फसल की खेती (Crop Cultivation)

पन्ना – क्यारी विधि से प्याज की खेती

रसायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से भूमि की उर्वरा क्षमता कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे ज्यादा मात्रा में रसायनिक उर्वरकों की आवश्यकता बढऩे से बाजार पर लगातार निर्भर रहना पड़ता था। इससे कौशल किशोर मिश्रा को भारी आर्थिक क्षति हो रही थी। खेती करना जैसे उसके वश का काम नहीं रह गया था। आज कौशल किशोर केंचुआ पालन कर जैविक खेती से फसल उत्पादन कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं।
पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड के ग्राम सिंहपुर निवासी कृषक कौशल किशोर मिश्रा बताते हैं कि परियोजना संचालक आत्मा अन्य कृषि कर्मचारियों से मुलाकात के दौरान मैंने अपनी समस्याएं उनके सामने रखीं। अपनी खेती के सुधार के संबंध में चर्चा की। जिसके बाद मुझे आत्मा के विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से जानकारियां लेने का अवसर प्राप्त हुआ। खेती की उन्नत तकनीक की जानकारी मिलने के बाद अब मैं खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें भी ले रहा हूं।
जैविक खेती
पहले अवैज्ञानिक ढंग से कृषि करने पर लागत तो अधिक थी लेकिन उत्पादन कम होता था। पर अब केंचुआ पालन कर जैविक खेती करने से रसायनिक उर्वरकों को क्रय करने में हो रही आर्थिक क्षति भी दूर हुई और उत्पादन भी अच्छा प्राप्त हो रहा है। पिछले वर्ष मैंने क्यारी विधि से प्याज की जैविक खेती की थी। जिससे मुझे 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्याज का उत्पादन प्राप्त हुआ। जिसे उन्होंने 15 सौ रूपये प्रति क्विं. की दर से विक्रय किया था। कुल 200 क्विं. प्याज की बिक्री राशि 3 लाख रु. एवं प्याज लगाने से लेकर बिक्री तक का कुल व्यय 1 लाख 50 हजार, शुद्ध मुनाफा 1 लाख 50 हजार रु. का हुआ। इस वर्ष भी मुझे प्याज का अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ है। इससे मेरी आय में वृद्धि हुई है। अब मैं अपनी खेती के लिए आवश्यक खाद बगैरह भी स्वयं बनाने लगा हूं।
अधिक जानकारी के लिए श्री कौशल किशोर मिश्रा के मो. : 9109787099 पर संपर्क करें।

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