Crop Cultivation (फसल की खेती)

रबी फसल कटाई बाद अवशेष प्रबंधन

Share

24 मार्च 2021, भोपाल । रबी फसल कटाई बाद अवशेष प्रबंधन – आधुनिक युग में बढ़ती तकनीक तथा कृषि लागत के कारण किसान कृषि में नये-नये तकनीक का उपयोग करते हैं। जिससे कम लागत तथा समय में अधिक कमी हो सके। किसान अभी रबी फसल की कटाई में हार्वेस्टर का ज्यादा उपयोग होने लगा है। जिससे खेत में गेहंू की बाली तो काट लेते हैं लेकिन शेष पौधा खेत में बच जाता है, जिसे बाद में आग लगा दिया जाता है। आग के कारण शेष गेहूं का पौधा तो जल जाता है और खेत भी साफ हो जाता है। इससे ज्यादा किसान तथा खेत को नुकसान उठाना पड़ता है। एक तो किसानों को भूसे से होने वाले आमदनी का नुकसान होता है तो दूसरी तरफ खेत पर प्रतिकूल प्रभव पड़ता है। जिससे खेत का उर्वराशक्ति भी कम होती है। कृषि वैज्ञानकों के अनुसार फसल काटने के पश्चात् जो ताने के अवशेष अर्थात् नरवाई होती है किसान भाई उसे आग लगाकर नष्ट कर देते हैं।

नरवाई में लगभग नत्रजन 0.5, प्रतिशत, स्फुर 0.6 और पोटाश 0.6 प्रतिशत पाया जाता है, जो नरवाई में जलकर नष्ट हो जाता है। फसल के दाने से डेढ़ गुना भूसा होता है अर्थात् यदि एक हेक्टयर में 40 क्विंटल गेहंू का उत्पादन होगा तो भूसे की मात्रा 60 क्विंटल होगी और भूसे से 30 किलो नत्रजन, 36 किलो स्फुर, 90 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर प्राप्त होगा। जो वर्तमान मूल्य के आधार पर लगभग 3,000 रु. का होगा जो जलकर नष्ट हो जाता है। भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है, अर्थात् भूमि में उपस्थित सूक्ष्मजीव एवं केंचुआ आदि जलकर नष्ट हो जाते हैं। इनके नष्ट होने से खेत की उर्वराशक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जमीन की ऊपरी परत में उपलब्ध आवश्यक पोषक तत्व आग लगने के कारण जलकर नष्ट हो जाते हैं। भूमि की भौतिक दशा खराब हो जाती है। भूमि कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जलधारण क्षमता कम हो जाती है। फलस्वरूप फसलें जल्द सूखती हैं। मिट्टी में होने वाली रसायनिक क्रियाएं भी प्रभावित होती हैं, जैसे कार्बन- नाईट्रोजन एवं कार्बन-फास्फोरस का अनुपात बिगड़ जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में कठनाई होती है। नरवाई की आग फैलने से जन-धन की हानि होती है एवं पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं।

नरवाई को खेत में मिलाने के लाभ

खेत में जैव विविधता बनी रहती है। जमीन में मौजूद मित्र कीट शत्रु कीटों को खा कर नष्ट कर देते हैं। जमीन में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिस से फसल उत्पादन ज्यादा होता है।

  • दलहनी फसलों के अवशेषों को जमीन में मिलाने से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे फसल उत्पादन भी बढ़ता है।
  • किसानों द्वारा नरवाई जलाने के बजाय भूसा बना कर रखने पर जहां एक ओर उनके पशुओं के लिए चारा मौजूद होगा, वहीं अतिरिक्त भूसे को बेच कर वे आमदनी भी बढ़ा सकते हैं।
  • किसान नरवाई को रोटावेटर की सहायता से खेत में मिला कर जैविक खेती का लाभ ले सकते हैं।
नरवाई जलने से नुकसान
  • जमीन में जैव विविधता खत्म हो जाती है और सूक्ष्म जीव जल कर खत्म हो जाते हैं।
  • जमीन कठोर हो जाती है, जिसके कारण जमीन की जलधारण क्षमता कम हो जाती है।
  • जीवांश की कमी से जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है।
  • नरवाई जलाने से जनधन की हानि होने का खतरा रहता है।
  • खेत की सीमा पर लगे पेड़-पौधे जल कर खत्म हो जाते हैं।

इसके अतिरिक्त खेत में, रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश के रूप में खाद की बचत की जा सकती है।

