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फसल की खेती (Crop Cultivation)

सरसों की खेती: पूसा संस्थान से समसामयिक कृषि कार्यों की पूरी गाइड

07 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: सरसों की खेती: पूसा संस्थान से समसामयिक कृषि कार्यों की पूरी गाइड – रबी का मौसम शुरू हो चुका है और अगर आप सरसों की फसल लगाने की सोच रहे हैं, तो पूसा संस्थान के विशेषज्ञों की ये सलाह आपके लिए बहुत काम की साबित हो सकती है।

सरसों तिलहनी फसलों में एक प्रमुख जगह रखती है और पूरे भारत में सिंचित या बरानी दोनों हालातों में आसानी से उगाई जा सकती है। आज हम सरसों की खेती में अपनाए जाने वाले ताजा कृषि कार्यों पर बात करेंगे, ताकि आपकी फसल स्वस्थ रहे और पैदावार अच्छी हो।

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सरसों के लिए सही मिट्टी और बुवाई के तरीके

सरसों के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया होती है, लेकिन अगर आपके यहां चिकनी दोमट मिट्टी है, तो भी ये अच्छी तरह उग जाती है। सरसों की बुवाई मुख्य रूप से दो तरीकों से की जाती है। पहला तरीका वो जहां खरीफ की नमी को बचाकर रखते हैं और मध्य सितंबर के अंत तक बुवाई कर देते हैं।

दूसरा, जहां खरीफ फसल के बाद सरसों लगाते हैं, यहां खरीफ की कटाई के बाद पलेवा करके बुवाई की जाती है। याद रखें, खेत में नमी का लेवल सही होना चाहिए, ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हो। बीज की मात्रा की बात करें तो चार से पांच किलो प्रति हेक्टेयर काफी रहती है।

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लेकिन अगर नवंबर में देर से बुवाई कर रहे हैं या मिट्टी लवणीय-क्षारीय है, तो 10-15 प्रतिशत ज्यादा बीज इस्तेमाल करें। बुवाई का सबसे अच्छा तरीका पंक्तियों में है, जहां पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर रखें। इससे पौधों की संख्या सही बनी रहती है और देखभाल आसान हो जाती है।

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उर्वरक और बीज उपचार की सावधानियां

बुवाई के वक्त एक जरूरी सावधानी ये है कि उर्वरक बीज के साथ न मिलें, वरना अंकुरण खराब हो सकता है। बीज को तीन से पांच सेंटीमीटर गहराई पर बोएं और उर्वरकों को सात से दस सेंटीमीटर नीचे डालें। इससे पौधे को शुरू से ही पोषण मिलता रहता है।

अब अगर आपके खेत में भूमिगत कीड़ों की समस्या है, तो आखिरी जुताई के समय क्विनालफॉस 1.5 प्रतिशत पाउडर की 25 किलो मात्रा मिला दें। अगर फिर भी कीड़े दिखें, तो एक महीने बाद मेलाथियान 50 ईसी को 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

सरसों में फफूंदी वाली बीमारियां जैसे सफेद रोली या तना गलन भी लग सकती हैं, इसलिए बीज का उपचार जरूर करें। कार्बेंडाजिम दो ग्राम प्रति किलो बीज से ट्रीटमेंट करें या ट्राइकोडर्मा की दस ग्राम मात्रा इस्तेमाल करें। ट्राइकोडर्मा मिट्टी में मौजूद हानिकारक फंगस को खत्म करता है और फसल को मजबूत बनाता है।

जैव उर्वरक और खरपतवार नियंत्रण

कई जगहों पर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी रहती है, इसलिए रिकमेंडेड उर्वरकों के साथ जैव उर्वरकों का इस्तेमाल भी करें। एजोटोबैक्टर का 250 ग्राम पैकेट एक हेक्टेयर बीज के लिए काफी है, अगर बीज ट्रीटमेंट न कर पाएं, तो दो किलो एजोटोबैक्टर या पीएसबी को डेढ़ क्विंटल गोबर की खाद में मिलाकर खेत में बिखेर दें।

इससे 15-20 किलो नाइट्रोजन और 30-40 प्रतिशत फॉस्फोरस की जरूरत पूरी हो जाती है, जो केमिकल फर्टिलाइजर बचाने में मदद करता है। खरपतवार भी सरसों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए बुवाई के ठीक बाद ऑक्साडाईआर्जिल( Oxadiargyl) 80 प्रतिशत डब्ल्यूजी की 90 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। ये शुरुआती स्टेज में ही खरपतवारों को कंट्रोल कर लेता है।

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किसान भाइयों, सरसों की खेती में ये छोटी-छोटी बातें अपनाकर आप अपनी फसल को स्वस्थ रख सकते हैं और अच्छी पैदावार पा सकते हैं। पूसा संस्थान के विशेषज्ञों की ये टिप्स मौसम और मिट्टी के हिसाब से तैयार की गई हैं, इसलिए इन्हें आजमाएं।

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