फसल की खेती (Crop Cultivation)

छिंदवाड़ा जिले में सरसों रकबा 3 गुना बढ़ाने की तैयारी

  • (प्रकाश दुबे)

7 नवम्बर 2022,  छिंदवाड़ाछिंदवाड़ा जिले में सरसों रकबा 3 गुना बढ़ाने की तैयारी – देश में तिलहनी फसलों को बढ़ावा देना, फसल विविधीकरण, किसानों की आय बढ़ाना जैसे कार्यक्रमों के चलते सरसों फसल जिले की सिरमौर बनी है।  पहले 3 हजार, पिछले वर्ष 12 हजार और इस वर्ष लम्बी छलांग लगाते हुए इसका रकबा 50 हजार हेक्टेयर करने की तैयारी को अमलीजामा पहनाने में कृषि विभाग कोई कमी नहीं छोडऩा चाहता। पिछले वर्ष जिले में 10 हजार किसानों ने 13 हजार 500 मेट्रिक टन उत्पादन लेकर 65 करोड़ से अधिक की फसल विक्रय की थी। जिले की जलवायु, मिट्टी सरसों के अनुकूल है। जहां एक ओर जंगली जानवरों के आतंक से किसान अपने खेत खाली छोड़ देते  या  असिंचित भूमि होने पर नाममात्र दाना पैदा कर पाने वाले लघु सीमांत किसानों के लिए सरसों ने तरक्की के रास्ते खोल दिए हैं। पिछले साल इन क्षेत्रों में सरसों उत्पादन से गांव में ही रोजगार के अवसर पैदा हुए थे। सरसों का बीज लगभग रुपए 75/- प्रति किलो आसानी से उपलब्ध हो जाता है।  1 एकड़ में 2 किलो बीज बोया जाता है। खरीफ फसलों की कटाई उपरांत नमी होने पर बिना खेत तैयार किए भी इसकी सीधे बुवाई की जा सकती है  वैज्ञानिकी भाषा में इसे रिले पद्धति कहा जाता है। अच्छे उत्पादन के लिए खेत तैयार किया जा सकता है।  जिले में विभाग रकबा 5 गुना बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक मार्गदर्शन, व्यापक प्रचार-प्रसार, कृषि चौपाल, कृषि विभाग के मैदानी अमले, अखबार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया, निजी कृषि आदान  विक्रेता आदि का सहयोग ले रहा है।  जिले में  सरसों उत्पादन से विभाग को अपने कार्यक्रम में  सफलता मिलेगी वहीं दूसरी ओर कृषि अर्थव्यवस्था में देश विकासशील रहेगा।

बात जब फसल विविधीकरण की हो या कम लागत में अधिक उत्पादन की रबी मौसम में सरसों फसल का चयन किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है।

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तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई सरसों फसल उत्पादन की शुरुआत जिले में   बेहतर विकल्प साबित हुई है। सरसों उत्पादित क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे सरसों के उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि संभव है साथ ही मधुमक्खी का शहद  अतिरिक्त आय का साधन बनेगा।

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  • सौरभ कुमार सुमन, कलेक्टर, छिंदवाड़ा

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कम पानी, कम लागत की सरसों फसल  किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने में बेहतर साबित हुई है।  जिले के किसान तिलहनी फसल के रूप में सरसों को अपनाने के लिए उत्साहित हैं। विभाग ने पिछले साल से ही सरसों फसल उत्पादन को एक अभियान के रुप में चलाया  है।

  • जितेंद्र कुमार सिंह, उप संचालक कृषि, छिंदवाड़ा

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