उपयोगी उन्नत कृषि यंत्र:


stra-reaper1स्ट्रा रीपर-भूसा कटाई यंत्र
  • हार्वेस्टर द्वारा गेहूं कटाई उपरांत खेतों में बचे हुए डंठल को खेत में ही भूसा बनाता है।
  • गेहूं के डंठल का संपूर्ण उपयोग तथा भूसे का मुकसान नगण्य।
  • स्ट्रा रीपर से प्राप्त भूसा धूल रहित होता है।
  • निर्मित भूसा सीधे ट्राली के पिंजरे में संग्रहित होता है, जिससे परिवहन और भण्डारण की सुविधा।
  • भूसा के वातावरण में न फैलने के कारण प्रदूषण रहित वातावरण।
  • खेतों में आग लगाकर डंठल नष्ट नहीं करने पड़ते। उर्वरा शक्ति संरक्षित।
  • आठ से दस क्विंटल भूसा प्रति घंटे की कार्य दर।
  • कृषक को आर्थिक लाभ तथा पशुधन संवर्धन हेतु पोषण पूर्ति।
  • सम्पूर्ण उपकरण ट्रैक्टर के साथ सुविधाजनक रूप से परिवहन और परिचालित किया जा सकता है।
राउण्ड बेलर
  •  ट्रैक्टर चलित उपकरण जो कि प्रक्षेत्र से फसल अवशेषों का व्यवस्थापन करता है।
  • धान, गेहूं, केला एवं गन्ना आदि जैसे फसलों के फसलों अवशेषों का बंडल तैयार करने में समथ्र्य।
  • प्राप्त अवशेषों बंडलों का उपयोग पशु आहार, ईंधन, पैकिंग कार्य तथा अन्य औद्योगिक उपयोग संभव।
  • अवशेष बंडलों को परिवहन किया जाना आसान महत्वपूर्ण रसायन इथेनाल के उत्पादन में सहयोगी।
  • अवशेष बंडलों की निर्धारित आकार एवं ठोस संरचनायुक्त होने से रखरखाव में आसानी।
  • छोटे-छोटे प्रक्षेत्र में एवं छोटे ट्रैक्टर (35 अश्व शक्ति) के साथ भी उपकरण का प्रयोग संभव।
रोटावेटर

rotaveter1

  • यह जमीन की तैयारी कर बुवाई के लिये सीड बेड तैयार करने वाला यंत्र है।
  • खेत में बतर आ जाने पर सीधे इसके द्वारा खेत की जुताई बखरनी का कार्य लगभग एक बार में ही हो जाता है। जिससे समय और डीजल की बचत होकर लागत में कमी आती है।
  • इस यंत्र द्वारा खेत तैयार करने से मिट्टी में स्थित कूड़ा, डंठल खाद आदि सभी कटकर मिट्टी में मिल जाते हैं।
  • इसमें खरपतवार कटकर मिट्टी में मिल जाती है जिसमें मिट्टी में उपलब्ध कार्बन बढ़ जाता है।
  • खेत की अच्छी तैयारी होने एवं जड़ क्षेत्र में पर्याप्त हवा प्रवाह होने से कल्ले अधिक फूटते हैं जिससे उत्पादन बढ़ता है।
रिवर्सिबल एम.बी. प्लाऊ
  • यह मुख्यत: जमीन की ग्रीष्मकालीन जुताई करके मिट्टी पलटने वाला हल है।
  • इसमें दो बाटम के दो सेट होते हैं जो एक बीम पर एक दूसरे के विपरीत होते हैं।
  • इसका उपयोग भूमि की गहरी जुताई करने में बहुतायत से किया होता है। इसमें लगभग 6 से 10 इंच गहरी जुताई की जा सकती है।
  • इसका उपयोग करने से जुताई के समय खेत में नाली नहीं बनती है। साथ ही खेत की मेड़ पर अनावश्यक रूप से ट्रैक्टर चलाने में होने वाले समय एवं डीजल की बर्बादी रुकती है।
  • खेत में मेढ़ पर पहुंचने पर ट्रैक्टर घुमाने के साथ ही इसका बाटम सेट घुमा लिया जाता है। जिसमें मिट्टी पलटने की दिशा समान रहती है।

कृषि यंत्रों के उपयोग के पहले और बाद में सेनेटाइजर या साबुन पानी से अच्छी तरह धोकर संक्रमण रहित रहें। मशीन के चालन हैंडिल, स्टीयरिंग की विशेष सफाई की जाए। साथ ही साथ बोरी तथा अन्य पैकेजिंग सामग्रियों का भी साफ (sanitize) किया जाना चाहिए। कृषि यंत्रों के उपयोग के दौरान अलगाव 1.5 से 2 मीटर दूरी बनाए रखें।

चारा अभाव के समय पशुओं का आहार

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *