 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई, जो 2004-05 से 2013-14 की तुलना में 65% ज्यादा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि:
- सरकारी बजट पर दबाव: धान की खरीद में भारी मात्रा की वजह से MSP में बड़ी वृद्धि से सरकारी खरीद खर्च बहुत अधिक हो सकता है.
- पानी और पर्यावरण: धान जल-गहन फसल है. सरकार धीरे-धीरे किसानों को कम पानी वाली वैकल्पिक फसलों की ओर मोड़ने की नीति पर काम कर रही है.
- राजनीतिक प्राथमिकताएं: हाल के वर्षों में पोषक अनाज और तिलहन को बढ़ावा देना सरकारी प्राथमिकता रही है, जिससे धान जैसे पारंपरिक फसलों को धीरे-धीरे पीछे किया जा रहा है.
- उच्च उत्पादन और स्टॉक: धान और मूंग का उत्पादन देश में पहले से ही उच्च स्तर पर है और इनके सरकारी स्टॉक्स भी पर्याप्त मात्रा में हैं. अधिक उत्पादन और स्टॉक के कारण एमएसपी में बहुत अधिक वृद्धि की आवश्यकता नहीं पड़ी.
- निर्यात पर निर्भरता: धान का निर्यात भारत के लिए महत्वपूर्ण है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए एमएसपी में सीमित वृद्धि की गई है. उच्च एमएसपी से निर्यात पर असर पड़ सकता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय धान की प्रतिस्पर्धात्मकता घट सकती है.
- वित्तीय संतुलन: सरकार ने वित्तीय संतुलन बनाए रखने और अन्य महत्वपूर्ण फसलों की एमएसपी में अधिक वृद्धि करने के उद्देश्य से धान और मूंग के एमएसपी में सीमित वृद्धि की है. इससे किसानों को सभी फसलों में संतुलित लाभ मिल सकेगा.
- कीमत में स्थिरता: धान और मूंग की कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकार ने एमएसपी में सीमित वृद्धि की है. इससे बाजार में कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होगा और उपभोक्ताओं को भी स्थिर कीमत पर अनाज उपलब्ध हो सकेगा.
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